ट्रंप का टैरिफ, यूक्रेन जंग… आज से शुरू विदेश मंत्री जयशंकर की रूस यात्रा क्यों अहम? 3 फैक्टर

EAM S. Jaishankar Russia visit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर हाल में अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तनाव आया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की फाइल फोटो
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • विदेश मंत्री जयशंकर 3 दिवसीय रूस यात्रा पर व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर 26वें आयोग सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे.
  • यात्रा का उद्देश्य भारत-रूस की विशेष रणनीतिक साझेदारी को दीर्घकालिक और मजबूत बनाना है.
  • रूस से कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के बावजूद भारत अपनी ऊर्जा नीतियों पर कायम है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज यानी मंगलवार, 19 अगस्त से अपनी तीन दिवसीय रूस यात्रा शुरू कर रहे हैं. जयशंकर 20 अगस्त को होने जा रहे व्यापार और आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे. इस यात्रा की टाइमिंग बहुत अहम है क्यों कि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर हाल में अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में कुछ तनाव आया है.

जयशंकर की यह रूस यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की रूस यात्रा और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हो रही है.

एस. जयशंकर की यात्रा क्यों अहम?

ऑन पेपर इस यात्रा की सबसे बड़ी वजह व्यापार और आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी तथा सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करना है. लेकिन इसके साथ-साथ:

  1. विदेश मंत्री मॉस्को में भारत-रूस बिजनेस फोरम की बैठक को संबोधित करेंगे.
  2. यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात करेंगे, द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा करेंगे और क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर परिप्रेक्ष्य (अपना-अपना नजरिया) साझा करेंगे.
  3. इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर परखे गए भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है.

गौरतलब है कि इससे पहले रूस के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता अलेक्सी फडेयेव ने मास्को में कहा था कि दोनों देशों के विदेश कार्यालयों के प्रमुख “द्विपक्षीय एजेंडे के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों” पर चर्चा करेंगे।

रूस-भारत के रिश्ते में ट्रंप का टैरिफ नहीं बनेगा खटाई

मास्को में रूसी नेताओं के साथ जयशंकर की बैठकों में रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा खरीद पर चर्चा होने की संभावना है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सरकारी आदेश जारी किया था, जिसमें नयी दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया.

अतिरिक्त शुल्कों से भारत पर कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ गया. रूस से कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है.

Advertisement
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा मास्को पर प्रतिबंध लगाने और उसकी आपूर्ति बाधित करने के बाद भारत ने रियायती दर पर बेचे जाने वाले रूसी तेल को खरीदना शुरू कर दिया था. परिणामस्वरूप, 2019-20 में कुल तेल आयात में मात्र 1.7 प्रतिशत हिस्सेदारी से, 2024-25 में रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई और अब यह भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है.

जयशंकर की मास्को यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच यूक्रेन विवाद पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है. भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान करता रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष जुलाई में मास्को की यात्रा की थी और पुतिन से कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बमों और गोलियों के बीच शांति प्रयास सफल नहीं होते.

Featured Video Of The Day
Bihar Election 2025: Yogi का कंट्रोल? Tejashwi CM फेस पर ऐलान पर गरमाई सियासत | Sumit Awasthi | UP