उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन परियोजना की सुरंग के अंदर फंसे 30-35 लोगों को निकालने के लिए ITBP, NDRF, SDRF और अन्य एजेंसियां अब ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल कर रही है. इन एजेंसियों की एक संयुक्त टीम ने सुरंग में प्रवेश किया और मलबे को साफ करने की हर संभव प्रयास कर रहे हैं. यह जानकारी आईटीबीपी की तरफ से दी गई. सुरंग में घुसने वाली टीम का एक वीडियो भी जारी किया गया है. यह टीम ड्रोन कैमरे को ऑन करके टनल के अंदर भेजी और जहां भी भनक लगी, वहां पर नजर बनाई गई. इस दौरान, ड्रोन के अलावा रेस्क्यू करने वाले जवान भी अपने हाथों में टॉर्च लेकर आगे बढ़ते हुए दिखाई दिए. वहीं पर पानी के गिरने की आवाज आ रही है और मलबे की वजह से कई दलदल जैसा हो गया है. आपातकालीन टीम एक दूसरे को चेतावनी देते हुए आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं और साथ ही टॉर्च जलाते हुए कह रहे हैं कि ''वहां पर लाइट दिखाओ'', वहीं एक और शख्स दीवार पर टॉर्च दिखाने के लिए कहता है.
उत्तराखंड आपदा: सुरंग से रेस्क्यू किए गए लोगों ने सुनाई आपबीती, कहा- भगवान का शुक्र है हमने...
रेस्क्यू करने वाली सुरक्षा एंजेसियों की टीम में से एक अधिकारी गाइड करते हुए दिखाई दिए. ड्रोन को भीतर भेजते वक्त पूरी तरह से डायरेक्शन दिया गया और टॉर्च के जरिए आदेश देते हुए दिखाई दिया. 4 मिनट 34 सेकंड के वीडियो को देखने के बाद साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेस्क्यू के लिए भरपूर कोशिश कर रहे जवानों के लिए काफी मुश्किल है, लेकिन फिर भी वह अपना हर संभव प्रयास करने में जुटे हुए हैं.
आखिरकार, सुरंग के कुछ हिस्सों को साफ करने में कामयाब रहे. मंगलवार की दोपहर यह अनुमान लगाया गया था कि सुरंग के प्रवेश द्वार पर साफ किए जाने वाले 180 मीटर के केवल 80 हिस्से को साफ किया गया. अब, यह प्रतीत होता है कि लगभग 60 मीटर अभी भी बचे हैं. ITPB के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बचावकर्मी फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं बना पाए हैं, लेकिन "जीवन के संकेत" के लिए अभी भी आशान्वित हैं. भले ही समय लग रहा है, लेकिन बचावकर्मी उम्मीद नहीं छोड़ रहे हैं.
अभी तक आपदा में लापता 32 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. वहीं, 174 अन्य अभी लापता हैं. एनटीपीसी के 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की इस घुमावदार सुरंग में भारी मात्रा में गाद निकलने लगी और आगे जाना मुश्किल हो गया. इस दौरान सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान थोड़ा धीमा पड़ा, हालांकि अभी भी रेस्क्यू जारी है.
बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि सुरंग का डिजाइन जटिल है, जिसे समझने के लिए एनटीपीसी के अधिकारियों से संपर्क साधा गया है. वहीं, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास करेंगे. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एक विशेष कैमरे से सुरंग में फंसे लोगों का पता लगाने का प्रयास भी किया गया.
रविवार को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ के बाद से सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवान लगातार बचाव और राहत अभियान में जुटे हुए हैं.
देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आपदा ग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक कुल 32 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 174 अन्य लापता हैं.
एसडीआरएफ ने कहा कि उनके तलाशी दस्ते रैंणी, तपोवन, जोशीमठ, रतूडा, गौचर, कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग क्षेत्रों में अलकनंदा नदी में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं. इससे पहले, सोमवार रात जोशीमठ में प्रवास करने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने मंगलवार सुबह क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और हादसे में घायल हुए लोगों से आईटीबीपी के जोशीमठ अस्पताल में मुलाकात कर उनका हालचाल जाना.
ऋषिगंगा और तपोवन बिजली परियोजनाओं में काम करने वाले और आसपास रहने वाले करीब आधा दर्जन लोग आपदा में घायल हुए हैं. इसके अलावा, उन्होंने आपदा प्रभावित गांव रैणी एवं लाता में भी स्थिति का जायजा लिया और लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी ली.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्रियों, सुरेश राणा, डॉ धर्म सिंह सैनी एवं विजय कश्यप ने मुख्यमंत्री रावत से देहरादून में मुलाकात की और रैणी क्षेत्र में आयी आपदा के संबंध में चर्चा की. आपदा की घड़ी में उत्तराखंड सरकार को हरसंभव सहयोग देने का मुख्यमंत्री योगी का संदेश देते हुए राणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के काफी लोग इस क्षेत्र की विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत थे, जिनकी सूची तथा फोटो शीघ्र की उत्तराखंड को दे दी जाएगी.
तपोवन क्षेत्र में हुई भीषण त्रासदी में जोशीमठ ब्लॉक के लगभग एक दर्जन गांवों का सड़क से संपर्क टूट गया है जबकि सड़क पुल बह जाने के कारण नीति घाटी के अलग-थलग पड़ गए 13 गांवों में हेलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, दवाइयां तथा रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी गईं. (इनपुट भाषा और एएनआई से भी)