भारत-पाकिस्तान के बीच बीते दिनों हुए तनाव के दौरान पाक को सबसे ज्यादा मदद तुर्की से मिली थी. तुर्की ने पाकिस्तान की मदद ये जानते हुए की थी कि वह अपनी जमीन से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. तुर्की के इस कदम के बाद से ही भारत से उसके रिश्ते हर बीतते दिन के साथ खराब हो रहे हैं. भारत ने तुर्की से दूरी बनाने का फैसला किया. भारत के इस फैसले का असर तुर्की की अर्थव्यस्था पर भी पड़ना तय माना जा रहा है. भारत सरकार की तुर्की के प्रति इस नए रुख के बीच अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केरल सरकार से भी एक खास अपील की है.
शशि थरूर ने शुक्रवार को केरल से आग्रह किया कि वह दो साल पहले तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान उसे दी गई सहायता पर पुनर्विचार करे. थरूर ने एक्स पर एक पोस्ट में केरल द्वारा दी गई सहायता पर एनडीटीवी का एक लेख साझा करते हुए कहा कि वायनाड में उस दस करोड़ रुपये का कहीं बेहतर उपयोग हो सकता था.
थरूर ने एक्स पर लिखा, 'मुझे उम्मीद है कि दो साल बाद तुर्की के व्यवहार को देखने के बाद केरल सरकार अपनी अनुचित उदारता पर विचार करेगी. यह तो बताने की जरूरत ही नहीं है कि वायनाड के लोग (केरल का उदाहरण ही ले लीजिए) उन दस करोड़ रुपयों का कहीं बेहतर इस्तेमाल कर सकते थे.
हाल ही में संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को समर्थन देने के बाद भारत के तुर्की के साथ संबंध खराब हो गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद को हथियार मुहैया कराए थे. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 नागरिकों की जान चली गई थी.
हाल ही में, नई दिल्ली ने तुर्की की विमानन कंपनी सेलेबी को भारतीय हवाई अड्डों पर काम करने की अनुमति रद्द कर दी और व्यापार निकायों ने तुर्की के साथ सभी तरह के व्यापार का बहिष्कार करने का आह्वान किया है.
दो साल पहले केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा था कि यह धनराशि देश के लोगों की सहायता के लिए दी गई है. 8 फरवरी को पेश किए गए राज्य बजट में 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की गई थी. मंत्री ने कहा, "तुर्किये में आए भूकंप ने दुनिया की चेतना को झकझोर कर रख दिया था, इसने हजारों लोगों की जान ले ली और लाखों लोगों को बेसहारा कर दिया."