चीन का उदय, अस्थिर सीमाए मुख्य चुनौतियां, हमें विवादित बॉर्डर विरासत में मिले : CDS

जनरल अनिल चौहान (Chief Of Defence Staff) ने कहा कि चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद एक नया पड़ोसी बना गया. भारत के विभाजन के बाद एक नए राष्ट्र का निर्माण हुआ, जो दुश्मनी और हमारे प्रति नफरत पर पनपा.

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भारत-चीन विवाद पर सीडीएस अनिल चौहान.
नई दिल्ली:

देश के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान (Chief Of Defence Staff)  ने सोमवार को कहा कि चीन का उदय और इस देश से सटी अस्थिर सीमाएं निकट भविष्य में भारत और उसके सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी. चीन के उदय और दुनिया पर इसके प्रभाव के विषय पर रणनीतिक और सुरक्षा परिचर्चा को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने विवादित सीमाओं से संबंधित सभी टकराव (India China Dispute) बिंदुओं पर चीनी सेना के साथ दक्षतापूर्वक निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया. जनरल चौहान ने कहा कि भारत का पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर विवाद है और इन संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे शब्द सामने आए हैं.

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"चीन का उदय बड़ी चुनौती"

सीडीएस ने कहा, "चीन से सटी अस्थिर सीमाएं और चीन का उदय निकट भविष्य में भारत और भारतीय सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी." जनरल चौहान ने कहा कि सभी विवादित सीमाओं की तरह, विरोधी द्वारा नए तथ्य, टॉपोनिमी (स्थान के नामों का अध्ययन), नक्शे में छेड़छाड़ या एक नया विमर्श बनाने की प्रवृत्ति बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा, "इसका फिर से हम सभी को सभी स्तरों पर सामूहिक रूप से मुकाबला करना होगा, जिसमें शिक्षाविद, विचारक और रणनीतिकार शामिल हैं."

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"विवादित बॉर्डर्स विरासत में मिले"

 जनरल अनिल चौहान ने कहा, "आज हम जिस चुनौती का सामना कर रहे हैं, उनमें अस्थिर सीमाएं शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन सीमाएं आकार लेने लगी हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के अधीन बॉर्डर दृढ़ थे, लेकिन उन्हें स्वतंत्रता पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की वैधता नहीं मिल सकी, इस तरह हमें विवादित बॉर्डर्स विरासत में मिले. जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद एक नया पड़ोसी बना गया. भारत के विभाजन के बाद एक नए राष्ट्र का निर्माण हुआ, जो दुश्मनी और हमारे प्रति नफरत पर पनपा.

सशस्त्र बलों के सामने ये बड़ी चुनौती

जनरल अमिल चौहान जिन कार्यक्रम में बोल रहे थे. उसका आयोजन सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के रक्षा और सामरिक अध्ययन विभाग द्वारा किया गया था. जनरल अनिल चौहान ने अस्थिर सीमाओं को भारत के लिए चुनौती बताया, जिसका सामना आज देश कर रहा है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश का दोनों पड़ोसियों के साथ विवाद है. विवादों से उपजे संघर्षों की वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा, नियंत्रण रेखा और वास्तविक जमीनी स्थिति रेखा जैसे शब्द सामने आए. उन्होंने कहा कि चीन के साथ अस्थिर बॉर्डर्स और चीन का उदय निकट भविष्य में भारत और भारतीय सशस्त्र बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बना रहेगा.

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