"पत्नी द्वारा 'मंगलसूत्र' उतार देना पति के प्रति मानसिक क्रूरता..." : मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी

महिला के वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात का हवाला देते हुए कहा कि थाली पहनना आवश्यक नहीं है और इसलिए पत्नी द्वारा इसे हटाने से वैवाहिक संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
महिला के वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात का हवाला देते हुए कहा कि थाली पहनना आवश्यक नहीं है.
चेन्नई:

मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि अलग रह रही पत्नी द्वारा ‘थाली' (मंगलसूत्र) को हटाया जाना पति के लिए मानसिक क्रूरता समझा जाएगा. यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने पति की तलाक की अर्जी को स्वीकृति दे दी. न्यायमूर्ति वी. एम. वेलुमणि और न्यायमूर्ति एस. सौंथर की एक खंडपीठ ने इरोड के एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत सी. शिवकुमार की अपील को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की. 

उन्होंने स्थानीय परिवार न्यायालय के 15 जून, 2016 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था, जिसमें तलाक देने से इनकार कर दिया गया था. जब महिला से पूछताछ की गई, तो उन्होंने स्वीकार किया कि अलगाव के समय, उसने अपनी थाली की चेन (महिला द्वारा शादी के प्रतीक के रूप में पहनी जाने वाली पवित्र चेन) को हटा दिया था. हालांकि, महिला ने स्पष्ट किया कि उसने सिर्फ चेन हटाई थी और थाली रखी थी.

महिला के वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात का हवाला देते हुए कहा कि थाली पहनना आवश्यक नहीं है और इसलिए पत्नी द्वारा इसे हटाने से वैवाहिक संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस पर पीठ ने कहा, " यह सामान्य ज्ञान की बात है कि दुनिया के इस हिस्से में होने वाले विवाह समारोहों में थाली बांधना एक आवश्यक अनुष्ठान है." 

अदालत ने उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के आदेशों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि "रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री से, यह भी देखा जाता है कि याचिकाकर्ता ने थाली को हटा दिया है और यह भी उसकी खुद की स्वीकारोक्ति है कि उसने वहीं एक बैंक लॉकर में रखा था. यह एक ज्ञात तथ्य है कि कोई भी हिंदू विवाहित महिला अपने पति के जीवनकाल में किसी भी समय थाली नहीं हटाती है."

पीठ ने कहा था, "एक महिला के गले में थाली एक पवित्र चीज है, जो विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक है और इसे पति की मृत्यु के बाद ही हटाया जाता है. इसलिए, याचिकाकर्ता / पत्नी द्वारा इसे हटाने को एक ऐसा कार्य कहा जा सकता है जो मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला है. ये क्रूरता है क्योंकि इससे प्रतिवादी की पीड़ा और भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है."

यह भी पढ़ें -

-- 'कानून का समर्थन नहीं करुंगा', जनसंख्या कानून की मांग पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा

-- केरल अपनी इंटरनेट सेवा वाला पहला राज्य बना, सीएम पी विजयन ने ट्वीट कर दी जानकारी

ये VIDEO भी देखें- बारिश से हाल बेहाल, 20 जगहों पर नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रहीं

Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack पर PM Modi का स्ट्रिक्ट एक्शन, आतंकियों के घर को किया जा रहा जमींदोज | JK
Topics mentioned in this article