इस जज्बे को सलाम! नहीं थी सड़क, लकवा पीड़ित बुजुर्ग महिला को कंधे पर उठाकर पहुंचाया अस्पताल

गांव के लोगों का कहना है कि बीते लंबे समय से गांव में सड़क नहीं है. लेकिन प्रशासन कभी भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

अगर आपमें किसी की मदद करने की इच्छा हो तो आप कोई भी बाधा ऐसा करने से रोक नहीं सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पुणे के भोर तालुका के म्हसर-बुदुक गांव से तीन किलोमीटर दूर शिंदेवस्ती गांव के रहने वाले लोगों ने. दरअसल, हुआ कुछ यूं कि इस गांव में एक 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला को एकाएक लकवे का अटैक आया. समय रहते जल्द से जल्द उन्हें पास के अस्पताल पहुंचाना जरूरी था. लेकिन इस गांव से लगने वाली सड़क पूरी टूटी हुई थी.

ऐसे में किसी वाहन के गांव तक आना पाना असंभव था. समय तेजी से बीत रहा था और बुजुर्ग महिला की हालत खराब होती जा रही थी. इस गांव में रहने वाले लोगों ने महिला को एक डाल में डालकर तीन किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाने का फैसला किया. ये फैसला इतना आसान भी नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि सड़क ना होने के कारण और लगातार बारिश के बाद आने-जाने वाले रास्ते पर कीचड़ भर गया था. ऐसे में महिला को उठाकर ले जाना एक टेढ़ी खीर थी. लेकिन गांव के युवाओं ने हिम्मत नहीं हारी और बुजुर्ग महिला को अपने कंधे पर उठाकर अस्पताल तर पहुंचाया. 

भोर तालुका के भाटघर धरण, निरादेवघर क्षेत्र और रायरेश्वर किले के पास स्थित धानवली जैसे कई दुर्गम डोंगरी गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. बारिश के मौसम में यदि कोई बीमार पड़ता है, सांप के कांटने का डर बना रहता है. महिलाओं को प्रसव पीड़ा होती है, तो लोगों को उन्हें डाल या डोली में बैठाकर घंटों पैदल चलकर गांव तक लाना पड़ता है. इससे मरीज की जान जाने का भी खतरा बना रहता है. लेकिन प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. म्हसरबुदुक की शिंदेवस्ती में रहने वाले 25 घर आज भी कीचड़ और अव्यवस्था में जी रहे हैं. बारिश होते ही यहां का कच्चा रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है, जिससे संचार और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा बाधित हो जाती है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Assam: Goalpara में Police और स्थानीय लोगों के बीच झड़प, भीड़ ने पुलिस पर कर दी पत्थरबाजी
Topics mentioned in this article