केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) उग्र रूप ले चुका है. हाल के दिनों में पंजाब और हरियाणा में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा रिलायंस जियो (Reliance Jio) के टावरों को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ करने की खबरें आई थीं. टावरों में तोडफोड़ के मामले में अब रिलायंस ने हाईकोर्ट का रुख किया है. कंपनी ने अपनी संपत्ति और सुविधाओं की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह न तो किसानों से खाद्यान्नों की सीधी खरीद करती है और न ही वह अनुबंध पर खेती के व्यवसाय में है.
इन दोनों राज्यों में कई किसानों ने कृषि कानून के खिलाफ अपना गुस्सा कथित तौर पर रिलायंस जियो के टावरों पर निकाला था. प्रदर्शनकारी किसानों ने टावरों की बिजली बंद कर दी थी और केबल काटने के साथ जियो टावर के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया था. प्रदर्शनकारी किसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को नये कृषि कानूनों का लाभार्थी मान उसका विरोध कर रहे हैं. कृषि कानून के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों को डर है कि ये कानून उनके लिए लंबी अवधि हानिकारक होगा.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने टावरों में तोड़फोड़ की घटना को गंभीरता से लेते हुए तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी की थी और पुलिस से ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करने को कहा था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक बयान जारी कर कहा कि उसकी अनुषंगी रिलायंस जियो इंफोकॉम ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर असामाजिक तत्वों के द्वारा तोड़-फोड़ (टावरों के साथ) की अवैधानिक गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिये सरकारी प्राधिकरणों के तत्काल दखल की मांग की है.
कंपनी ने कहा, "देश में अभी जिन तीन कृषि कानूनों को लेकर बहस चल रही है, उनके साथ उसका (कंपनी का) कोई लेना-देना नहीं है. कंपनी ने यह भी कहा कि उसे इन कानूनों से किसी तरह का कोई फायदा नहीं हो रहा है. रिलायंस का नाम इन तीन कानूनों के साथ जोड़ना सिर्फ और सिर्फ हमारे कारोबार को नुकसान पहुंचाने और हमें बदनाम करने का कुप्रयास है.''
कंपनी ने कहा कि वह कॉरपोरेट या अनुबंध कृषि नहीं करती है. उसने कॉरपोरेट अथवा अनुबंध पर कृषि के लिये पंजाब या हरियाणा या देश के किसी भी हिस्से में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर कृषि भूमि की खरीद नहीं की है. खाद्यान्न व मसाले, फल, सब्जियां तथा रोजाना इस्तेमाल की अन्य वस्तुओं का अपने स्टोर के जरिये बिक्री करने वाली उसकी खुदरा इकाई किसानों से सीधे तौर पर खाद्यान्नों की खरीद नहीं करती है.
रिलायंस ने कहा, ‘‘किसानों से अनुचित लाभ हासिल करने के लिये हमने कभी लंबी अवधि का खरीद अनुबंध नहीं किया है. हमने न ही कभी ऐसा प्रयास किया है कि हमारे आपूर्तिकर्ता किसानों से पारिश्रामिक मूल्य से कम पर खरीद करें. हम ऐसा कभी करेंगे भी नहीं.''
(भाषा के इनपुट के साथ)