टैरिफ वॉर के बीच रूस का भारत से वादा- अमेरिका बाजार बंद करेगा तो हमारा दरवाजा खुला

रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका का दबाव "अनुचित" है और इसने नई दिल्ली के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है.

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भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
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  • रूस ने कहा है कि अगर भारत को अमेरिकी बाजार में निर्यात में समस्या हो तो वह अपने बाजार में स्वागत करेगा.
  • "रूसी कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिका का दबाव भारत के लिए अनुचित और चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर रहा है"- रूस
  • रूस ने भरोसा जताया है कि बाहरी दबावों के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा.
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रूस ने भारत से एक बड़ा वादा किया है. उनसे कहा है कि अगर भारत को अमेरिकी बाजार में अपना सामान भेजने में परेशानी हो रही है तो रूस का दरवाजा खुला है, वह उसके निर्यात का स्वागत करेगा. रूस की तरफ से यह वादा उस समय किया जा रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ रखा है. रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ के साथ भारतीय उत्पादों पर कुल 50 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है.

भारत में रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका का दबाव "अनुचित" है और इसने नई दिल्ली के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है.

रोमन बाबुश्किन ने नई दिल्ली में कहा, "...यदि भारतीय वस्तुओं को अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत कर रहा है..." 

रूसी कच्चे तेल की खरीद पर भारत पर अमेरिका के प्रतिबंधों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "यह अनुचित है… प्रतिबंध उन पर प्रहार कर रहे हैं जो उन्हें लगा रहे हैं. यह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है लेकिन हमें अपने संबंधों पर भरोसा है. हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा."

अमेरिकी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के एक दिन पहले ही बयान दिया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन संघर्ष में आगे बढ़ने से रोकने के लिए भारत पर टैरिफ लगाया है. अमेरिका ने पहले यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाने पर मास्को पर प्रतिबंध लगाने और उसका तेल खरीदने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध (सेकेंडरी सैंक्शंस) लगाने की धमकी दी थी. चीन और भारत रूसी तेल के टॉप दो खरीदार हैं.

रोमन बाबुश्किन ने अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते तनाव पर भी ध्यान दिया और कहा कि अगर वाशिंगटन नई दिल्ली को अपना मित्र मानता है तो वह "ऐसा व्यवहार नहीं करेगा". उन्होंने कहा, "जैसा कि हम सभी जानते हैं, प्रतिबंध गैरकानूनी प्रतिस्पर्धा का एक उपकरण है. यह हमेशा दोहरे मानकों के बारे में है. विश्वास की कमी, ब्लैकमेल और दबाव, साथ ही राष्ट्रीय हितों का अपमान. दोस्त इस तरह का व्यवहार नहीं करते हैं."

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