भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने कतर की एक अदालत द्वारा संदिग्ध जासूसी के मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के करीब साढ़े तीन महीने बाद जेल में बंद आठ पूर्व नौसैनिकों की रिहाई को भारत के लिए ‘बड़ी कूटनीतिक जीत' बताया और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दुनिया में कहीं भी किसी भी भारतीय पर संकट आया हो, उनकी सुरक्षित स्वदेश वापसी मोदी की गारंटी है. क़तर की जेल में बंद भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी का श्रेय भारत के प्रति दुनिया की दृष्टि बदलने वाले भारत के प्रधानमंत्री की कुशल कूटनीतिक रणनीति को जाता है.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने स्वदेश वापसी पर पूर्व नौसैनिकों का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘जैसे ही हमारे नौसेना के दिग्गज भारतीय धरती पर लौटे तो उन्होंने इसे संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त किया. उनके आभार के शब्द प्रधानमंत्री मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत के राजनयिक कौशल को रेखांकित करते हैं.''
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पूर्व नौसेना कर्मियों की घर वापसी खुशी का क्षण है और इससे किसी भी कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करने की मोदी सरकार की गंभीरता और क्षमता में हमारा विश्वास और मजबूत हुआ है.'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मतलब दुनिया भर में भारत के लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी है.''
भाजपा प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने कहा कि पूर्व नौसैनिकों की रिहाई भारत के लिए 'बड़ी कूटनीतिक जीत' है. उन्होंने कहा, ‘‘एक समय ऐसा लग रहा था कि यह बहुत मुश्किल होगा. लेकिन वे सुरक्षित और स्वस्थ वापस आ गए हैं. यह हर भारतीय के लिए बहुत अच्छी खबर है. यह दिखाता है कि भारतीय विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) के शब्द कितने मायने रखते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है. यह दिखाता है कि कैसे भारत ने इतनी अच्छी तरह से बातचीत की है कि हमारे पास हमारे नौसेना के पूर्व सैनिक वापस आ गए हैं. ''
नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी. निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था.
न तो कतर के अधिकारियों और न ही भारत ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया. पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था. अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था. पिछले साल मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए.
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