पंजाब के बाद अब कांग्रेस की कोशिश राजस्थान कांग्रेस का अंदरूनी झगड़ा निपटाने की है. इसी सिलसिले में राहुल गांधी और सचिन पायलट की लंबी बैठक हुई. कहा जा रहा है कि 17 सितंबर की इस बैठक में राजस्थान में कांग्रेस को जमीनी तौर पर अधिक मजबूत करने के साथ-साथ सचिन पायलट की भावी भूमिका को लेकर भी लंबी बात हुई. राहुल गांधी और सचिन पायलट की ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब कांग्रेस पार्टी, पंजाब कांग्रेस की खींचतान सुलझाने में लगी है. राजस्थान में सचिन पायलट की भूमिका क्या हो? इस इस बैठक में इस पर लंबी चर्चा हुई. पिछले साल गहलोत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के बाद सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों पदों से हटना पड़ा था.
पंजाब में बदलाव के बाद आहट राजस्थान में भी बदलाव की है. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सचिन पायलट को नेतृत्व परिवर्तन के संबंध में दिए गए भरोसे को दोहराया गया. सचिन खेमे का दावा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने सचिन को सीएम बनाने का वादा किया हुआ है और देर सवेर ये वादा पूरा होगा. जानकार पंजाब का हवाला देकर बताते हैं कि पंजाब का बदलाव महज मुख्यमंत्री के बदलाव का मामला नहीं है बल्कि इसे कांग्रेस पार्टी के रैंक एंड फाइल में पीढ़ीगत बदलाव के तौर पर देखा जाना चाहिए. कांग्रेस आलाकमान दूसरे राज्यों में भी ऐसे बदलाव का पक्षधर है लेकिन ये कब और कैसे हो इसे लेकर अभी रोडमैप तैयार नहीं है. कांग्रेस आलाकमान राजस्थान सरकार में अभी नेतृत्व परिवर्तन या किसी बड़े फेरबदल के मूड में नहीं है और सारा ध्यान उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनाव पर लगाना चाहती है. इसके बाद राजस्थान को लेकर बड़े फैसले किए जाने की संभावना है.
कहा ये भी जा रहा है कि पंजाब की तरह राजस्थान में बदलाव चुनाव के चार महीने पहले नहीं बल्कि इतना पहले होगा, जिससे संगठन और सरकार को कुछ नया करने का पूरा मौका मिले. चर्चा ये भी है कि सचिन पायलट को फिर से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है, ताकि वे 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में जमीन तैयार करें. सचिन पायलट ने लगातार ये दोहराया है कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है उसे निभाया है. यहां तक कि बीजेपी में चले गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जाकर चुनाव प्रचार भी किया है. सूत्रों के मुताबिक राहुल के साथ हुई मीटिंग में पायलट को पार्टी का काम करते रहने का निर्देश दिया गया, जिस पर सचिन ने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है वो वे निभाते रहेंगे.
एक बड़ा सवाल राजस्थान सरकार में सचिन समर्थकों को जगह दिए जाने की है. कुल 30 मंत्रियों की तादाद में सचिन खेमे की एक तिहाई मंत्री पद की मांग है. वो पूरा होना अभी दूर की कौड़ी है. ऐसे में सचिन खेमा चाहता है कि जो 11 नए मंत्री बनाए जाने हैं, उनमें 7 से 8 मंत्री पद उनको मिले. लेकिन इस मामले में लगातार टाल-मटोल हो रहा है. यहां कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत इतने मंत्री पद देने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उनको अपने समर्थक विधायकों के साथ-साथ बीएसपी से आए विधायकों और निर्दलीयों का भी ख्याल रखना है. साथ ही क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन को भी देखना है. इन सब तर्कों की वजह से सचिन खेमे की मांग पूरी नहीं हो पा रही है. मंत्रिमंडल का पिछले महीने ही विस्तार होना बताया गया था, जो नहीं हुआ. इस महीने अशोक गहलोत बीमार पड़ गए और अभी तक ये फिर टला हुआ है. राहुल सचिन की इस बैठक में इस बात पर सीधे तौर पर चर्चा तो नहीं हुई लेकिन सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में आलाकमान इस मामले में अशोक गहलोत से सीधी बात कर सकते हैं.