चीन लंबे समय से पूर्वी लद्दाख (Ladakh China Bridge Satellite Image) में अपना सैन्य ढाचा मजबूत करने में जुटा हुआ था, जिसमें वह कुछ हद तक कामयाब भी होता दिख रहा है. लद्दाख की पैंगोंग त्यो झील पर चीन ने अपना 400 मीटर लंबा पुल बना लिया है. इससे खतरा बढ़ गया है. इस पुल के जरिए चीन अपने टैंक और सेना को कम समय में और आसानी से ले जा सकेगा. इसकी हाई रिजॉल्यूशन फोटोज सबसे पहले ndtv.com ने जारी की थीं. अब 22 जुलाई को एनडीटीवी के पास मौजूद नई तस्वीरों से पता चला है कि पुल को ब्लैक-टॉप कर दिया गया है. उस पर हल्के मोटर वाहन चलते दिखाई दे रहे हैं.
चालाक चीन की चालबाजी
यह पुलिस उस क्षेत्र में बनाया गया है, जो कि 1958 से चीन के कब्जे में है. 400 मीटर लंबा ये पुल चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास है. इस पुल से चीनी सेना और इसे सैानिक पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट के बीच आसानी से पहुंच सकेंगे. इंटेल लैब के सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट और रिसर्चर डेमियन साइमन ने कहा, "पैंगोंग झील पर नया पुल बनने से चीनी सेना को तेजी से सेना की तैनाती के लिए एक सीधा और छोटा रास्ता मिल गया है."
पूर्वी लद्दाख में चीन का पुल हुआ पूरा
"पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पहले पहले संघर्षरत क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए झील के पूरे पूर्वी हिस्से को नेविगेट करती थी. उसको लंबा चक्कर लगाना पड़ता था, जिससे उनको रिस्पॉन्स करने में समय लगता था. " माना जा रहा है कि नया पुल बनने से झील के दोनों किनारों के बीच जाने में लगने वाले समय में करीब 50-100 किलोमीटर कम हो जाएंगे, जिससे कई घंटे कम लगेंगे.
"अवैध कब्जे वाले इलाके में पुल स्वीकार नहीं"
विदेश मंत्रालय से जब चीन के नए पुल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने एनडीटीवी को पिछले बयान की ओर इशारा किया. जिसके मुताबिक "यह पुल उस क्षेत्र में बनाया जा रहा है, जिस पर करीब 60 सालों से चीन के अवैध कब्जा कर रखा है. उन्होंने कहा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया."
चीन के पुल की सैटेलाइट तस्वीरें
नई सैटेलाइट इमेजों में पैंगोंग के उत्तरी तट पर नए पुल को मौजूदा सड़क नेटवर्क से जोड़ने वाली सड़क दिखाई दे रही है. यह सड़क प्राचीन तिब्बती संरचना खुरनाक किले की तरफ जाती है. चीन ने जुलाई 1958 में खुरनाक किले पर कब्जा कर लिया था.
चीन ने झील के दक्षिणी किनारे पर नई सड़क बनाई है, जो कि पुल को रुतोग, एक चीनी गैरीसन शहर और ज्ञात युद्ध सामग्री केंद्र से जोड़ती है. इस पुल से चीन की सेनाओं के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा. चीन इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए और भारत के खिलाफ अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के लिए करेगा.
गलवान झड़प से बौखलाया चीन
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. पैंगोंग झील इलाके के उत्तर में मौजूद गलवान घाटी में झड़प के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं चीन ने अपने 4 सैनिक मारे जाने का दावा किया था. जकि जांच रिपोर्ट में 40 सैनिको के मारे जाने का खुलासा हुआ था.
पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर भी भारत-चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. हालांकि भारत और चीन क्षेत्र में तनाव कम करने पर सहमत हुए थे, जिसके तहत चीन ने "फिंगर 4" और "फिंगर 8" के बीच बनाई गई दर्जनों स्ट्रक्चर्स को हटा दिया. यह स्ट्रक्चर झील में उभरे हुए वह हिस्से थे, जिनका उपयोग पैंगोंग के उत्तरी तट के हिस्सों की पहचान करने के लिए भौगोलिक मार्कर के रूप में किया जाता है.
लद्दाख में बुनियादी ढांचे को विकसित करने में जुटा चीन
चीन के साथ झड़प के बाद से, भारत ने लद्दाख में बुनियादी ढांचे के विकास को आगे बढ़ाया है.हर मौसम में वहां तक आसानी से पहुंचने के लिए सुरंगें खोली हैं. साल 2021 में अकेले लद्दाख में 87 पुल बनाए गए थे. साल 2022 में सरकार ने चीन के साथ सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2,000 करोड़ से ज्यादा का कमिटमेंट किया था, जिसमें 18 प्रमुख परियोजनाएं लद्दाख के लिए थीं.