हमले के वक्त अपने पाकिस्तानी आकाओं के टच में थे आतंकी, दे रहे थे अपडेट, जानिए हाथ लगा क्या बड़ा सबूत

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार NIA की जांच में पता चला है कि जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वो 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

पहलगाम आतंकी हमले के बाद से हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं.  आतंकियों ने मानवता को शर्मसार कर देने वाले घटना को अंजाम दिया. अब हो रहे जांच में खुलासे हो रहे हैं कि ग्राउंड जीरो पर घटना को अंजाम देने वाले आतंकी पूरा अपडेट पाकिस्तान में छिपे अपने आका तक पहुंचा रहे थे. आतंकियों के पास कैमरे और सैटेलाइट फोन भी थे जिससे वो सीधे तौर पाकिस्तान के संपर्क में थे. जांच के दौरान दावे किए जा रहे हैं कि उन्हें पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के तरफ से निर्देशित भी किए जा रहे थे. 

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार NIA की जांच में पता चला है कि जिन आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है वो 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे. सूत्रों के अनुसार इन आतंकियों की मदद करने वाले लोगों से NIA को ये भी पता चला है कि आतंकियों के टारगेट पर पहलगाम के अलावा तीन और लोकेशन भी थे. सूत्रों के अनुसार NIA को जांच के दौरान पता चला है कि घटना से पहले घाटी में तीन सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया था. बताया जा रहा है कि आतंकी पहलगाम के बैसरन घाटी में हमले से दो दिन पहले ही पहुंच गए थे.

इन आतंकियों ने एक साथ तीन और लोकेशन की रेकी की थी. लेकिन उन तीन जगहों पर सुरक्षा पुख्ता होने के कारण आतंकी वहां घटना को अंजाम नहीं दे सके. सूत्रों के अनुसार पहलगाम के अलावा आतंकियों के निशाने पर आरु घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बेताब घाटी भी थे.

Advertisement

सैटलाइट फोन कैसे काम करता है?

सैटलाइट फोन, जिसे 'सैटफोन' भी कहा जाता है, पारंपरिक मोबाइल नेटवर्क के बजाय सीधे उपग्रहों से जुड़कर काम करता है. यह उन स्थानों पर भी संचार की सुविधा देता है, जहां मोबाइल टावर नहीं होते—जैसे समुद्र, जंगल, रेगिस्तान या युद्धग्रस्त इलाके. 

Advertisement

जब कोई व्यक्ति सैटफोन से कॉल करता है, तो उसका सिग्नल जमीन पर मौजूद किसी टावर की बजाय सीधे ऊपर आसमान में मौजूद एक संचार उपग्रह तक जाता है. यह उपग्रह उस सिग्नल को संबंधित रिसीवर—दूसरे फोन या नेटवर्क—तक पहुंचाता है. इसके लिए ज्यादातर फोन LEO (Low Earth Orbit) या GEO (Geostationary Orbit) उपग्रहों का उपयोग करते हैं.  GEO उपग्रह ज्यादा ऊंचाई पर स्थिर रहते हैं, जबकि LEO उपग्रह धरती के चक्कर लगाते हैं और तेज़ प्रतिक्रिया समय देते हैं.

Advertisement

सैटलाइट फोन का प्रयोग सेना, आपदा प्रबंधन एजेंसियों, समुद्री जहाजों और पर्वतारोहियों द्वारा किया जाता है.  इसकी सेवाएं महंगी होती हैं और कुछ देशों में इसकी अनुमति विशेष शर्तों पर मिलती है. कुल मिलाकर, यह तकनीक उन हालातों में जीवन रक्षक साबित होती है, जहां बाकी सभी संचार माध्यम ठप्प हो जाते हैं. 

Advertisement

हाशिम मूसा है घटना में मुख्य किरदार

मूसा पहले पाकिस्तान की पैरा मिलिट्री में शामिल था. बाद में उसे वहां से निकाल दिया गया. इसके बाद वह भारत में प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मूसा पाकिस्तानी सेना के कहने पर लश्कर में शामिल हुआ था. उसे केवल दिखावे के लिए ही एसएसजी से निकाला गया था. ऐसा माना जाता है कि वह सीमा पार कर सितंबर 2023 में भारत आ गया था. वह कश्मीर के बडगाम जिले में सक्रिय था. उसे कश्मीर में लश्कर के संगठन का मजबूत करने का काम सौंपा गया था. 

मूसा एक प्रशिक्षित पैरा कमांडो है.इस तरह के प्रशिक्षित कमांडो अत्याधुनिक हथियार चलाने में माहिर होते हैं.मूसा को  अपरंपरागत युद्ध अभियान चलाने के अलावा खुफिया मिशन चलाने में भी माहिर माना जाता है.सूत्रों के मुताबिक मूसा के बारे में ये जानकारियां पहलगाम हमले के बाद हिरासत में लिए गए उन 14 लोगों ने दी है, जिनसे सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ की है. इन लोगों पर पहलगाम हमले में शामिल होने का शक है.इन लोगों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों को जरूरी सामान मुहैया कराने और घटना वाले जगह की रेकी करने का आरोप है. 

ये भी पढ़ें:- किसने बनाया ये मुजस्समा! हेलीकॉप्टर में बदल डाली कार, लगा मजमा


 

Featured Video Of The Day
Opposition के दबाव में हो रही Caste Census? Rahul Gandhi के दावे पर क्या बोले Shivraj Singh Chouhan
Topics mentioned in this article