स्वदेशी से लेकर ट्रंप टैरिफ तक...विजयादशमी पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण का पूरा सार समझिए

RSS Chief Mohan Bhagwat Speech: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर संबोधन दिया. उन्होंने देश और दुनिया के समक्ष महत्वपूर्ण समस्याओं पर गंभीरता से अपनी बात रखी.

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RSS Chief Mohan Bhagwat
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  • आरएसएस प्रमुख ने नागपुर में विजयादशमी के अवसर पर देश और विश्व की समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किए
  • भागवत ने पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में कुछ वर्षों के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शनों का जिक्र किया
  • विजयादशमी के मौके पर भागवत ने कहा कि समाज परिवर्तन से ही राष्ट्र और विश्व का निर्माण संभव है
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नागपुर:

Mohan Bhagwat Speech: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में गुरुवार को विजयादशमी उत्सव पर अपना संबोधन दिया. संघ के शताब्दी वर्ष समारोह के बीच भागवत ने देश और दुनिया की बड़ी समस्याओं पर अपनी बातें रखीं. उन्होंने भारत के पड़ोसी देशों में हाल ही में हुए आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंसक प्रदर्शनों से हालात नहीं बदलते, सिर्फ कुछ वक्त उथल-पुथल होती है. लोकतांत्रिक मार्गों से ही बदलाव आता है. राष्ट्रपिता को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, उन्होंने संप्रदायवाद के खिलाफ समाज की रक्षा की. स्वतंत्रता की लड़ाई में महात्मा गांधी जी का योगदान अविस्मरणीय है. स्वतंत्रता के बाद का जीवन कैसे चले ये भी हमने उनसे सीखा है. हमारे उस वक्त के दार्शनिक नेता का योगदान कमाल का है. देश के लिए उन्होंने अपने प्राण दिए, उनकी आज जयंती है.

पड़ोसी देश अपने ही हैं...
भागवत ने कहा, श्रीलंका, बांग्लादेश और फिर नेपाल में उथल-पुथल दिख रही है. कभी-कभी शासन प्रशासन जनता के प्रति संवेदनशील नहीं होता है और जनता की मांगों को ध्यान में नहीं रखकर काम नहीं करती है. असंतोष रहता है, लेकिन इसे इस प्रकार से व्यक्त करना, किसी के लाभ की बात नहीं है. हिंसा और विनाश को डॉ. अंबेडकर ने अराजकता कहा है. प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है. हिंसा से एक उथल-पुथल होती है, लेकिन हालात नहीं बदलते. इतिहास गवाह है कि तथाकथित क्रांति ने उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया. फ्रांस के राजा के खिलाफ क्रांति हुई लेकिन फिर नेपोलियन तानाशाह आ गया. जिन देशों में साम्यवादी क्रांति हुई. वो आज सब पूंजीवादी पद्धति पर चल रहे हैं. अराजकता की स्थिति में देश के बाहरी ताकतों को अपने खेल खेलने का मौका मिल जाता है. ये हमारे पड़ोसी अपने देश हैं. इनसे हमारी आत्मीयता का संबंध है.

परिवार और समाज को बढ़ाना जरूरी

संघ प्रमुख ने कहा, विज्ञान और तकनीक में बदलाव की गति इतनी ज्यादा है कि मनुष्य इसमें तालमेल नहीं बिठा पाता. प्रकृति के प्रकोप और युद्ध की विभीषिका तो हम झेल ही रहे हैं. लेकिन हम परिवारों और समाज में भी समस्याएं बढ़ती देख रहे हैं. भागवत ने कहा कि व्यक्ति और व्यक्तित्व निर्माण से समाज में सुधार और समाज से राष्ट्र और विश्व निर्माण को आगे बढ़ाना है. दुनिया में परिवार और समाज की व्यवस्था भंग हो चुकी है. सिर्फ भारत में बाकी है, इसे संजोकर रखना है. समाज का परिवर्तन ही व्यवस्था परिवर्तन हो सकता है.

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धर्म पूछकर पहलगाम में हत्या हुई
भागवत ने कहा, पहलगाम में सीमा पार के आतंकियों ने हमला किया. 26 भारतीयों का उनका धर्म पूछकर हत्या की गई. उसके कारण देश में दुख की लहर पैदा हुई. पूरी तैयारी करके सेना और सरकार ने पुरजोर जवाब दिया. सेना का शौर्य और समाज की एकता का उदाहरण स्थापित हुआ. ये आतंकी घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए दोस्ताना व्यवहार रखेंगे लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक मजबूत बनना होगा, इस वाकये से पता चला कि हमारे दोस्त कौन कौन हैं. नक्सली आंदोलन पर शासन और प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई हुई है. विचारधारा का खोखलापन होने के कारण समाज में भी उनसे मोहभंग हो गया है.

ट्रंप टैरिफ पर बोले
भागवत ने कहा, अमेरिका ने जो नीति टैरिफ की अपनाई है, वो अपने हित की सोचकर बनाई होगी, लेकिन उसकी मार पूरी दुनिया पर पड़ी है. कोई भी राष्ट्र अलगाव में जी नहीं सकता. लेकिन ये निर्भरता मजबूरी में न बदल जाए. ये कब बदलेगी, कैसे बदलेगी, इसके लिए हमें स्वदेशी और स्वावलंबन को आगे बढ़ाना होगा. आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा, स्वदेशी का इस्तेमाल करना पड़ेगा. इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक संबंध मजबूत रखने होंगे, लेकिन उसमें हमारी मजबूरी नहीं होगी.

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हिंदू समाज को एकजुट रहना होगा
आरएसएस प्रमुख ने कहा, हिन्दू समाज को एकजुट रहना होगा. हिंदू समुदाय को जिम्मेदार और जवाबदेह बनना होगा. हमें हिन्दू राष्ट्र बनाना होगा. हिन्दू समाज ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है. भारत प्राचीन हिंदू राष्ट्र है. मजबूत हिंदू सुरक्षा की गारंटी है. जो दूसरे धर्म ने नहीं दिया, वो हिंदू ने दिया है. 

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पर्यावरण और प्राकृतिक सुरक्षा भी अहम
पहाड़ी राज्यों में आई हालिया आपदाओं का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा जरूरी है. हिमालय जैसी सुरक्षा दीवारों की स्थिति चिंताजनक है. हिमालय के क्षेत्र में जो हम देख रहे हैं. प्राकृतिक प्रकोप बढ़ गया है. ग्लेशियर सूख रहे हैं. दक्षिणपूर्व एशिया के लिए जलस्रोत यहीं हैं. प्रचलित विकास की पद्धति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा. हिमालय की आज की अवस्था से खतरे की घंटी बजी है.

सात पापों का फिर जिक्र
अपने भाषणों में मोहन भागवत ने सात सामाजिक पापों का जिक्र बार बार किया. उन्होंने कहा, 'काम बिना परिश्रम', 'आनंद बिना विवेक', 'ज्ञान बिना चरित्र', 'व्यापार बिना नैतिकता', 'विज्ञान बिना मानवता', 'धर्म बिना बलिदान' और 'राजनीति बिना सिद्धांत' को सात पाप बताया है और इसे समाज में असंतुलन गहराने की वजह बताया.

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