BJP नेताओं को SC से राहत, कोर्ट ने बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर कहा- 'अगले आदेश तक No Action'

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है और कहा है कि कोर्ट के अगले आदेश तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

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बंगाल बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ दर्ज की गई थी FIR, SC से फिलहाल राहत. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

West Bengal Assembly Elections 2021 : पश्चिम बंगाल में बीजेपी के नेताओं के खिलाफ दर्ज FIR मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं को बड़ी राहत दी है. बीजेपी के नेताओं- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई पर अगले आदेश तक रोक लगाई है. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र, सीबाआई व अन्य को भी नोटिस भेजा है.

अर्जुन सिंह के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने जबसे टीएमसी छोड़ी तबसे 64 केस दर्ज किए गए हैं. सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि 'मैं सांसद हूं और मेरे खिलाफ दंगा भड़काने के मुकदमें दर्ज कराए गए, जो राजनीति से प्रेरित है.' वहीं, कैलाश विजयवर्गीय की तरफ से कहा गया कि 'मैं एमपी से सांसद हूं पार्टी पदाधिकारी हूं जबसे पश्चिम बंगाल प्रचार के लिए जाने लगा उसके बाद मेरे खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाने लगे.'

BJP नेता कबीर शंकर बोस के वकील ने उनकी तरफ से कहा कि 'मेरे चरम व्यक्तिगत खतरों के कारण मेरे पास CISF सुरक्षा है, मैं बीजेपी का प्रवक्ता हूं, मेरे ऊपर हमला किया गया.' 6 दिसंबर को कबीर बोस पर हुए हमले के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने CISF से जांच रिपोर्ट सीलबंद कवर में मांगी है.

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बता दें कि पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारियों के बीच बीजेपी के बड़े नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह, सौरव सिंह, पवन कुमार सिंह और कबीर शंकर बोस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मांग की थी कि उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज आपराधिक मुकदमों पर रोक लगाई जाए. याचिका में यह भी मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में कोई कार्रवाई न की जाए या फिर मामलों का ट्रांसफर बंगाल से बाहर सीबीआई या SIT को किया जाए. 

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याचिका में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक विद्वेष के चलते ममता बनर्जी सरकार ने उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए हैं. दअरसल इन लोगों के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं.

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