फरवरी में केवल 150 मीटर दूर थी भारत-चीन की चौकियां : सैटेलाइट तस्‍वीरों में खुलासा

यह तस्‍वीरें हाल ही में गूगल अर्थ प्रो (Google Earth Pro) पर अपडेट की गई हैं, इसमें देखा जा सकता है कि दक्षिण पैगोंग के रेजांग ला एरिया से 17000 फीट की ऊंचाई पर सैनिकों ने टेंट लगे हुए हैं. सेना के एक सूत्र ने NDTV को बताया कि कुछ स्‍थानों पर तो यह फासला 150 मीटर से भी कम था.

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सैटेलाइट चित्र दिखाते हैं, दोनों देशों की चौकियों के बीच करीब 150 मीटर का ही फासला था
नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के दक्षिण पेंगोंग से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटना शुरू करने के एक दिन बाद, इस वर्ष 11 फरवरी को लिए गए सैटेलाइट चित्र (Satellite images) दिखाते हैं कि दोनों देशों की चौकी (Indian and Chinese posts) एक-दूसरे से करीब 150 मीटर की दूरी पर स्थित हैं. यह इस बात का साफ संकेत है कि दोनों पक्षों की ओर से किस हद तक सैन्‍य तैनाती की गई थी और किस हद तक तनाव व्‍याप्‍त था.

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यह तस्‍वीरें हाल ही में गूगल अर्थ प्रो (Google Earth Pro) पर अपडेट की गई हैं, इसमें देखा जा सकता है कि दक्षिण पैगोंग के रेजांग ला एरिया से 17000 फीट की ऊंचाई पर सैनिकों ने टेंट लगे हुए हैं. सेना के एक सूत्र ने NDTV को बताया कि कुछ स्‍थानों पर तो यह फासला 150 मीटर से भी कम था. 'कैलाश रेंज से लगे हुए स्‍थानों पर दोनों पक्षों के टैंक एक दूसरे से 50 मीटर की दूरी पर ही थे.' गूगल अर्थ की तस्‍वीरों में टैंकों को नहीं दिखाया गया है क्‍योंकि ये 10 जनवरी को हटा दिए गए थे.

क्षेत्र की दो तस्‍वीरें भारतीय सेना की दो प्रमुख पोजीशन को दर्शाती हैं, इसमें दर्जनों ऑलिव ग्रीन और अल्‍पाइन व्‍हाइट कलर के टेंट लगे हुए हैं जो रिज लाइन के ठीक नीचे स्थित हैं. इसे गूगल अर्थ ने एलएसी एरिया के रूप में मार्क किया है. भारतीय पक्ष के कुछ टैंट एलएसी मार्किंग से परे भी स्थित हैं. सेना के सूत्र बताते हैं कि भारतीय सैनिक, LAC यानी वास्‍तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत की धारणा के अंदर ही तैनात थे. रेजांग ला एरिया में सभी भारतीय पोजीशन एक रोड से कनेक्‍ट है जो कि 15400 से 17000 फीट की ऊंचाई तक जाती है, जहां भारतीय सैन्‍य बल तैनात है. 

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भारतीय सैनिक जहां तैनात हैं, उसके ठीक बगल में चीन के सैनिक तैनात हैं. चीनी सैनिक वहां से 10 किमी दूर स्थित स्‍पैंगुर लेक के किनारे तक फैले हैं. नई सैटेलाइट इमेज चीनी पक्ष की ओर से बुनियादी ढांचे और आर्टिलरी गन प्‍लेसमेंट को भी दिखाती है जो कि गतिरोध के स्‍थान से 10 से 12 किलोमीटर दूर स्थित हैं. 

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पिछले साल अगस्‍त के आखिर में जब चीनी सैनिकों ने पूवी लद्दाख के पैंगोंग लेक के उत्‍तरी किनारे को खाली करने से इनकार कर दिया था, तब भारतीय सेना ने कैलाश रेंज के ऊंचे इलाके में लेक के दक्षिण किनारे पर नियंत्रण (कब्‍जा) कर लिया था, इससे उसे चीनी सेना पर दबाव बढ़ाने में मदद मिली थी. चीनी सेना के तमाम प्रयासों के बावजूद भारतीय सैनिकों ने इस स्‍थान को नहीं छोड़ा था. बाद में दोनों पक्षों की ओर से यहां टैंक और Armoured Personnel Carriers की तैनाती की गई थी. इससे तनाव काफी बढ़ गया था. 

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कई दौर की सैन्‍य बातचीत के बावजूद चीनी सेना, उन भारतीय क्षेत्रों में तैनात है जिस पर उन्‍होंने पिछले साल अप्रैल-मई में अवैध तरीके से कब्‍जा कर लिया था. इसमें हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपांग शामिल हैं. पिछले सप्‍ताह विदेश मंत्रालय ने बताया था क‍ि दोनों पक्ष, 12वें दौर की मिलिट्री कमांडरों की बैठक के लिए सहमत हुए हैं जिससे कि तनाव को पूरी तरह से खत्‍म किया जा सके और द्विपक्षीय संबंधों में शांति लाई जा सके.
 

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