एस जयशंकर ने 'लैंडलॉक' वाले बयान पर बांग्लादेश को सुनाया, पूर्वोत्तर को लेकर कह दी ये बात 

एस जयशंकर ने कहा कि भारत के पास बंगाल की खाड़ी में 65000 किलोमीटर लंबी तटरेखा है. भारत न केवल पांच BIMSTEC सदस्य देशों से सीमा साझा करता है बल्कि वह इस क्षेत्र में एक बड़े केनेक्टिविटी हब के रूप में भी अपनी मौजूदगी को और मजबूत कर रहा है.

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एस जयशंकर ने बांग्लादेश को सुना दिया
नई दिल्ली:

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश को लैंडलॉक वाले बयान को लेकर सुना दिया है. बांग्लादेश ने भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों को लैंडलॉक बताया था और कहा था कि इस क्षेत्र के लिए बांग्लादेश समुद्री मार्ग का संरक्षक है. बांग्लादेश के इस बयान पर ही अब एस जयशंकर की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इस तरह के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है. एस जयशंकर ने कहा कि भारत का मानना है कि सहयोग एक एकीकृत दृष्टिकोण है, न कि किसी एक को चुनने का विषय. 

उन्होंने आगे कहा कि भारत के पास बंगाल की खाड़ी में 65000 किलोमीटर लंबी तटरेखा है. भारत न केवल पांच BIMSTEC सदस्य देशों से सीमा साझा करता है बल्कि वह इस क्षेत्र में एक बड़े केनेक्टिविटी हब के रूप में भी अपनी मौजूदगी को और मजबूत कर रहा है. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से BIMSTEC के लिए एक कनेक्टिविटी हब बन रहा है. इसके तहत सड़कों, रेलवे, जलमार्ग और पाइपलाइन का एक विस्तृत नेटवर्क विकसित किया जा रहा है. 

आपको बता दें कि बांग्लादेश के नेता मोहम्मद यूनुस ने सात पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में ऐसी बात की है जिसपर भारत ने और भारतीय नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी. बांग्लादेश के अंतरिम नेता ने भारत के इस संप्रभू क्षेत्र को चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार" कहा था और उसे वह बीजिंग से अपने कब्जे में लेने का आग्रह करते दिखे हैं. इसपर पलटवार करते हुए त्रिपुरा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी टिपरा मोथा के फाउंडर प्रघोत माणिक्य ने "बांग्लादेश को ही तोड़ने" की बात कही है.

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एक्स पर एक पोस्ट करते हुए प्रघोत माणिक्य, जो राज्य के पूर्व शाही परिवार के सदस्य हैं, ने दिल्ली को सुझाव दिया गया था कि पूर्वोत्तर राज्यों पर भौतिक नियंत्रण करने, संचार स्थापित करने और बनाए रखने के तरीकों पर अरबों खर्च करने के बजाय, बांग्लादेश के उन हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया जाए जो "हमेशा भारत का हिस्सा बनना चाहते थे.

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इस बीच, बांग्लादेश ने चीन को तीस्ता जल प्रबंधन परियोजना का हिस्सा बनने के लिए भी आमंत्रित किया है और इसपर भी चिंताएं हैं. यूनुस की चीन यात्रा के दौरान ढाका ने कहा था कि इस मुद्दे पर बीजिंग के साथ बातचीत आगे बढ़ी है. यदि ऐसा होता है, तो इससे चीन को बंगाल के जलपाईगुड़ी जैसे जिलों के दक्षिण में उपस्थिति मिल जाएगी.

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