केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में आयोजित विश्व डेरी शिखर सम्मेलन में कहा, 'पशुओं से मानव और मानव से पशुओं में बीमारी स्थानांतरित होती है. कोरोनाकाल में भी यह देखने को मिला है. इसलिए बीमारी से निपटने के लिए शोध जरूरी है.'
मांडविया ने कहा, 'शोध के आधार पर एकत्र किया गया डाटा आगे चलकर बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण में मदद करेगा.' उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग तभी सफल है, जब तक पशु हैं और इसके लिए स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा देना होगा.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मनुष्य और मवेशियों में स्थानांतरित होने वाली संक्रामक बीमारियों के प्रति विश्वभर में बड़े स्तर पर शोध की आवश्यकता है. इसके लिए देश में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से एक शोध प्रयोगशाला भी शुरू की जा रही है.”
उन्होंने सम्मेलन के आयोजकों से कहा कि वे सत्र में निकलने वाले निष्कर्षों से जुड़ी रिपोर्ट मंत्रालय से भी साझा करें, ताकि इस दिशा में अधिक गंभीरता से काम हो सके.
वहीं, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉक्टर एल मुरूगन ने डेयरी क्षेत्र में सहकारी समितियों की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्य से डेयरी क्षेत्र में भारत छह प्रतिशत की निरंतर वृद्धि कर रहा है.
कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार दुग्ध उत्पादों के बदले लाभ दिलाने के साथ-साथ मवेशियो के गोबर और मूत्र के माध्यम से किसानों की आमदनी के स्रोत को मजबूत बनाएगी.
वहीं, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन राज्य मंत्री संजीव बालियान ने कहा, 'देश में करीब 10 करोड़ मवेशी हैं और इनमें से लगभग 10 लाख लंपी रोग की चपेट में आए हैं. 75 हजार मवेशी लंपी रोग से दम तोड़ चुके हैं. यानी मौतों की दर महज एक प्रतिशत है.' उन्होंने कहा कि गुजरात से शुरू हुआ लंपी रोग राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में फैल चुका है, लेकिन अब यह खत्म होने को है.
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