मुंबई से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए कई कदम उठा रहे हैं व्यापारी

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कारोबार में कमी, कई मजदूर गांव लौट रहे, कई गांव जाने की बना रहे हैं योजना

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प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:

कोरोना के बढ़ते मामलों का असर जहां व्यापार पर पड़ा है तो वहीं प्रवासी मजदूरों की परेशानी भी बढ़ी है. पहले की तुलना में पैसे कम मिल रहे हैं. कई लोग गांव जाने की योजना बना रहे हैं. तो वहीं मजदूरों को पलायन करने से रोकने के लिए अब व्यापारियों की ओर से भी कई कदम उठाए जा रहे हैं. करीब 20 सालों से कोलकाता के हावड़ा इलाके में रहने वाले रुबिन पात्रा मुंबई के मुम्बादेवी इलाके में सोने की दुकान में मजदूरी का काम करते हैं. वो बता रहे हैं कि 2 फरवरी की हावड़ा मेल पकड़ वो गांव लौट रहे हैं.. वजह है कोरोना संक्रमण के वजह से जेब पर पड़ा असर. 

रुबिन पात्रा ने कहा कि काम धंधा बहुत ठंडा है, पहले जैसा होता, ऐसा अब नहीं हो रहा है. इसलिए हम गांव जा रहे हैं. पहले 20-25 हज़ार कमा लेते थे, अब 8-10 हज़ार कमा रहे हैं.

मुम्बादेवी इलाके में बंगाल से आए डेढ़ लाख से ज़्यादा मजदूर सोने चांदी से जुड़े काम करते हैं.. हर किसी ने पिछले लॉकडाउन में बड़ी परेशानी का सामना किया था.. मिदनापुर ज़िले के रहने वाले पपन सामंत को पिछली बार बस से अपने गांव लौटना पड़ा था, 5 दिन का समय लगा था और एक टिकट के लिए इन्हें 10 हज़ार रुपये खर्च करने पड़े थे. इस बार भी काम धीमा होने के कारण कमाई आधी हो गई है, लेकिन यह गांव नहीं जा रहे. कहते हैं कि अगर हालात और बिगड़ते हैं, तब यह इस पर विचार करेंगे...इनकी तरह और भी कई फिलहाल अपने गांव लौटने का विचार कर रहे हैं.

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मजदूर पपन सामंत ने कहा कि पहले से काम कम हुआ, लेकिन हमारे मालिक कहते हैं कि काम बढ़ेगा. इसलिए फिलहाल जाने की योजना नहीं है. हम लोग आपस में भी बात करते हैं, कि क्या करें, क्या ना करें..अगर काम बढ़ेगा तो जाने की ज़रूरत नहीं है, अगर काम कम होगा, तब तो जाना ही पड़ेगा.

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मजदूर सोमनाथ चंद ने कहा कि फिलहाल हालात ठीक है, खाने पीने की व्यवस्था भी है. बाकी हालात के ऊपर हमने छोड़ दिया है. ऐसा हालात रहेगा तो हम गांव नहीं जाएंगे अगर इससे खराब पोजीशन होगी तो हम सोचेंगे गांव जाने का.

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अगर मजदूर दोबारा लौट जाते हैं तो इसका असर पूरे सोने के बाज़ार पर पड़ेगा.. और इसलिए अब व्यापारियों की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि यह लोग अपने आप को सुरक्षित महसूस करें. पिछली बार मजदूरों को सबसे बड़ी परेशानी खाने पीने की हुई थी, इस बार इन सभी के लिए किचन की शुरुआत की गई है, जहां तीनों समय का खाना बनाया जा रहा है.. लॉकडाउन होने पर रहने की व्यवस्था भी की गई है और मजदूरों की वैक्सीनेशन प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है.

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मुंबई ज्वेलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कुमार जैन ने कहा कि,सब जगह हमने हर चीज़ की तैयारी कर रखी है. अगर लॉकडाउन लगता भी है, तो हमने हर इलाके में कुछ किराए की जगह ली हैं. खाने पीने की व्यवस्था भी की है ताकि वे खाकर आराम से रह सकें. दुकान  में रहने वालों के लिए भी कई कदम उठाए हैं, ताकि वे यहां रहकर काम करें और हमारी रोज़ी रोटी भी चलती रहे.

पश्चिम बंगाल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रंजीत दत्ता ने कहा कि, कर्मचारियों की सुविधा के लिए बीएमसी से विनती कर हमने यह कैम्प शुरू किया है. सभी हमारे सोनार के कारीगर हैं, उनके लिए यह कैम्प शुरू किया है.

पिछले लॉकडाउन के समय पलायन का सबसे बड़ा कारण था भूख. इस बार अच्छी बात यह है कि अब व्यापारी खुद कई कदम उठा रहे हैं, ताकि मजदूर गांव पलायन ना करें. लेकिन व्यापारियों के अलावा ज़रूरत है कि सरकार भी नियम बनाते समय इन मजदूरों के बारे में सोचे ताकि जो लोग अबतक केवल सोच रहे हैं कि वे गांव जाएं, उन्हें यह निर्णय नहीं लेना पड़े.

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