संयुक्त किसान मोर्चा ने खुद को 'दिल्ली चलो मार्च' से अलग कर लिया है. दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा एक प्रेस स्टेटमेंट जारी की गई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि 13 फरवरी को किसानों द्वारा आयोजित दिल्ली चलो मार्च से उनका कोई ताल्लुक नहीं है. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अन्य संगठनों को विरोध करने का अधिकार है और केंद्रीय सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से उनके साथ पेश आना चाहिए.
इसके साथ ही अपनी प्रेस स्टेटमेंट में एसकेएम (SKM) ने पीएम मोदी से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि उनकी सरकार लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी 2024 को देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल के संदर्भ में किसानों और श्रमिकों के मंच से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है?
बता दें कि आज किसानों का 'दिल्ली चलो मार्च' है... इससे पहले सोमवार रात को किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ पांच घंटे से अधिक वक्त तक चली बैठक बेनतीजा रही थी. कई किसान संघों, जिनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से हैं ने अपनी उपज के लिए एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की मांग के लिए मार्च का आह्वान किया है. एमएसपी की गारंटी वाला कानून बाजार की अनिश्चितताओं का सामना कर रहे किसानों के लिए अहम कदम होगा.
वहीं दूसरी ओर दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों क मार्च को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाया जा रहा है. सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात किए गए हैं. पुलिस ने सार्वजनिक बैठकों और शहर में प्रवेश करने वाले ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर भी एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया है. प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली में 12 मार्च तक सभी बड़ी सभाओं पर भी प्रतिबंध रहेगा.
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