बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी रालोसपा (RLSP) के जदयू (JDU) में विलय के बाद रविवार को कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से पार्टी के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की. पटना स्थित जदयू के प्रदेश मुख्यालय में रविवार को आयोजित एक समारोह के दौरान जदयू में रालोसपा के विलय पर खुशी जाहिर करते हुए नीतीश ने उक्त घोषणा की. इससे पहले अपनी पुरानी पार्टी जदयू मुख्यालय पहुंचे कुशवाहा का नीतीश ने गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया. हाल ही में विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने से चूकी जदयू के प्रमुख नीतीश ने कहा कि चुनाव के बाद से इसको लेकर बातचीत चल रही थी. कुशवाहा के अपने साथ आने पर नीतीश ने कहा, ‘‘हम पहले भी साथ थे. अब भी हम एक हैं और एकसाथ मिलकर प्रदेश और देश की सेवा करेंगे.'' इस अवसर पर जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, संजय कुमार झा और वशिष्ठ नारायण सिंह तथा तथा अब भंग हो गयी रालोसपा के नेता माधव आनंद और फज़ल इमाम मल्लिक भी उपस्थित थे.
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इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश के करीबी सहयोगियों में से एक अशोक चौधरी ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सभी यह समझ रहे हैं कि आगे का राजनीतिक भविष्य नीतीश कुमार के ब्रांड में ही है. हाल के दिनों में कई लोग दूसरे दल छोड़कर जदयू में शामिल हुए हैं. उपेंद्र कुशवाहा की वापसी एक और अध्याय जोड़ती है. भविष्य में कई और लोग भी इसका अनुसरण कर सकते हैं. लोकदल के अलावा नीतीश के दल समता पार्टी और बाद में जदयू में रहे कुशवाहा जब 2004 में पहली बार विधायक बनकर आए तो कई वरिष्ठ विधायकों की नजरंअदाज करके नीतीश ने उन्हें बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था. नीतीश कुर्मी समाज से आते हैं वहीं कुशवाहा कोयरी समाज से हैं. ऐसी चर्चा रही है कि नीतीश ने यह कदम कुर्मी और कुशवाहा (लव-कुश) जातियों के साथ एक शक्तिशाली राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखकर किया था.
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2013 में जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़कर रालोसपा नामक नई पार्टी का गठन कर लिया तथा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गये. इस चुनाव बाद कुशवाहा नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाए गए थे. जुलाई 2017 में जदयू की राजग में वापसी ने समीकरणों को एक बार फिर बदल दिया और रालोसपा ने इस गठबंधन ने नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार मिली. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा. विधानसभा चुनाव में रालोसपा प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था पर इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां पांच सीट जीत पायी थी वहीं रालोसपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी .
Video: JDU में वापस लौटे उपेंद्र कुशवाहा