LJP में बगावत के बाद 'समाधान' की चिराग की सारी कोशिशें नाकाम, मां को पार्टी चीफ बनाने का 'फॉर्मूला' भी हुआ नामंजूर

इस संकट का समाधान निकालने के चिराग पासवान के अब तक के प्रयास नाकाम रहे हैं, इसमें उनकी मां को पार्टी प्रमुख बनाने का फार्मूला भी शामिल था.

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चिराग पासवान अपनी पार्टी में बगावत का सामना कर रहे हैं
पटना:

चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत हो गई है. इसकी अगुवाई उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने की है. हालत यह है कि चिराग अब अपनी पार्टी में ही अलग-थलग पड़ गए हैं और पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने लोकसभा अध्‍यक्ष को लेटर लिखकर उन्‍हें अलग ग्रुप के तौर पर मान्‍यता देने की मांग की है. मामले का सर्वमान्‍य हल निकालने के चिराग के अब तक के प्रयास नाकाम रहे, इसमें उनकी मां को पार्टी प्रमुख बनाने का फार्मूला भी शामिल था.चिराग को मिलाकर LJP के छह सांसद हैं, इसमें से पांच बागी सांसदों ने चिराग को हटाकर पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुना है. गौरतलब है कि चिराग, LJP के संस्‍थापक रामविलास पासवान के बेटे हैं जिनकी पिछले साल मृत्‍यु हो गई थी. दूसरी ओर पशुपति, रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं. 

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गौरतलब है कि संकट का समाधान तलाशने के प्रयास के अंतर्गत चिराग, पार्टी के सांसद और चाचा पशुपति कुमार पारस के दिल्ली स्थित आवास पर उनसे मिलने पहुंचे थे लेकिन बिना मिले ही उन्हें वहां से निकलना पड़ा. करीब पौने दो घंटे इंतजार के बाद भी पशुपति पारस ने मुलाकात नहीं की. इससे पहले जब चिराग अपने चाचा के घर मुलाकात के लिए पहुंचे थे तो काफी देर इंतजार के बाद ही गेट खुला था. गाड़ी के अंदर दाखिल होने के बाद भी चिराग पासवान गाड़ी में बैठे रहे थे. 

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चिराग के साथ एलजेपी नेता राजू तिवारी ही नजर आए. इस मुलाकात से कुछ ही मिनटों पहले पशुपति कुमार पारस ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपने फैसलों को पार्टी हित में बताया था, साथ ही उन्होंने अपील की थी कि चिराग कहीं न जाएं, वह पार्टी में ही बने रहें. बताते चलें कि लोकजनशक्ति पार्टी यानी LJP के अंदर की नाराजगी उस वक्त बाहर आई जब पार्टी के 6 में 5 सांसदों ने  लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें एलजेपी से अलग दल की मान्यता दी जाए. माना जा रहा है कि ये पांचों जेडीयू के संपर्क में हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के समय से ही ये सभी सांसद असंतुष्ट थे. सांसद चिराग पासवान के कामकाज के तरीके से खफा थे. अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पशुपति पारस ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता करार दिया. साथ ही एनडीए के साथ गठबंधन की वकालत भी की. 

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