हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष पर तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी: राज्यपाल

विधायकों होशियार सिंह, आशीष शर्मा और केएल ठाकुर ने 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे सौंपे थे और फिर राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप का अनुरोध किया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला.
शिमला:

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने बुधवार को कहा कि उन्होंने तीन निर्दलीय विधायकों के पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए हैं और उनके इस्तीफे स्वीकार करने पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी उन पर (विधानसभा अध्यक्ष पर) है. विधायकों होशियार सिंह, आशीष शर्मा और केएल ठाकुर ने 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे सौंपे थे और फिर राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप का अनुरोध किया था.

शुक्ला ने कहा, “मैंने कर्नाटक और मध्य प्रदेश के मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा है और उम्मीद है कि उन्होंने इसका संज्ञान लिया होगा.” उन्होंने कहा कि राजभवन की गरिमा है और वह इसे बनाए रखेंगे.

राज्यपाल ने कहा कि राजभवन के पास इस मामले में अधिकार नहीं है और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र अग्रेषित करने के माध्यम के रूप में काम किया.

इन तीन विधायकों ने कांग्रेस के छह बागी विधायकों के साथ 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया था. भाजपा में शामिल होने से एक दिन पहले उन्होंने विधानसभा से अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया.

विधानसभा ने कांग्रेस विधायक दल के एक प्रतिवेदन के बाद इन विधायकों से 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण मांगा है. प्रतिवेदन में कहा गया है कि उन्होंने स्वेच्छा से नहीं बल्कि दबाव में इस्तीफा दिया है.

इस्तीफे स्वीकार करने में देरी से नाराज तीन निर्दलीय विधायक शनिवार को विधानसभा में धरने पर बैठ गए और अपने इस्तीफे तत्काल स्वीकार करने की मांग की.

Advertisement

विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने मंगलवार को कहा था कि “नियमों के अनुसार, यदि विधानसभा का कोई सदस्य अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा सौंपता है, तो इसे बिना किसी देरी के स्वीकार किया जाना चाहिए और हो सकता है कि अध्यक्ष कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दबाव में हों, लेकिन यह सही नहीं है.”

उन्होंने कहा, “हम इस मामले में कानूनी राय भी ले रहे हैं.”

कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के साथ, 68 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ दल की ताकत 40 से घटकर 34 हो गई है, जिसमें अध्यक्ष भी शामिल हैं, जो केवल शक्ति परीक्षण के दौरान बराबरी की स्थिति में ही मतदान कर सकते हैं. सदन में भाजपा के 25 सदस्य हैं.

Advertisement
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
NDTV India Samvad: किस केस को कौन सी बेंच देखेंगी, CJI कैसे करते हैं फैसला? DY Chandrachud ने बताया