SEBI ने फ्लोचार्ट से बताया, कैसे Zee के प्रमोटरों ने दिखाई कथित फर्ज़ी कर्ज़ वसूली

गंभीर आरोपों से सोनी की सहायक कंपनी के साथ विलय की ZEE की बड़ी योजना पटरी से उतर सकती है...

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
SEBI की रिपोर्ट में रकम की आवाजाही दिखाने के लिए विस्तृत फ्लोचार्ट भी दिया गया है...
नई दिल्ली:

बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने आरोप लगाया है कि ज़ी के संस्थापक सुभाष चंद्रा और उनके पुत्र पुनीत गोयनका ने कर्ज़ों की फ़र्ज़ी वसूली के लिए कंपनियों के बेहद जटिल समूह का इस्तेमाल किया और 'खुद के फ़ायदे के लिए' रकम निकाली.

SEBI ने एक अंतरिम आदेश में चित्र और फ्लोचार्ट का इस्तेमाल कर दर्शाया है कि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड (ZEEL) और एसेल समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों से हासिल रकम को सुभाष चंद्रा के परिवार के स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों के ज़रिये भेजा गया था. आखिरकार, इन रकमों को ZEEL को यह दिखाने के लिए वापस स्थानांतरित कर दिया गया कि उसकी सहयोगी कंपनियों ने कर्ज़ का भुगतान कर दिया है.

बाज़ार नियामक ने आरोप लगाया है, "रकम का ऊपर दिखाया गया प्रवाह साफ़-साफ़ इशारा करता है कि ZEEL द्वारा रकम की कोई वास्तविक प्राप्ति नहीं हुई थी और यह रकम की प्राप्ति दिखाने के लिए केवल बही में की गई प्रविष्टियां थीं..."

SEBI ने कहा कि ऐसा लगता है कि ZEEL के "अपने फंड / एस्सेल ग्रुप की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के फंड का इस्तेमाल यह आभास देने के लिए किया गया था कि सहायक कंपनियों ने वास्तव में ZEEL को दिए गए पैसे को वापस कर दिया था..."

ज़ी के दो स्वतंत्र निदेशकों के वर्ष 2019 में दिए गए इस्तीफ़े के बाद SEBI ने यह जांच शुरू की थी.

SEBI ने कहा है कि सुभाष चंद्रा ने वर्ष 2018 में यस बैंक से समूह की कुछ कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई क्रेडिट सुविधाओं के लिए एक लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया था.

Advertisement

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) का अंतरिम आदेश by NDTV on Scribd

लेटर ऑफ कम्फर्ट सहायक इकाइयों को वित्तीय ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में सहारा देने की इच्छा का संकेत देता है. आमतौर पर लेटर ऑफ कम्फर्ट किसी तीसरे पक्ष द्वारा जारी किया जाता है. उदाहरण के लिए, सरकार अपनी ओर से किसी ऋणदाता को आश्वस्त करने के लिए लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी कर सकती है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने जो कर्ज़ लिया है, उसे चुका दिया जाएगा.

Advertisement

SEBI ने पाया कि सुभाष चंद्रा के लेटर ऑफ कम्फर्ट के आधार पर यस बैंक ने ग्रुप की सात अन्य कंपनियों की देनदारियों को पूरा करने के लिए ZEEL की 200 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉज़िट को एडजस्ट किया. आरोप लगाया गया है कि ZEEL के बोर्ड को सुभाष चंद्रा द्वारा यह लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किए जाने के बारे में जानकारी नहीं थी. उनके पुत्र और ZEEL के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) पुनीत गोयनका पर भी बोर्ड से सलाह-मशविरा किए बगैर ZEEL की ओर से लेटर ऑफ कम्फर्ट पर दस्तख़त करने का आरोप है.

बाज़ार नियामक ने कहा कि साफ़ है कि सुभाष चंद्रा का लेटर ऑफ कम्फर्ट, रकम की प्राप्ति दिखाने के लिए जुड़ी हुई कंपनियों के ज़रिये किए गए घुमावदार लेनदेन और SEBI को आधिकारिक रूप से दी गई जानकारी "ज़ी तथा एसेल समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों की संपत्तियों को प्रमोटरों के पास भेजने के लिए ZEEL के प्रमोटर परिवार द्वारा बनाई विस्तृत योजना का हिस्सा थे..."

Advertisement

SEBI ने कहा कि ZEEL और एसेल समूह की अन्य कंपनियों से पुनर्भुगतान को गलत तरीके से दिखाने के लिए कम से कम ₹143.9 करोड़ की राशि को स्थानांतरित किया गया था. SEBI ने कहा कि अब फंड ट्रेल की जांच की जा रही है.

इन गंभीर आरोपों से सोनी की सहायक कंपनी के साथ विलय की ZEE की बड़ी योजना पटरी से उतर सकती है. इस मर्जर का उद्देश्य ऐसा मीडिया प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जो नेटफ्लिक्स और Amazon.com को टक्कर दे सके.

Advertisement

अब मामले की अधिक गहराई हो रही जांच के दौरान SEBI ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका के किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर रहने से रोक लगा दी है.

Featured Video Of The Day
US Presidential Elections 2024: America में राष्ट्रपति चुनाव के साथ और कौन कौन से चुनाव हो रहे हैं?
Topics mentioned in this article