देश में हर दिन 474 लोगों की सड़क हादसे में मौत, ओवर स्पीड सबसे बड़ी वजह: रिपोर्ट

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी 'सड़क हादसे 2023' की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना है. साल 2023 में कुल मौतों में से 68% से ज्यादा तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण हुईं हैं.

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सड़क दुर्घटनाओं में 40% से अधिक मौतें हेलमेट-सीटबेल्ट का उपयोग नहीं करने और नशे में वाहन चलाने के कारण हुई. (प्रतीकात्‍मक)
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  • भारत में 2023 में सड़क हादसों में 1.72 लाख लोगों की मौत हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है.
  • तेज गति से वाहन चलाना सड़क हादसों की प्रमुख वजह है, जिसमें कुल मौतों का 68 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.
  • हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने वाले और नशे में वाहन चलाने से हुई मौतों का प्रतिशत 40 से अधिक है.
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नई दिल्‍ली :

देश में प्रतिदिन 474 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं. भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी 'सड़क हादसे 2023' की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में 1.72 लाख लोगों की सड़क हादसे में जान गई है, जो साल 2022 के 1.68 मौतों से 2.6 प्रतिशत ज्यादा है.

मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना है. साल 2023 में कुल मौतों में से 68% से ज्यादा तेज गति से गाड़ी चलाने के कारण हुईं हैं. हालांकि, यह संख्या 2020 के बाद से सबसे कम है, जहां कुल मौतों में से 69.3% से ज्यादा ओवर स्पीड के कारण हुईं थीं. वहीं, कुल हादसों में से 68.4% हादसे और 69.2% घायल होने के मामले ओवरस्पीडिंग की वजह से हुए. हालांकि 2022 की तुलना में इनमें थोड़ी कमी आई है. कुल दुर्घटनाओं में हादसे 1.4% घटे, मौतें 1.9% कम हुईं और घायलों की संख्या 0.7% घटी है.

हेलमेट और सीट बेल्ट नहीं लगा रहे लोग 

मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 1,72,890 मौतों में से 40% से अधिक मौतें हेलमेट और सीटबेल्ट का उपयोग न करने और नशे में वाहन चलाने के कारण हुई हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में मारे गए 54,568 दोपहिया वाहन चालकों ने हेलमेट नहीं पहना था, जिनमें 39,160 चालक और 15,408 यात्री शामिल थे. यह 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल मौतों का 31.6% था. इसी तरह, सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने वाले वाहन सवारों में 16,025 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 8,441 चालक और 7,584 यात्री शामिल थे, जो वर्ष के दौरान दर्ज कुल मौतों का 9.3% था. 

मंत्रालय के अनुसार, 2023 में शराब या नशे की हालत में गाड़ी चलाने से 3,674 लोगों की मौत हुई और 7,253 लोग घायल हुए. सड़क हादसों में हुई कुल मौतों में से करीब 2.1% मौतें शराब पीकर गाड़ी चलाने की वजह से हुईं. हालांकि, 2022 में ऐसी मौतों की संख्या 4,201 थी, यानी 2023 में इसमें करीब 12.5% की कमी आई. वहीं, 68,783 हिट एंड रन के मामले दर्ज हुए, जिनमें 31,209 लोगों की मौत हुई. गड्ढों से होने वाली मौतों में 16.4% की बढ़ोतरी हुई और यह संख्या 2,161 तक पहुंच गई है.

यूपी में सबसे ज्यादा मौत, शहरों में टॉप पर दिल्ली 

2023 में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं. यहां 23,652 लोगों की सड़क हादसे में जान गई है, जो 2022 (22,595) और 2021 (21, 227) से अधिक है. सबसे कम मौतें अंडमान और निकोबार में दर्ज की गईं. यहां सिर्फ 24 लोगों की जान गई है.

10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली (1457), बेंगलुरु ( 915) और जयपुर (849) में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि अमृतसर, चंडीगढ़ और श्रीनगर में सबसे कम लोगों की जान गई है. 

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हर दिन 26 बच्चों की सड़क हादसे में मौत 

रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें 18 से 45 साल की उम्र के लोगों की हुईं. यह कुल मौतों का करीब 66% (1,14,861 लोग) है. इसी साल हादसों में 9,489 बच्चों की जान गई यानी औसतन हर दिन 26 बच्चे सड़क हादसों का शिकार बनें. हालांकि हाईवे (राष्ट्रीय और राज्य दोनों) देश के कुल सड़क नेटवर्क का सिर्फ 4.9% हैं, लेकिन यहां पर हुई मौतें कुल का 59.3% रहीं. इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग पर 36.5% और स्टेट हाईवे पर 22.8 प्रतिशत लोगों की जान गई है.

टू-व्हीलर और पैदल यात्रियों पर सबसे अधिक खतरा 

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में सड़क हादसों में 35,221 (20.4%) पैदल यात्रियों की मौत हुई है, जो 2022 में 32,825 (19.5%) मौतों से 0.7 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं, सड़क हादसों में हुई मौतों में से सबसे ज्यादा हिस्सा दो-व्हीलर चालकों का रहा, जो 44.8% है. अगर दो-व्हीलर और पैदल यात्री दोनों को मिलाया जाए तो ये कुल मौतों का 65.1% हैं. यानी हादसों में सबसे ज्यादा खतरे में यही लोग रहे. रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से अब तक पैदल यात्रियों की मौत में 124% और दो पहिया चालकों में 48% की बढ़ोतरी हुई है.

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ट्रैफिक नियमों का नहीं हो रहा पालन 

सेवलाईफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा, “ रिपोर्ट में आए आंकड़े चिंतित करते हैं. भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन जमीन पर वास्तविक बदलाव लाने के लिए अभी और बहुत कुछ करना बाकी है. "

उन्होंने कहा कि हादसे के पीछे की एक वजह नियम को सही तरीके से पालन नहीं कराना भी है. उन्‍होंने कहा कि हमारे यहां नियमों को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है लेकिन उसको पालन कराने पर जोर नहीं दिया जा रहा. दूसरा, अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण भी कई हादसे हो रहे हैं. सड़कों पर लेन मार्किंग साफ नजर नहीं आती हैं, पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं है, कई हाईवे पर मीडियन में गैप है, शार्प टर्न्स पर बोर्ड नहीं है, कई सारे एक्सपोज्ड ऑब्जेक्ट है जिस पर टकराकर लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो जा रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन, सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, हेलमेट और सीट बेल्ट का अनिवार्य इस्तेमाल और जन जागरूकता अभियान चलाने पर भविष्य में स्थिति में सुधार हो सकता है.

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