नाम का सीनियर सिटीजन कोटा, रेलवे वसूल रहा पूरा का पूरा दाम

हैरानी की बात ये है की रेलवे ने ये कहकर रियायत को खत्म किया था कि वरिष्ठ नागरिक इस दौर में यात्रा कम करेंगें. मगर एक आरटीआई से पता चला है की बिना छूट के बाद भी करीब साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा बुजुर्गों ने रेल यात्रा की.

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वरिष्ठ नागरिकों को नहीं मिल रहा सीनियर सिटीजन कोटे का फायदा.
भोपाल:

भारतीय रेलवे ने कोरोना काल से सीनियर सिटीजन को मिलने वाली रियायत और आसपास काम पर जाने वालो लोगों का मंथली रेलवे टिकट यानी एमएसटी बंद कर रखा है. कोरोना प्रोटोकॉल और महामारी के चलते ये ज़रूरी था. मगर अब जब सारी पाबंदियों से छूट मिल रही है तो सुविधाओं से वरिष्ठ नागरिकों को दूर क्यों रखा गया है? हैरानी की बात ये है की रेलवे ने ये कहकर रियायत को खत्म किया था कि वरिष्ठ नागरिक इस दौर में यात्रा कम करेंगें. मगर एक आरटीआई से पता चला है की बिना छूट के बाद भी करीब साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा बुजुर्गों ने रेल यात्रा की. हालांकि भोपाल में कुछ गाड़ियों में एमएसटी शुरू हुई है लेकिन यात्रियों का कहना है कि ये पर्याप्त नहीं है.

कोरोना काल में बहुत कुछ बदला. कोरोना काल के बाद भी देश के पहले पीपीपी मॉडल पर बने स्टेशन का नाम हबीबगंज से रानी कमलापति हो गया. लेकिन वरिष्ठ नागरिकों की किस्मत पर अभी तक ताला लगा है. ज्यादा परेशानी सेवानिवृत्त लोगों को उठानी पड़ रही है. उनके पास आय का को ठोस जरिया नहीं है, ऊपर से रेल सफर की रियायतें भी बंद हैं. 62 साल के बीएचईएल से रिटायर्ड विजय कुमार को 12000 रु. पेंशन मिलती है, 6 लोगों का परिवार है. उनके बच्चे अभी तक बेरोजगार हैं. उन्हें पुणे जाना है, कहते हैं दोगुना किराया चुका रहे हैं. 900 रु. की टिकट का 1200 रु. तक चुका रहे हैं. रियायत मिलती तो सफर 500 रु. में पूरा हो जाता. मुश्किल से अर्जेंट बनता है, तभी जाते हैं. कोरोना में कभी बैठे नहीं है, ये बंद कर दिया तो और मुसीबत हो गई. पहले जैसा सिस्टम चालू हो जाए. 

75 साल के बीएचईएल से रिटार्यड एस के श्रीवास्तव को रायपुर जाना है. पहले एसी-3 में जाते थे अब स्लीपर की टिकट ले रहे हैं. 68 साल के एसएम चतुर्वेदी ने कहा कि ट्रेन में बेडरोल, खाना सब बंद है. ज्यादा पैसा देना पड़ रहा है. साथ में तकिया, चद्दर लेकर जाना पड़ता है. उनका भी मानना है कि पहले जैसी व्यवस्थाएं फिर से लागू कर देनी चाहिए.

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कोरोना प्रोटोकॉल और महामारी के चलते 20 मार्च 2020 को रेलवे ने कुछ लोगों को छोड़कर बाकी श्रेणी के लिये रियायतें बंद कर दी थी. बताया गया था की लोग रेल यात्रा कम करें, इसलिए छूट वापस ली गयी है. नीमच के रहने वाले चंद्रशेखर गर्ग ने जब आरटीआई की मदद से रेलवे से पूछा की वैक्सीन के दोनों डोज़ ले चुके वरिष्ठ नागरिकों को कब से रियायत मिलेगी और अब तक इस बारे में रेलवे बोर्ड की कोई बैठक हुई है क्या? तो रेलवे ने इसे काल्पनिक सवाल बताया. लेकिन ये माना कि 22 मार्च, 2020 से सितंबर 2021 के बीच तीन करोड़ 78 लाख 50 हजार 668 (37,850,668) वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेनों में यात्रा की है.

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कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं, सीनियर सिटिजन पेंशन के भरोसे जीता है. उसमें भी बैंक में ब्याज घटा दिया है, दूसरी परिवहन की सुविधा नहीं है, सिवाय रेल के. उसमें भी रियायत छीन रहे हैं, ये बहुत बुरा है, इसे तत्काल बहाल करना चाहिये.

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मार्च 2020 से पहले 58 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को 50 फीसदी और 60 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों को किराये में 40 फीसदी रियायत मिलती थी. एक और दिक्कत मंथली सीजन टिकट वालों की है. जिन्हें नजदीकी शहर-कस्बों में रोज नौकरी-मजदूरी के लिये जाना होता है. 28 साल के युवा ऋषि सिंह हर दिन होशंगाबाद जाते हैं. उनका कहना है कि पहले एमसएसटी होती थी, अब डेली डिकट लेना पड़ता है.. ज्यादा फंड लगता है. हम चाहते हैं सर्विस चालू करें. पहले एक महीने का पैसा देकर सफर करते थे अब ज्यादा देना पड़ रहा है.

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वहीं रामकुमार डेहरिया ने कहा कि पहले पास-एमएसटी बनती थी. रोजाना मजदूरी करने आ जाते थे. अब नहीं बन रहा है, बजट में डबल किराया हो गया इतना पैसा कहां से लाएंगे.

हालांकि भोपाल मंडल अगस्त से अबतक 7 जोड़ी ट्रेनों में मासिक/त्रैमासिक सीजन टिकट शुरू कर चुका है. लेकिन यात्रियों को उम्मीद सारे ट्रेनों की है. इस मामले में रेलवे पर हमें कैमरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. हालांकि दो दशकों से रेलवे की कई समितियों को वैसे भी ये रियायतें अखरती हैं. खैर अब सवाल ये है की कोरोना को लेकर जब सारी पाबंदियां हटा ली गईं हैं, सिनेमा हाल से लेकर चुनावी रैलियां तक हो रहीं हैं. तो रेलवे अब क्या सोच रहा है. क्यों नहीं वरिष्ठ नागरिकों को उनका हक़ देता, जो किसी भी कल्याणकारी राज्य में ज़रूरी है.

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