विदेशमंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar ) ने कहा कि सीमा पार से होने वाले किसी भी आतंकवादी कृत्य का जवाब देने के लिए भारत प्रतिबद्ध हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि आतंकवादी कभी भी नियमों से नहीं खेलते तो उनका जवाब देने के लिए भी नियम नहीं हो सकते. 2008 में 26/11 मुंबई आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय सरकारी स्तर पर बहुत विचारविमर्श के बाद भी कुछ परिणाम नहीं निकला. जैसा कि महसूस किया जा रहा था कि पाकिस्तान पर हमला करने से ज्यादा हमला ना करने की कहीं कीमत चुकानी पड़ेगी.
आतंकियों के हमले को रोकने के लिए जरूरी
बता दें कि एस जयशंकर पुणे में 'भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी' नामक एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, वहीं उन्होंने अपनी बातें रखीं.उन्होंने युवाओं से पूछा कि अगर अब इस तरह का हमला होता है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती तो आगे ऐसे हमलों को कैसे रोका जा सकता है.
2014 के बाद विदेशनीति में आया बदलाव
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 2014 के बाद से भारत की विदेश नीति में बदलाव आया है और आतंकवाद से निपटने का यही तरीका है. यह पूछे जाने पर कि ऐसे कौन से देश हैं, जिनके साथ भारत को संबंध बनाए रखना मुश्किल लगता है, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान.
आतंकवाद किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं
उन्होंने उल्लेख किया कि 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर में कबायली आक्रमणकारियों को भेजा और सेना ने उनका मुकाबला किया और राज्य का एकीकरण हुआ. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर रही थी, हम ठहर गए और संयुक्त राष्ट्र चले गए. हमने आतंकवाद के बजाय कबायली आक्रमणकारियों के कृत्यों का उल्लेख किया. अगर हमारा रुख शुरू से ही स्पष्ट होता कि पाकिस्तान आतंकवाद फैला रहा है तो बिल्कुल अलग नीति होती.'' उन्होंने कहा कि आतंकवाद किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हो सकता.
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