बॉलीवुड कलाकार पीयूष मिश्रा का करीब 50 साल पहले दूर की एक महिला रिश्तेदार ने यौन उत्पीड़न किया था. मिश्रा ने इस घटना का खुलासा अपनी आत्मकथा ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' में करते हुए लिखा है कि घटना ने उन्हें जीवन भर का दंशदिया है.
मिश्रा ने कहा कि हाल में लोकार्पण हुई उनकी किताब में उन्होंने सिर्फ नाम बदले हैं और सच्चाई को हू-ब-हू पेश किया है. मिश्रा के मुताबिक, उन्होंने नाम इसलिए बदले हैं, क्योंकि उनका मकसद बदला लेना नहीं है.
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की घटना ने उन्हें हिला दिया था और वह हैरान थे कि क्या हुआ है. यह घटना तब की है जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ते थे.
मिश्रा ने कहा, “यौन संबंध बहुत ही स्वस्थ चीज है और इसका पहला अनुभव अच्छा होना चाहिए, अन्यथा यह आपको पूरी जिंदगीभर के लिए दंश दे जाता है और परेशान कर देता है. यौन उत्पीड़न की वजह से मैं काफी समय कुंठित रहा और इससे उबरने में मुझे काफी वक्त लगा...”
उनकी पुस्तक ग्वालियर की संकरी गलियों से लेकर दिल्ली में मंडी हाउस के सांस्कृतिक केंद्र और आखिरकार मुंबई पहुंचने की यात्रा को खंगालती है.
जाने माने अभिनेता, गायक और संगीतकार ने कहा, “मैं कुछ लोगों की पहचान छुपाना चाहता था. उनमें से कुछ महिलाएं हैं और कुछ पुरुष हैं जिनका अब फिल्म जगत में अच्छा मुकाम है. मैं किसी से बदला नहीं लेना चाहता.”
पुस्तक के अनुसार, उनके पिता ने उन पर चिकित्सा विज्ञान में करियर बनाने का दबाव डाला, तब मिश्रा ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और 20 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय नाटक विद्यालय (एनएसडी) में दाखिला लेने का फैसला किया.
वह शुरू में दिल्ली छोड़ने के इच्छुक नहीं थे जबकि उनके दोस्त करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए थे. हालांकि मिश्रा 2000 की शुरुआत में मुंबई चले गए.
इसके बाद उन्होंने विशाल भारद्वाज की ‘मकबूल' (2004), अनुराग कश्यप की ‘गुलाल' (2009) और 2012 में आई ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर' से खुद को अभिनेता, गीतकार, गायक और पटकथा लेखक के तौर पर स्थापित किया.
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