- संघ प्रमुख मोहन भागवत से पूछा गया कि क्या भारतीय नेताओं को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए?
- भागवत ने कहा कि मैंने ये कभी नहीं कहा कि (75 साल की उम्र में) मुझे या किसी और को रिटायर हो जाना चाहिए.
- उन्होंने कहा कि हम जीवन में कभी भी रिटायर होने को तैयार हैं और जब तक संघ चाहेगा, काम करने को भी तैयार हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन गुरुवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई अहम सवालों के जवाब दिया. इस दौरान उनसे 75 साल में रिटायरमेंट को लेकर भी सवाल किया गया. इस पर भागवत ने कहा कि मैंने कभी किसी को नहीं कहा कि 75 साल में रिटायर हो जाना चाहिए.
मोहन भागवत से पूछा गया कि क्या भारतीय नेताओं को 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए, पद छोड़ देना चाहिए. भागवत ने कुछ समय पहले कहा था कि जब आप 75 साल के हो जाते हैं और कोई आपको शॉल ओढ़ाता है तो आपको रिटायर हो जाना चाहिए. क्या 5 वर्ष के लिए चुने गए व्यक्ति पर भी ये परंपरा लागू होती है.
जवाब में संघ प्रमुख ने कहा कि मोरोपंत जी बहुत मजाकिया व्यक्ति थे. उनकी बातें सुनकर लोग कुर्सी से उछल पड़ते थे. जब वह करीब 75 के हो गए थे तो हमारे एक कार्यक्रम में आए थे. तब उन्हें शॉल ओढ़ाया गया था. इस पर उन्होंने कहा था कि आपको लग रहा होगा कि आप शॉल ओढ़ाकर मेरा सम्मान कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि शॉल ओढ़ाने का मतलब है कि अब आपकी उम्र हो गई है और आपको शांति से कुर्सी पर बैठकर देखना चाहिए कि क्या कुछ हो रहा है. भागवत ने कहा कि ऐसा उन्होंने विनोदपूर्ण लहजे में कहा था.
भागवत ने कहा कि मैंने ये कभी नहीं कहा कि (75 साल की उम्र में) मुझे या किसी और को रिटायर हो जाना चाहिए. संघ में स्वयंसेवक होने के नाते हमें कुछ जिम्मेदारी दी जाती है, चाहे हम चाहें या चाहें. ऐसे में अगर मेरी 80 साल की उम्र में संघ कहे कि जाओ शाखा चलाओ तो मुझे जाना होगा. मैं ये नहीं कह सकता है कि मैं 75 साल का हो गया हूं, अब मैं रिटायरमेंट को एंजॉय करूंगा. संघ के काम में कोई बेनिफिट नहीं है.
भागवत ने आगे कहा कि संघ 35 साल के किसी व्यक्ति को भी कह सकता है कि आप दफ्तर में बैठकर काम करो. संघ में हमें जो कहा जाता है, हम करते हैं. हम ये नहीं कहते कि मैं ये करूंगा, ये नहीं करूंगा. यहां इसकी इजाजत नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां पर कम से कम 10 ऐसे लोग बैठे हैं, जो सरसंघचालक बन सकते हैं. लेकिन वो दूसरे अहम कार्यों में व्यस्त हैं, उन्हें फ्री करके इसमें नहीं लगाया जा सकता. अभी मैं ही हूं, जिसे फ्री किया जा सकता है. इस तरह ये मेरे या किसी के रिटायरमेंट का मुद्दा नहीं है. हम जीवन में कभी भी रिटायर होने के लिए तैयार हैं. और जब तक संघ चाहेगा, हम तब तक काम करने के लिए भी तैयार हैं.