प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ओलिंपिक कांस्य विजेता पुरुष हॉकी टीम के प्रत्येक सदस्य की व्यक्तिगत रूप से प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी. उन्होंने गोलकीपर श्रीजेश के लिए अलग से एक पोस्ट लिखी है. श्रीजेश के लिए पीएम मोदी द्वारा लिखी पोस्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर का ध्यान खींचा है. पीएम मोदी के श्रीजेश के लिए ट्वीट से शशि थरूर खासा प्रभावित दिखे. पीएम मोदी ने श्रीजेश के लिए ट्वीट में लिखा था कि जो लोग देश के हितों को हमले से बचाते हैं, वे उतने ही महत्वपूर्ण हैं जो "दूसरों के खिलाफ गोल करते हैं".
जर्मनी के खिलाफ मैच में गोलकीपर के "शानदार" प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "ब्रावो @16Sreejesh! आपके सेव (गोल बचाना) ने भारत के लिए पदक अर्जित करने में एक बड़ी भूमिका निभाई. बधाई और शुभकामनाएं." जर्मनी के खिलाफ मैच में गोलकीपर के "शानदार" प्रदर्शन की प्रशंसा बनती भी है, जिसने भारत को 41 साल बाद ओलिंपिंक में भारतीय हॉकी टीम को पदक जीतने में मदद की.
पीएम मोदी के ट्वीट पर 65 वर्षीय थरूर ने कहा कि श्रीजेश के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने हर केरलवासी का दिल खुश कर दिया है.
श्रीजेश का जन्म केरल के एर्नाकुलम जिले में हुआ है. भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर और पूर्व कप्तान ने गुरुवार के मैच के अंतिम क्षणों में एक महत्वपूर्ण गोल बचाते हुए भारत के लिए पदक सुनिश्चित किया.
शशि थरूर ने पीएम मोदी के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, "@16Sreejesh के लिए प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने हर केरलवासी का दिल खुश कर दिया है."
"यह याद दिलाता है कि जो देश के हितों को हमले से बचाता है और कमजोरियों से बचाता है वह उतना ही महत्वपूर्ण है जो दूसरों के खिलाफ गोल करता है ..."
थरूर ने एक वायरल पोस्ट को भी रीट्वीट किया जिसमें श्रीजेश के महत्वपूर्ण गोल सेव करने की सराहना की गई थी. "जब जर्मनी ने वह आखिरी पेनल्टी कॉर्नर लिया, तो वे एक महत्वपूर्ण बात भूल गए: दुनिया के हर कोने में हमेशा एक मलयाली होता है, जिसमें भारतीय गोल भी शामिल है," पोस्ट पढ़ें.
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर कई लोग थरूर के विचार से सहमत थे, गोलकीपर पर किए गए उनके पोस्ट की कुछ लोगों ने आलोचना भी की.
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "मुझे नहीं लगता कि उन्होंने केरलवासी होने के लिए उनकी तारीफ की, बल्कि उनके प्रदर्शन के लिए की."
गुरुवार को 41 वर्षों बाद भारत ने अपना पहला ओलिंपिक हॉकी पदक जीता. आठ बार स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाला भापत पिछले चार दशकों हार का सामना कर रहा था. भारत ने आखिरी बार 1980 में मास्को में ओलिंपिक खिताब अपने नाम किया था.