जी-20 की बैठक में यूक्रेन युद्ध को लेकर दस्तावेज पर नहीं बनी सहमति

पक्षकारों द्वारा तैयार दस्तावेज और अध्यक्ष के सारांश में 14 पैराग्राफ हैं, जिसमें कहा गया है कि दो पैराग्राफ पर सहमति नहीं बन पाई है. इसपर लिखी टिप्पणियों से साफ है कि दो देशों- रूस और चीन ने यूक्रेन में युद्ध के संदर्भों का विरोध किया.

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भारत इस साल जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है.
वाराणसी:

यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर जी-20 में मतभेद सोमवार को एक बार फिर सामने आ गए. समूह के विकास मंत्रियों की बैठक रूस और चीन के विरोध की वजह से आम सहमति पर पहुंचने में असमर्थ रही. वहीं, मेजबान भारत ने साझा आधार ढूंढने की कोशिश की. पक्षकारों द्वारा तैयार दस्तावेज और अध्यक्ष के सारांश में 14 पैराग्राफ हैं, जिसमें कहा गया है कि दो पैराग्राफ पर सहमति नहीं बन पाई है. इसपर लिखी टिप्पणियों से साफ है कि दो देशों- रूस और चीन ने यूक्रेन में युद्ध के संदर्भों का विरोध किया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में दुनिया के सामने विभिन्न विकासात्मक चुनौतियों की चर्चा की गई. समावेशी रोडमैप के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति में तेजी लाने के लिए भारत द्वारा शुरू की गई सात वर्षीय कार्य योजना को स्वीकार किया. इसने एक अन्य दस्तावेज को भी स्वीकार किया जिसका उद्देश्य जलवायु शमन के लिए स्थायी जीवन शैली के वास्ते सहयोग और साझेदारी को बढ़ाना है.

पक्षकारों द्वारा तैयार दस्तावेज के पैराग्राफ 10 और 11 और अध्यक्ष के सारांश में जिक्र है कि अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की और जोर देकर कहा कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा का कारण बन रहा है और रेखांकित किया गया है कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए.” यही बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कही थी.

साथ में यह भी कहा गया है कि युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है और विकास व आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर रहा , मंहगाई में वृद्धि का कारण है, ऊर्जा, खाद्य असुरक्षा और वित्तीय स्थिरता जोखिमों को बढ़ा रहा है. दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि परमाणु हथियारों के उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है और ‘‘संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, साथ ही कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं.''

दस्तावेज के 10वें पैराग्राफ में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध पर चर्चा हुई थी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशिष्ट प्रस्तावों का उल्लेख किया गया था, जिसमें रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता की निंदा की गई थी और यूक्रेनी क्षेत्र से रूस की पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग की गई थी.

दिल्ली में हुई जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यूक्रेन संघर्ष को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाली पश्चिमी शक्तियों और रूस के बीच दरार के कारण संयुक्त विज्ञप्ति जारी नहीं की जा सकी थी. फरवरी में, बेंगलुरु में हुई जी20 के वित्त मंत्रियों की बैठक में चीन और रूस ने यूक्रेन संघर्ष के जिक्र पर आपत्ति जताई, जिसके बाद कोई संयुक्त विज्ञप्ति जारी नहीं की जा सकी थी.

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पक्षकारों द्वारा तैयार दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि सभी जी20 देशों के विकास मंत्री पैराग्राफ एक से नौ और पैराग्राफ 12 से 14 पर सहमत हैं. मीडिया ब्रीफिंग में जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल ने अपने हित के बारे में बात की और अपना दृष्टिकोण रखा.

उन्होंने कहा, “ मैं इसमें नहीं पड़ूंगा - किसने किसका समर्थन किया और किसने नहीं किया.” जयशंकर ने कहा, “अध्यक्ष के रूप में मेरा काम सामान्य तत्वों को खोजना और उन्हें एक साथ रखना था और जो दस्तावेज़ आपके सामने है, यह वही है.”

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पक्षकारों द्वारा तैयार दस्तावेज में कहा गया है कि बैठक ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बहुपक्षवाद और वैश्विक एकजुटता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया और इसे दुनिया के लिए वर्तमान और अन्य वैश्विक संकटों और चुनौतियों से प्रभावी रूप से उबरने के सबसे अच्छा तरीके के तौर पर पर वर्णित किया.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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