क्या लिव इन में रहने वाली महिला हो सकती है पेंशन की हकदार, हाईकोर्ट करेगा फैसला

मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष यह सवाल आय़ा है कि क्या किसी व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को उस शख्स की मौत के बाद उसके सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभ (Live in Relationship Pension)पर कोई  अधिकार रखती है.

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लिव इन रिलेशनशिप (Live In Relationship) में पेंशन के दावे का अनोखा महिला मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा
चेन्नई:

भारतीय कानूनों और अदालती फैसलों में वैवाहिक संबंधों के आधार पर उत्तराधिकार और गुजारा भत्ते जैसी तमाम बातों को स्पष्ट किया गया है, लेकिन कोर्ट के सामने ऐसा मामला पहुंचा है, जिसमें लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला ने पेंशन की मांग की है. मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष यह सवाल आय़ा है कि क्या किसी व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को उस शख्स की मौत के बाद उसके सेवानिवृत्ति और पेंशन संबंधी लाभ पर कोई  अधिकार रखती है. इस मामले में दावा करने वाली महिला उस शख्स की पहले गुजर चुकी बीवी की ही बहन है.

मद्रास हाईकोर्ट में यह सवाल उठाया गया है. एकल पीठ ने मामले को फैसले के लिए बड़ी बेंच को भेजने का फैसला किया है. दरअसल, कुंभकोणम में तमिलनाडु विद्युत उत्पादन और वितरण निगम के कर्मचारी रहे एस कलियापेरुमल का विवाह सुशीला नाम की महिला से हुआ था. उन्होंने अपनी पत्नी को आधिकारिक दस्तावेजों में नॉमिनी घोषित किया था.

सुशील कैंसर से पीड़ित थीं तो उन्होंने अपनी बहन मलारकोडि को अपने ही पति से विवाह करने की स्वीकृति दे दी थी. तीनों एक ही घर में दंपति के तीन बेटों और तीन बेटियों के साथ रह रहे थे. बाद में सुशीला का निधन हो गया और कलियापेरुमल ने मलारकोडि को 2015 में अपना कानूनी उत्तराधिकारी बनाने के लिए आवेदन किया.

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इसके लिए उनके बेटे और बेटियां सहमत थे. निगम द्वारा नॉमिनी बदले जानेसे पहले ही उसी साल कलियापेरुमल की भी मौत हो गई. लेकिन निगम ने कोई फैसला नहीं किया। इसलिए मलारकोडि की ओर से यह रिट याचिका दाखिल की गई. पहले तो यह केस सिंगल बेंच के पास पहुंचा, लेकिन इसके व्यापक प्रभाव को देखते हुए अब अंतिम फैसले के लिए मामले को वृहद पीठ को भेजने का फैसला किया गया है.

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