प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में न केवल एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय में उल्लेखनीय प्रतिनिधित्व देने की बात कही जा रही है, बल्कि महिलाओं के मामले में रिकॉर्ड संख्या में राज्यपालों (Modi Government Women Governors) को भी जिम्मेदारी दी गई है. रिकॉर्ड के मुताबिक, वर्ष 2014 से आठ महिला गवर्नरों या लेफ्टिनेंट गवर्नरों की नियुक्ति मोदी सरकार में की गई है. इसे पीएम मोदी के नारी शक्ति को और मजबूत बनाने के यकीन का संकेत माना जा रहा है. मोदी सरकार ने मंगलवार को ही आठ नए राज्यपालों की नियुक्ति (Governors Appointment) की है, इनमें केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत को भी राज्यपाल बनाया गया है.
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जिन महिला नेत्रियों और हस्तियों को मोदी सरकार के अब तक के दोनों कार्यकाल के दौरान गवर्नर या एलजी पद की जिम्मेदारी मिली है, उनमें मृदुला सिन्हा(Mridula Sinha), वरिष्ठ आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू, मुस्लिम समुदाय से नजमा हेपतुल्ला(Najma Heptulla), गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel), सम्मानित एससी नेता बेबी रानी मौर्य, एसटी समुदाय से अनुसुइया उकेई, ओबीसी समुदाय से तमिलसाई सौंदर्यराजन और पूर्व आईपीएस किरण बेदी (Kiran Bedi) शामिल हैं.
यही नहीं, मोदी सरकार में नियुक्त 8 महिला गवर्नरों में 5 ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. अगर पिछली सरकारों के इतिहास को खंगालें तो सरोजिनी नायडू, पद्मजा नायडू और नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित को राज्यपाल बनाया गया. मोरारजी देसाई सरकार में शारदा मुखर्जी और जोती वेंकटचलम को यह जिम्मेदारी मिली. राजीव गांधी सरकार में कुमुदबेन जोशी, राम दुलारी सिन्हा औऱ सरला ग्रेवाल ने गवर्नर का ओहदा संभाला.
वीपी सिंह की सरकार में चंद्रावती, नरसिम्हा राव सरकार में शीला कौल और राजेंद्र कुमार बाजपेई को गवर्नर नियुक्त किया गया था. देवेगौड़ा सरकार में फातिमा बीवी और गुजराल सरकार में वीएस रमादेवी को यह अहम पद मिला. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रजनी राय राज्यपाल नियुक्त की गईं. मनमोहन सरकार में प्रतिभा पाटिल, प्रभू राउ, मार्गरेट अल्वा, कमला बेनीवाल, उर्मिला सिंह और शीला दीक्षित को राज्यपाल बनाया गया था.