कौन हैं पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में जगह पाने वाले एस. जयशंकर?

पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर (S. Jaishankar) भी मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और उन्हें मंत्री बनाया गया.

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एस. जयशंकर (S. Jaishankar)  की विदेश मामलों में अच्छी पैठ है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Cabinet) ने दूसरे कार्यकाल के लिए गुरुवार को शपथ ली. पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर (S. Jaishankar) भी मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और उन्हें मंत्री बनाया गया. 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी एस. जयशंकर  की विदेश मामलों में अच्छी पैठ है और वे काफी तेज-तर्रार अफसर माने जाते हैं. एस. जयशंकर को जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने विदेश सचिव बनाया था. इससे पहले जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे. कहा जाता है कि जयशंकर ने अमेरिका के साथ एटमी डील का रास्ता साफ करने और ओबामा को गणतंत्र दिवस पर मेहमान बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.  

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सेंट स्टीफेंस कॉलेज से की है पढ़ाई  
मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले एस जयशंकर (S. Jaishankar) का जन्म दिल्ली में हुआ. उनके दिवंगत पिता के. सुब्रमण्यम भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक माने जाते रहे हैं. एस. जयशंकर की शिक्षा एयरफोर्स स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हुई. उनका पत्नी का नाम क्योको जयशंकर है और उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री हैं. जयशंकर ने पॉलिटिकल साइंस से एमए करने के अलावा एम. फिल और पीएचडी भी किया है. वह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटिजक स्टडी लंदन के भी सदस्य हैं.  

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1979 में मिली थी पहली पोस्टिंग : 
एस. जयशंकर (S. Jaishankar) की पहली पोस्टिंग 1979 से 1981 तक रूस के भारतीय दूतावास में रही. इसके बाद 1981 से 1985 तक वे विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे. फिर 1985 से 1988 के बीच वे अमेरिका में भारत के प्रथम सचिव रहे और इसके बाद श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के राजनैतिक सलाहकार के तौर पर काम किया. 1990 में उन्हें बुडापेस्ट में कॉमर्शियल काउंसलर की पोस्टिंग दी गई. इसके बाद वह स्वदेश लौटे और तीन साल तक पूर्वी यूरोप के मामलों को देखते रहे. 1996 से 2000 तक टोक्यो तथा इसके बाद 2004 तक चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत का पद भी संभाला. चेक रिपब्लिक से लौटने के बाद वह तीन साल तक विदेश मंत्रालय में अमेरिकी विभाग देखते रहे. 2007 में उन्हें बतौर इंडियन हाई कमिश्नर सिंगापुर भेजा गया. फिर 2009 से 2013 तक वह चीन में भारत के राजदूत रहे.   

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