पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में कोर्ट का फैसला आ चुका है. सियालदह कोर्ट ने सोमवार को ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है. उसपर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. मामले के 164 दिन बार दोषी संजय रॉय को सजा सुनाई गई. हालांकि, इस केस को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है. इसलिए मौत की सजा नहीं दी सकती.' वहीं, लोकल कोर्ट ने राज्य को पीड़ित परिवार को 17 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया.
18 जनवरी को संजय को दिया गया था दोषी करार
लोअर कोर्ट ने 18 जनवरी को आरजी कर मामले में संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया था. दोषी करार दिया था, लेकिन सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. संजय की सजा के लिए 160 पेज का फैसला लिखा गया है.
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संजय रॉय ने सजा से पहले और क्या कहा?
मामले में सजा सुनाए जाने से पहले रॉय ने अदालत से कहा, ‘‘मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मैंने कुछ भी नहीं किया है फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है.' उसने कहा, ‘‘जेल में मुझे पीटा गया और मुझसे जबरन कागजात पर हस्ताक्षर करवाए गए.''
CBI की थी कड़ी सजा देने की मांग
कार्यवाही के दौरान CBI के एडवोकेट ने दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की. एजेंसी के वकील ने अदालत से कहा, "हम समाज में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करते हैं." रॉय के बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ऐसे सबूत पेश करे, जिससे यह साबित हो सके कि दोषी के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है.
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पीड़ित पक्ष के वकील ने दी ये दलील
बचाव पक्ष के वकील ने दोषी संजय रॉय को सुधरने का मौका देने के लिए ‘मौत की सजा के अलावा किसी अन्य वैकल्पिक सजा' का अनुरोध किया. जबकि पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दोषी के लिए कड़ी सजा का अनुरोध करते हुए तर्क दिया, "संजय रॉय एक वॉलन्टियर होने के नाते अस्पताल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था, लेकिन उसने खुद ही उस ट्रेनी डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध किया, जिसकी रक्षा करना उसका कर्तव्य था."
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था. CTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलन्टियर को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था. इस घटना को लेकर कोलकाता समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए. पश्चिम बंगाल में 2 महीने से भी ज्यादा समय तक मेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों ने हड़ताल की, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही थीं.
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3 को आरोपी में 2 को मिली जमानत
इस केस में CBI ने संजय रॉय समेत 2 लोगों को आरोपी बनाया था. आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को भी आरोपी बनाया था. लेकिन CBI 90 दिन के अंदर संदीप घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस 13 दिसंबर को उसे जमानत दे दी गई. इसके अलावा अभिजीत मंडल को भी चार्जशीट दायर न करने की वजह से जमानत मिल गई थी.
कैसे पकड़ में आया संजय रॉय
आरजी कर मामले की जांच के लिए टास्क फोर्स का गठन हुआ था. टास्क फोर्स ने 6 घंटे के भीतर दोषी संजय रॉय को अरेस्ट किया. संजय रॉय के खिलाफ टास्क फोर्स को क्राइम सीन से कई सबूत मिले थे. CCTV फुटेज में उसे सेमिनार हॉल में घुसते और फिर कुछ समय बाद वहां से निकलते देखा गया था. टास्क फोर्स को सेमिनार हॉल से एक टूटा ब्लूटूथ इयरफोन मिला था. ये दोषी के फोन से कनेक्ट हो गया था. इसके साथ ही संजय रॉय की जींस और जूतों पर पीड़िता के खून के निशान मिले थे. संजय रॉय का DNA मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था.
CBI ने 7 अक्टूबर 2024 को संजय रॉय के खिलाफ दायर की थी चार्जशीट
CBI ने 7 अक्टूबर 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट में चार्जशीट दायर की. इसमें संजय रॉय को एकमात्र आरोपी बताया गया. जांच एजेंसी ने ये भी बताया कि ट्रेनी डॉक्टर का गैंगरेप नहीं हुआ था. CBI की चार्जशीट में 100 गवाहों के बयान, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट रिपोर्ट, CCTV फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन शामिल रहीं.