कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंह देव ने शनिवार को स्वीकार किया कि पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी की कानूनी रणनीति को संभालने वालों से शायद कोई चूक हो गई जिससे उन्हें मानहानि के मामले में सजा हुई और सांसद पद के लिए वे अयोग्य घोषित हो गए.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "जहां तक कानूनी रणनीति का सवाल है, हो सकता है कि कोई चूक हुई हो, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. जब पवन खेड़ा को विमान से उतारा गया था, तो तत्काल प्रतिक्रिया हुई थी. हो सकता है कि यह आशंका न रही हो कि (अयोग्यता) आदेश अगले ही दिन जारी किया जा सकता है."
सिंह देव पिछले माह हुई उस घटना का जिक्र कर रहे थे जब कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा को एक पुलिस मामले को लेकर दिल्ली से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. इस पर कांग्रेस तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी और फिर अगले दिन उनको उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई थी.
सिंह देव ने कहा, "मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि इसकी (कानूनी मामला) देखने वाले लोगों को अधिक सतर्क और जागरूक होना चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं है."
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि पार्टी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों में दोषसिद्धि और अयोग्यता का मामला उठा रही थी, क्योंकि "अदालत के फैसले का राजनीतिकरण किया गया है."
उन्होंने कहा कि, "क्या यह हमेशा होता है कि एक निर्णय पारित किया जाता है और आप इसके निहितार्थों को रातोंरात लागू करते हैं? क्या निर्णय 30 दिनों के लिए निलंबित नहीं किया गया था ताकि दूसरे पक्ष को अपील करने का अवसर मिले? कोई भी सहारा लेने से पहले खाली करने का क्या अर्थ था?"
देश के शीर्ष विपक्षी नेताओं में शामिल कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि उन्हें संसद से अयोग्य ठहराए जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता, वे लोगों की लोकतांत्रिक आवाज की रक्षा करना जारी रखेंगे.
राहुल गांधी को शुक्रवार को एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया. यह गुजरात में कोर्ट के उस फैसले के एक दिन बाद हुआ, जिसमें उन्हें 2019 के एक बयान को लेकर मानहानि का दोषी पाया गया. उनके बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान माना गया. राहुल के बयान को लेकर भाजपा ने कहा था कि यह पूरे मोदी समुदाय को नीचा दिखाने की कोशिश थी.
राहुल गांधी को दो साल की कैद की सजा सुनाई गई है. हालांकि उनकी सजा 30 दिनों तक निलंबित की गई है और उन्हें जमानत पर रिहा किया गया है. उनके वकील इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने वाले हैं.
हालांकि, सजा मिलने पर राहुल गांधी को लोकसभा सचिवालय ने लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य करार दे दिया. अगर अदालत का फैसला नहीं पलटा गया तो वे आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.