भारत के मिशन ‘सुदर्शन चक्र’ पर फिदा रूस, रूसी डिप्लोमेट ने बताया ट्रंप का टैरिफ बम क्यों होगा फेल

भारत में रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा, हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा. साथ ही उन्होंने कहा है कि रक्षा क्षेत्र के लिए रूस भारत का पसंद से चुना हुआ पार्टनर है.

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  • भारत और रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ दबाव के सामने अपने सहयोग को जारी रखने का स्पष्ट संकेत दिया.
  • रूसी उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा साझेदारी मजबूत बनी रहेगी.
  • रूस ने भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस मिशन सुदर्शन चक्र में भागीदारी की उम्मीद जताई, S-400 प्रदर्शन की प्रशंसा की.
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अमेरिका के टैरिफ बम के सामने न भारत झुकेगा और न रूस. भारत और रूस, दोनों ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह मैसेज साफ-साफ दे रहे हैं. भारत में मौजूद एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक ने बुधवार एक मीडिया ब्रीफिंग में  साफ शब्दों में कहा कि रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारत पर अमेरिकी द्वारा बनाया जा रहा दबाव "अनुचित" है. रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा, हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा. साथ ही उन्होंने कहा है कि रक्षा क्षेत्र के लिए रूस भारत का पसंद से चुना हुआ पार्टनर है.

15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस- मिशन ‘सुदर्शन चक्र' की घोषणा की थी. इसपर रूसी राजनयिक ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि रूस इसका हिस्सा बनेगा. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में S-400 के प्रदर्शन की सराहना भी की.

“रूस को भारत के साथ संबंधों पर भरोसा है”

रोमन बाबुश्किन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि टैरिफ वॉर भारत के लिए एक "चुनौतीपूर्ण" स्थिति है और हमें नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों पर "भरोसा" है. रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के दंडात्मक उपायों (आर्थिक प्रतिबंध) के संदर्भ में, बाबुश्किन ने कहा कि प्रतिबंध उन्हीं पर प्रहार कर रहे हैं जो उन्हें लगा रहे हैं.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर शक्ति के रूप में ब्रिक्स की भूमिका बढ़ेगी.

उनकी यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तनाव आया है. इस 50 प्रतिशत टैरिफ में रूसी कच्चे तेल की खरीद की वजह से भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है. रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए, भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद अपने राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है.

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