मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) के कोरोना काल (Corona Period) में बांटे गए त्रिकुट काढ़े (Trikut kada)को लेकर विवाद हो गया है. विधानसभा में दिये जवाब में पता चला है कि सरकार ने क़रीब तीस करोड़ रुपए का काढ़ा जनता में बांट दिया, कांग्रेस ने इसे घोटाला करार दिया है. गौरतलब है कि कोरोना के दौर में जनता को बीमारी से बचाने और बीमारी से लड़ने के लिये त्रिकुट काढ़ा बांटा गया. विधानसभा में सरकार ने विधायक जीतू पटवारी के सवाल के जवाब में बताया कि जनता को पचास ग्राम के छह करोड़ पैकेट बांटे गये जिसकी क़ीमत 30 करोड़ 64 लाख रुपये खर्च हुये. इस क़ीमत पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं.
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कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुविचार दिया, आपदा में अवसर शिवराज सरकार ने उसे आत्मसात किया, 30 करोड़ का काढ़ा बांट दिया और पता नहीं चला.सरकार ने सदन में लिखित में जवाब दिया कि 30 नवंबर 2020 तक त्रिकूट काढ़े के क्रय की कुल लागत जीएसटी सहित लगभग 30 करोड़ 64 लाख 48,308 रुपए है. 50 ग्राम की पैकिंग के कुल 6 करोड़ 3 लाख 94,000 पैकेट वितरित किए गए हैं. जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश की आबादी लगभग साढ़े सात करोड़ है, ऐसे में जब लोगों से हमने पूछा कि क्या उन्हें काढ़ा मिला तो जवाब सुनिये.. वो भी उसी विधानसभा के बाहर, जहां ये दावा हुआ. भगवान सिंह ठाकुर ने बताया कि मैं विधानसभा में विधायक जी के साथ आया था. ...यहां मुझे, टेबलेट, सैनिटाइजर, मास्क मिला लेकिन काढ़ा नहीं. एक अन्य व्यक्ति राकेश ने बताया कि हमें कोई काढ़ा नहीं मिला. जहांगीराबाद जहां हॉटस्पॉट है, वहां.मैं रहता हूं फिर भी काढ़ा नहीं मिला.
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गौरतलब है कि ये आयुर्वेदिक काढ़ा सरकार वन विभाग के उपक्रम लघु वनोपज संघ ने बनाया है. जिस पर अब सवाल उठ रहे हैं. सरकार का दावा था कि ये काढ़ा आम जनता को मुफ़्त बांटा गया. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस के सवाल पर तंज कसते हुए कहा, हमने काढ़ा बांटा है, आईएफा नहीं किया. जनता के लिये जरूरत हुई तो.30 करोड़ नहीं 300 करोड़ का काढ़ा बांटेंगे. मध्य प्रदेश में क़ोरोना काल में अबतक 3855 लोगों की मौत हुई है. ये मौतें कोरोना संक़्रमण के लिहाज़ से बहुत कम है. वैसे सरकार इसका श्रेय भी काढ़ा और सरकार के दूसरे उपायों को दे रही है.