'केंद्रीय एजेंसियां कर रहीं परेशान, BJP से मिला लीजिए हाथ', उद्धव ठाकरे को शिवसेना MLA का खत

सरनाइक ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस, जो MVA में एक गठबंधन सहयोगी है, निगम चुनावों में अकेले उतरेगी, जबकि दूसरे गठबंधन सहयोगी NCP,शिवसेना के विधायकों को अपने पाले में ले जाने और तोड़ने की कोशिश कर रही है.

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शिव सेना विधायक प्रताप सरनाइक ठाणे के ओवाला-माजीवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
मुंबई:

शिव सेना (Shiv Sena) के एक विधायक ने कहा है कि पार्टी को अपने नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा परेशान किए जाने से बचाने के लिए फिर से बीजेपी (BJP) के साथ हाथ मिला लेना चाहिए.  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thcakrey) को लिखे पत्र में शिव सेना विधायक प्रताप सरनाइक (Pratap Sarnaik) ने कहा है कि पूर्व सहयोगी के साथ जरूर हाथ मिलाना चाहिए. विशेष रूप से मुंबई और ठाणे सहित कई आगामी निगम चुनावों के लिए समझौता करना चाहिए.

महाराष्ट्र विधानसभा में ठाणे के ओवाला-माजीवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सरनाइक ने कहा कि हालांकि बीजेपी और शिवसेना अब सहयोगी नहीं हैं, लेकिन उनके नेताओं के अच्छे संबंध हैं. लिहाजा, "हमें इसका उपयोग करना चाहिए."

सरनाइक ने अपने पत्र में लिखा है, "कई केंद्रीय एजेंसियां ​​मेरे पीछे पड़ी हैं. मेरे अलावा शिवसेना के अन्य नेताओं अनिल परब और रवींद्र वायकर और उनके परिवारों को भी इन एजेंसियों द्वारा परेशान किया जा रहा है." उन्होंने लिखा, 'अगर शिवसेना और बीजेपी फिर साथ आ जाते हैं तो इन नेताओं को इस तरह के उत्पीड़न से बचाया जा सकता है.

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सरनाइक की कई संपत्तियों पर छापेमारी की थी. एजेंसी ने उनके बेटे विहांग सरनाइक से भी पूछताछ की थी. महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाली शिवसेना ने तब केंद्र पर विधायक को निशाना बनाने का आरोप लगाया था.

सरनाइक ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस, जो MVA में एक गठबंधन सहयोगी है, निगम चुनावों में अकेले उतरेगी, जबकि दूसरे गठबंधन सहयोगी NCP,शिवसेना के विधायकों को अपने पाले में ले जाने और तोड़ने की कोशिश कर रही है.

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महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना ने 2019 में बीजेपी के साथ अपने दीर्घकालिक संबंध समाप्त कर लिए थे. इसके बाद शिवसेना वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों, एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन में सत्ता में आई.

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