महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार को ढह गई. प्रतिमा के ढहने पर सियासत भी गरमाई हुई है. प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इसलिए प्रतिमा के ढहने पर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए. अब आरोप लगाया जा रहा है कि मूर्ति निर्माण मानकों के हिसाब से नहीं बनाई गई और इसमें घटिया सामान लगाया गया था, नतीजतन ये गिर गई. जिसकी वजह से महाराष्ट्र सरकार की भी काफी आलोचना हो रही है. इस मामले के तूल पकड़ने पर 2 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है.
मूर्ति के ढहने पर सियासत
एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा, इस घटना के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है क्योंकि उसने उचित देखरेख नहीं की. इसकी क्वालिटी पर भी ध्यान नहीं दिया गया. सरकार का फोकस तो सिर्फ इस बात पर था कि किसी तरह इसका अनावरण करा दिया जाए. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने कहा, राज्य सरकार इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती. जिन लोगों ने ये गलती की है, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए. हमारे पूज्य देवता का यह अपमान नहीं सहेंगे. वहीं आरजेडी ने निशाना साधते हुए कहा कि महापुरुषों के मान सम्मान से जुड़े प्रतीकों में भी घोटाला करने से बाज़ नहीं आते हैं! भ्रष्टाचार, धोखा और दुष्प्रचार इनके DNA में है. विपक्ष के हंगामे पर अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का जवाब भी सामने आया है. उन्होंने कहा, यह प्रतिमा इंडियन नेवी ने बनवाई है, इसका डिजाइन भी नौसेना ने तैयार किया है. इसलिए सरकार को इसके लिए दोष देना ठीक नहीं है.
आरजेडी ने निशाना साधते हुए कहा कि महापुरुषों के मान सम्मान से जुड़े प्रतीकों में भी घोटाला करने से बाज़ नहीं आते हैं! भ्रष्टाचार, धोखा और दुष्प्रचार इनके DNA में है.
नट बोल्ट में लगा था जंग
लोक निर्माण विभाग ने 20 अगस्त को चेतावनी दी थी कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के नट-बोल्ट जंग खा रहे हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा था कि स्थानीय लोगों ने इस पर नाराजगी जताई है. नेवी के पास प्रतिमा बनाने का कोई अनुभव नहीं है. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा बनाने का कार्य आदेश 8 सितंबर, 2023 को दिया गया था और इसका अनावरण 4 दिसंबर, 2023 को किया जाना था. नौसेना चाहती थी कि प्रतिमा का अनावरण सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में नौसेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाए.
दो लोगों पर एफआईआर दर्ज
स्थानीय पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत दर्ज की गई है. पीडब्ल्यूडी की शिकायत में कहा गया है कि प्रतिमा का निर्माण घटिया तरीके से किया गया. यहां आने वाले पर्यटकों, स्थानीय नागरिकों और शिव भक्तों ने पीडब्ल्यूडी से आशंका जताई कि प्रतिमा में जंग लगने के कारण प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो सकती है और इससे जान-माल की भारी हानि हो सकती है. इसे ठेकेदार और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट ने मिलीभगत का नतीजा बताया जा रहा है. उन्होंने प्रतिमा के निर्माण के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए धन का उचित उपयोग किए बिना घटिया निर्माण करके सरकार को धोखा दिया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया.
मूर्ति के ढहने पर नेवी ने क्या कहा
अगर लोक निर्माण विभाग के मालवन डिवीजन के सहायक अभियंता द्वारा दी गई सूचना पर अधिकारियों में से किसी ने कार्रवाई की होती, तो छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा नहीं गिरती. इससे महायुति सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को काफी आलोचना झेलनी पड़ रही है. इंडियन नेवी ने जांच के लिए सिंधुदुर्ग के मालवन में अपनी टीम भेजी है. इंडियन नेवी ने देर रात जारी एक बयान में कहा कि उसने 'दुर्भाग्यपूर्ण घटना' के कारणों की तुरंत जांच और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत व पुनर्स्थापना के लिए कदम उठाने की खातिर एक टीम तैनात की है. नेवी ने अब मूर्ति के मरम्मत की जिम्मेदारी खुद ली है.
क्यों ढह गई मूर्ति, सीएम शिंदे ने बताया
मूर्ति के गिरने से राज्य सरकार को आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संरचना के पुनर्निर्माण कराने की बात कही. उन्होंने कहा कि मूर्ति का डिजाइन और निर्माण इंडियन नेवी द्वारा किया गया था. उन्होंने कहा, "हवा 45 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बह रही थी, जिसके कारण मूर्ति गिर गई. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मूर्ति गिर गई, जबकि इसे नौसेना द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था." उन्होंने कहा, "हमारे संरक्षक मंत्री (रवींद्र चव्हाण) स्थिति का आकलन करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे हैं, और हम इस मूर्ति को और भी मजबूत बनाएंगे. नेवी के अधिकारी भी पुनर्निर्माण प्रयासों में भाग लेंगे."