पैसे लेकर स्कूल बोर्ड से लेकर यूनिवर्सिटी तक की डिग्री बेचता था, दिल्ली पुलिस ने रैकेट का किया भंडाफोड़

पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज जांच शुरू कर दी है. जांच के दौरान अपराध में शामिल आरोपियों की पहचान की गई. इसके बाद शकरपुर इलाके से आरोपी जितेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके कब्जे से 4 अलग-अलग बोर्डों और विश्वविद्यालयों की 14 मार्कशीट बरामद हुई.

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आरोपी के पास से 4 अलग-अलग बोर्डों और विश्वविद्यालयों की 14 मार्कशीट बरामद हुई है.
नई दिल्ली:

रोहिणी जिला पुलिस की साइबर सेल ने बड़े विश्वविद्यालयों और स्कूल बोर्डों के लगभग 1,000 जाली प्रमाण पत्र बेचने वाले पैन इंडिया गिरोह का भण्डाफोड़ किया है. आरोपी फेसबुक पर अपना विज्ञापन प्रकाशित कर शिकार की तलाश करता था. आरोपियों के पास से 65 फ़र्ज़ी मार्कशीट बरामद हुई है. रोहिणी के डीसीपी प्रणव तायल के मुताबिक 15 अप्रैल को ऑनलाइन साइबर धोखाधड़ी के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई थी. जिसमें शिकायतकर्ता दीपक कुमार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने यमुना आईएएस संस्थान के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के संबंध में एक ऑनलाइन विज्ञापन देखा था. उसके बाद, वे विज्ञापन में दिए गए पते पर गया, जहां वे आरोपी व्यक्तियों से मिला.

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आरोपी व्यक्ति ने उसे आश्वासन दिया कि वे उसे बीएचएमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाएगा. आरोपी ने बीएचएमएस कोर्स में दाखिले के एवज में साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की. शिकायतकर्ता ने आरोपी व्यक्तियों के खाते में 2,50,000/- रुपये ट्रांसफर किए. शिकायतकर्ता के अनुसार 6 महीने से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बावजूद, आरोपी व्यक्ति कोर्स में उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाया. जब उसने आरोपी व्यक्ति से संपर्क किया तो उसका फोन स्विच ऑफ मिला. इसके बाद पीड़ित आरोपियों के दफ्तर गया. लेकिन वहां ताला लगा मिला.

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पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज जांच शुरू कर दी है. जांच के दौरान अपराध में शामिल आरोपियों की पहचान की गई. इसके बाद शकरपुर इलाके से आरोपी जितेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके कब्जे से 4 अलग-अलग बोर्डों और विश्वविद्यालयों की 14 मार्कशीट बरामद हुई. जितेंद्र ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वे वेदांग आईएएस अकादमी में मैथ पढ़ाता था. कोरोना की वजह से उसकी नौकरी चली गई. इसके बाद उसने स्कूल और कॉलेजों में छात्रों का नामांकन शुरू किया. वे अखबारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी एजेंसी का विज्ञापन देकर अपने शिकार की तलाश करता था. अधिक पैसा कमाने की चाह में वे अन्य लोगों के संपर्क में आया जो नकली मार्कशीट उपलब्ध कराकर लोगों को लूटने के धंधे में शामिल थे. उनके माध्यम से उसने अलग-अलग विश्वविद्यालयों में लिंक बनाए और नकली मार्कशीट तैयार करना शुरू कर दिया.

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उसकी निशादेही पर अलग-अलग मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और बोर्डों की 50 मार्कशीट भी बरामद की गई. आरोपी अलग-अलग राज्यों में फर्जी शैक्षिक परामर्श केंद्रों से रैकेट चला रहे थे. ये गिरोह पूरे देश में सक्रिय था और स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्री और प्रमाण पत्र प्रदान करता था. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि गिरोह ने कई सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों और स्कूल बोर्डों की करीब 1,000 फर्जी डिग्री जारी की है. वे अलग-अलग भारतीय विश्वविद्यालयों के डिग्री प्रमाण पत्र देने के बहाने छात्रों को ठग रहे थे.

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ये ऐसे छात्रों को निशाना बनाते थे जो विदेश में पढ़ना चाहते थे या जिनकी बीच में पढ़ाई छूट गई होती थी. छात्रों को लुभाने के लिए हरियाणा ओपन बोर्ड, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, अरनी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, बिहार बोर्ड, ओपीजेएस-ओम प्रकाश जोगेंद्र सिंह विश्वविद्यालय, राजस्थान और आईईएस-भारतीय शिक्षा केंद्र सहित प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों और बोर्डों के नामों का उपयोग कर रहे थे.

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आरोपी विश्वविद्यालयों और बोर्डों की वेबसाइटों को हैक करके डेटा चार्ट में सेंध लगाते थे. छात्रों के नाम और पते अपलोड करने के लिए चार्ट को एडिट करते थे. नकली होलोग्राम और टिकटों के साथ हाई-टेक प्रिंटर और स्कैनर का उपयोग करके उन्होंने कई डिग्री प्रमाण पत्र बनाए. ग्राहकों को उनके पते पर डाक के माध्यम से डिग्री प्रमाण पत्र प्रदान किए गए. उन्हें विश्वविद्यालय की वेबसाइटों के झूठे डोमेन नाम बनाकर डिग्री डाउनलोड करने के लिए लिंक भी प्रदान किए गए थे. इस मामले में कई और आरोपियों की तलाश जारी है.

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