- लालू परिवार में विधानसभा चुनाव हार के बाद तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य के बीच विवाद बढ़ गया है
- रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव और उनके समर्थकों पर गंभीर आरोप लगाया है
- बीजेपी के अमित मालवीय ने लालू परिवार पर निशाना साधते हुए इसे महिला का अपमान बताया हैै
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजद और लालू परिवार में विवाद बढ़ गया है. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव और उनके करीबियों पर गंभीर आरोप लगाया है. अब इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की तरफ से हमले तेज हो गए हैं. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है कि रोहिणी आचार्य ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने पिता लालू प्रसाद को किडनी दान की, ताकि उनकी ज़िंदगी कुछ समय और बढ़ सके.
लेकिन लालू ने अपनी बेटी रोहिणी के सम्मान से ज़्यादा अपने बेटे तेजस्वी को तरजीह दी. आज रोहिणी आचार्या सार्वजनिक रूप से परिवार में चप्पल से पीटे जाने तक की बात कह रही हैं. यही है लालू परिवार की पितृसत्तात्मक, स्त्री-विरोधी और पुरुष-प्रधान मानसिकता का असली चेहरा. इनसे महिला सम्मान की अपेक्षा करना भी अनुचित है.
जदयू नेता नीरज कुमार ने साधा निशाना
जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू यादव पर निशाना साधा है. नीरज कुमार ने कहा है कि एक बेटी का ट्वीट के माध्यम से भाषाई हिंसा के शिकार होने की बात सामने आयी है. अपमान और अनाथ होने की बात कही गई है. यह हमारी परंपरा की बात है. लालू जी की बेटी रोहिणी आचार्य सबकी बेटी है.
उन्होंने कहा कि लालू जी आपको कहां नजरबंद कर के रखा गया था. भागलपुर जेल में बंद दुर्दांत अपराधी रीतलाल यादव के प्रचार के लिए आप निकल सकते हैं.आप आखिर क्यों चुप हैं बेटी की कराह पर? आपका ट्वीट भी नहीं आ रहा है. बयान भी नहीं आ रहा है.
नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में माता पिता भरण पोषण अधिनियम लागू है. लालू जी अगर आपको किसी ने नजरबंद कर लिया है तो आप पटना के जिलाधिकारी के पास आवेदन दीजिए. बेटी की वेदना बहुत भारी पड़ेगा.
सत्ता में वापसी का रास्ता नहीं दिखा तो आपस में ही लड़ने लगे: आरपी सिंह
भाजपा के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने पर कहा कि सत्ता में वापसी का रास्ता नहीं दिखा तो आपस में ही लड़ने लगे हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह ने कहा कि यह बिल्कुल सामान्य बात है और प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि अंदरूनी कलह होगी. वंशवादी पार्टियां जिस तरह काम करती हैं, यह उसका एक हिस्सा है. ये सभी केवल भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए एकजुट हुए थे. अब जब वे सत्ता से बाहर हैं और वापसी का कोई रास्ता नहीं देख रहे हैं तो वे आपस में ही लड़ने लगे हैं.
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