दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से उन दो नाबालिग भाई-बहन की एक याचिका पर अपना पक्ष रखने को कहा है, जिन्होंने अपने पिता को कोविड-19 महामारी के दौरान खो दिया था और उन्होंने कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई के लिए निजी स्कूल की उनकी फीस माफ करने का अनुरोध किया है.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि वर्तमान में अधिकारियों द्वारा जारी किए गए परिपत्रों में याचिकाकर्ताओं की शिकायतों से नहीं निपटा गया है और केंद्र, दिल्ली सरकार के साथ-साथ उपराज्यपाल से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
याचिकाकर्ता पिछले साल याचिका दायर करने के समय कक्षा सात और कक्षा दो में पढ़ रहे थे. याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष दावा किया है कि उनके 41 वर्षीय पिता की यहां जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने के कारण महामारी की दूसरी लहर में मौत हो गई थी.
अदालत ने हाल के अपने एक आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं के वकील को कुछ हद तक सुनने के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि जिन राहतों का दावा किया गया है, उनमें से एक उन बच्चों की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए फीस माफी के लिए है.''
आदेश में कहा गया है, ‘‘प्रतिवादी संख्या 1 (केंद्र), 2 (दिल्ली सरकार) और 5 (दिल्ली के उपराज्यपाल) का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करें.''
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील भरत मल्होत्रा ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का आग्रह किया कि फीस का भुगतान नहीं करने के कारण नाबालिगों की शिक्षा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. मल्होत्रा ने उन परिवारों और बच्चों के वास्ते मुआवजे के लिए सरकारी योजनाओं को लागू करने का भी अनुरोध किया जिन्होंने आजीविका अर्जित करने वाले अपने महत्वपूर्ण व्यक्ति को कोविड-19 महामारी के दौरान खो दिया है.
याचिका में कहा गया है कि नाबालिगों के पिता, जो कोविड-19 से संक्रमित थे, को पिछले साल 18 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसमें दावा किया गया है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने के कारण पिछले साल 24 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई थी.
मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.