धर्मस्‍थल को पर्यटन स्‍थल घोषित करने के मामले में जैन समाज के विरोध के बाद सरकार ने उठाया बड़ा कदम

जैन समाज के नेताओे को इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि सम्‍मेद शिखर को पर्यटन स्‍थल बनाने जैसे किसी भी कदम से इस स्‍थान की पवित्रता प्रभावित होगी.

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सम्मेद शिखरजी को दिगंबर और श्वेतांबर, दोनों संप्रदायों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है

रांची:

देशभर में जैन समाज के चल रहे आंदोलन के आगे आखिरकार केंद्र सरकार को झुकना पड़ा. सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर बताया है कि झारखंड में जैन समाज के सबसे पवित्र स्थल श्री सम्मेद शिखरजी पर अब कोई न तो पर्यटन होगा नाही ईको टूरिज्म चलेगा. सम्मेद शिखर मामले में केंद्र सरकार ने समिति बनाई है. साथ ही कहा है कि राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से दो सदस्य शामिल करें और स्थानीय जनजातीय समुदाय से एक सदस्य शामिल करे. केंद्र की ओर से 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगा दी गई है. साथ ही कहा है कि 2019 की अधिसूचना पर राज्य कार्रवाई करे. पर्यटन, इको टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई है. 

इस मसले को लेकर जैन समाज के प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने पारसनाथ हिल्‍स (जहां सम्‍मेद शिखरजी स्थित है) पर सभी गतिविधियों को रोकने का फैसला किया है.इसके साथ ही राज्‍य से इस स्‍थल पर शराब के सेवन, "धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को दूषित करने" या पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने जैसी प्रतिबंधित गतिविधियोंके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है.जैन समाज के नेताओे को इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि सम्‍मेद शिखर को पर्यटन स्‍थल बनाने जैसे किसी भी कदम से इस स्‍थान की पवित्रता प्रभावित होगी. 

इससे पहले, आज झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसके 2019 के नोटिफिकेशन पर उपयुक्‍त कदम उठाने का आग्रह किया था. उन्‍होंने यह भी लिखा था कि राज्‍य की 2021 की टूरिज्‍म पॉलिसी, जिसमें इस धर्मस्‍थल के बेहतर प्रबंधन के लिए एक मैनेजमेंट बोर्ड के गठन का प्रावधान था,  का भी जैन समाज द्वारा विरोध किया जा रहा है.पत्र में कहा गया था कि राज्‍य के पर्यटन सचिव की अगुवाई वाले बोर्ड में जैन समाज की ओर से चुने गए छह अशासकीय (Non-government) सदस्‍य होंगे. इसमें यह भी कहा गया है कि समुदाय का विरोध पारसनाथ हिल्‍स, जहां यह धर्मस्‍थल स्थित है, को ईको टूरिज्‍म एरिया घोषित करने को लेकर था. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को यह पत्र मंत्रालय द्वारा राज्य को आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने के लिए कहे जाने के बाद आया. इसके बमुश्किल दो घंटे बाद केंद्रीय पर्यावरण मेत्री भूपेंद्र यादव ने एक मेमो जारी किया जिसमें कहा गया कि पारिस्थितिकी (Ecologically) तौर पर हानिकारक गतिविधियों को तुरंत "रोक" दिया जाए. केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि "किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा कुछ नहीं किया जाएगा. "

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गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी को जैनियों के दिगंबर और श्वेतांबर, दोनों संप्रदायों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है.बता दें, सम्‍मेद शिखर के  मुद्दे पर राजस्‍थान के जयपुर में भूख हड़ताल पर बैठे जैन संत मुनि सुग्‍येय सागर के निधन के बाद विरोध और तेज हो गया था. यूपी, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान के अलावा मुंबई और राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली के इंडिया गेट पर भी प्रदर्शन हुए थे. 

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