दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR AQI) में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब' श्रेणी में बनी हुई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 366 दर्ज किया गया. प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. पराली जलाने के मामलों में भी कमी दर्ज की गई है, लेकिन फिर भी स्थिति में सुधार आखिर क्यों देखने को नहीं मिल रहा है...? इस सवाल का जवाब NDTV को कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) के सदस्य सचिव अरविंद कुमार नौटिआल ने दिया.
अरविंद कुमार नौटिआल ने बताया, "नवंबर, दिसंबर और जनवरी महीने में आमतौर पर क्लाइमेटिक और मेट्रोलॉजिकल कंडीशन विपरीत होती हैं. ये साल दर साल देखा गया है. इस साल नवंबर में ये स्थिति थोड़ा ज्यादा देखने को मिली है. क्लाइमेटिक कंडीशन का साथ न मिलने से फिलहाल एक्यूआई (AQI) का का स्तर काफी खराब है. पिछले साल नवंबर में औसत एक्यूआई 320 के करीब था, जो इस साल बढ़कर 372 हो गया है."
उन्होंने बताया, "असल में इस साल मेट्रोलॉजिकल कंडीशन बहुत ही ज्यादा खराब रही हैं. एक्यूआई की स्थिति अच्छी बनाए रखने के लिए हवा की गति 10 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा होनी चाहिए. हालांकि, इस साल ये सिर्फ 4 किलोमीटर प्रतिघंटा रही है. सोर्स के एमिशन को कंट्रोल करने की जरूरत है, लेकिन उसका डिस्पर्सल होना जरूरी है, जिसके लिए विंड स्पीड होनी चाहिए. आंकड़ों के हिसाब से कोविड के समय साल 2020 और 2021 में जब हर तरीके के प्रबंध थे, तब भी नवंबर में इस साल से खराब औसत AQI था. इसकी वजह थी मेट्रोलॉजिकल कंडीशन... उस वक्त 377 का औसत AQI था."
प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर कई प्रयास हो रहे हैं, जिनका असर भी देखने को मिल रहा है. अरविंद कुमार नौटिआल ने बताया, "देशभर के राज्यों में पराली की घटना में 2020 से साल दर साल गिरावट आई है. साल 2020 में 83 हजार, 2021 में 71 हजार, 2022 में 50 हजार और इस साल 36 हजार 600 पराली जलने की घटना दर्ज हुई हैं. पराली की घटनाएं कम हुईं, जिसका फायदा दिखना चाहिए था. हालांकि, AQI में वो विपरीत मौसम परिस्थिति के कारण नहीं दिखा. अगर मौसम साथ देता, तो परिस्थिति असल हो सकती थी."
सीएक्यूएम के सदस्य सचिव ने बताया कि ग्रेप (GRAP) सिस्टम को समय पर लागू कर दिया गया, इसका फायदा जरूर देखने को मिला. ग्रेप सिस्टम की वजह से विपरीत परिस्थितियां और विकट न बने उसमें जरूर मदद मिली है. पराली सीजन के खत्म होने और सभी स्टेकहोल्डर्स थोड़ा और बेहतर प्रयास करेंगे, तो परिस्थितियों में सुधार देखने को मिल सकता है.
ये भी पढ़ें :- दिल्ली में फिर 'खराब' हुई हवा की गुणवत्ता, 'गंभीर' स्थिति में पहुंचा प्रदूषण