नई दिल्ली: जैसा कि चीन ने दावा किया कि दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक भारत के अनुरोध पर हुई थी, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने इसका खंडन किया और कहा कि "चीनी पक्ष से एक लंबित अनुरोध" था.
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सरकारी सूत्रों ने कहा, ''चीनी पक्ष की ओर से द्विपक्षीय बैठक का अनुरोध लंबित था.'' सूत्रों ने कहा कि हालांकि, दोनों नेताओं ने जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान लीडर्स लाउंज में "अनौपचारिक बातचीत" की.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था, "राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अगस्त को उनके अनुरोध पर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी."
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भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बृहस्पतिवार को बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत के दौरान शी चिनफिंग को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘‘अनसुलझे'' मुद्दों के संबंध में भारत की चिंताओं से अवगत कराया.
बैठक में दोनों नेता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर "तेजी से तनाव कम करने" के लिए काम करने पर सहमत हुए, जहां जून 2020 से तनाव बढ़ गया है, जब दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भिड़ गए थे.
विदेश सचिव ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर अन्य ब्रिक्स नेताओं से बातचीत की. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बातचीत में प्रधानमंत्री ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं का उल्लेख किया.''