- सिलीगुड़ी कॉरिडोर केवल 22 किलोमीटर चौड़ा है और यह पूर्वोत्तर के 8 राज्यों को मुख्य भूभाग से जोड़ता है.
- सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए असम, बिहार और पश्चिम बंगाल में तीन नए सैन्य गैरिसन स्थापित किए गए हैं.
- सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि भारत-विरोधी ताकतें इस कॉरिडोर को निशाना बना सकती हैं.
बांग्लादेश और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के हालिया संपर्कों को भारत ने गंभीर रणनीतिक संकेत के रूप में लिया है. इसी परिप्रेक्ष्य में सिलीगुड़ी कॉरिडोर, देश की पूर्वोत्तर लाइफलाइन की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सेना ने बड़ा कदम उठाया है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश सीमा से सटे क्षेत्रों में तीन नए सैन्य स्टेशन या फिर कहे गैरिसन स्थापित किए जा चुके हैं. ये नए सैन्य ठिकाने असम के बामुनी, बिहार के किशनगंज, और पश्चिम बंगाल के चोपड़ा में बनाए गए हैं. सिलीगुड़ी कॉरिडोर के अत्यंत संवेदनशील भौगोलिक स्वरूप को देखते हुए इन स्थानों का चयन किया गया है. संकट की स्थिति में ये गैरिसन सेना और बीएसएफ को तेज, लचीली और मजबूत रणनीतिक क्षमता प्रदान करेंगे.
सिलीगुड़ी कॉरिडोर आखिर क्यों है इतना महत्वपूर्ण
सिलीगुड़ी कॉरिडोर अपनी संकरी चौड़ाई के कारण ‘चिकन नेक' के नाम से प्रसिद्ध कुछ हिस्सों में मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा है. यही गलियारा पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को भारत के मुख्य भूभाग से जोड़ने वाली एकमात्र कड़ी है. यहां किसी भी प्रकार की बाधा भारत के आठों पूर्वोत्तर राज्यों को देश के मुख्य भूभाग से अलग-थलग कर सकती है. इससे सैन्य आपूर्ति श्रृंखला पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और अरबों रुपये का व्यापार ठप हो सकता है.
वैसे सेना के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि यह भारत की कमजोरी नहीं बल्कि मजबूती है. क्योंकि यहां पर तीन तरफ से हमारी सेना तैनात हैं. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि किसी भी अप्रत्याशित संघर्ष की स्थिति में भारत-विरोधी ताकतें इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर को निशाना बना सकती हैं. इसलिए इस क्षेत्र की सुरक्षा संरचना को पहले से कहीं अधिक मजबूत किया जा रहा है. बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद जिस तरह वहां राजनीतिक घटनाक्रम में बदलाव हुआ है, उसे भारत के सैन्य हलकों में काफी गंभीरता से लिया जा रहा हैं.
भारत की यह तैयारी उस समय तेज हुई है, जब बांग्लादेश के नए अस्थायी चीफ एडवाइज़र मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में ढाका में पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा से मुलाकात की. इस मुलाकात में द्विपक्षीय सैन्य सहयोग पर चर्चा हुई थी, जिसे भारत केवल कूटनीतिक शिष्टाचार के रूप में नहीं, बल्कि उभरते क्षेत्रीय समीकरणों के संकेत के रूप में देख रहा है.
"सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की जीवनरेखा"
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नई तैनाती के साथ-साथ निगरानी नेटवर्क, बाड़बंदी, और तेजी से प्रतिक्रिया देने वाले इकाइयों को अपग्रेड किया जा रहा है. सिलीगुड़ी क्षेत्र में यह सैन्य सुदृढ़ीकरण स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक हितों की रक्षा को लेकर शून्य जोखिम नीति पर काम कर रहा है. सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की जीवनरेखा है. इसकी सुरक्षा पर कोई समझौता संभव नहीं. यही वजह है कि किसी अप्रिय हालात से निपटने के लिये सेना ने यह तैनाती की हैं जिससे दुश्मन कुछ भी करने से सौ बार सोचेगा.














