RBI ने दी राहत, लाई नई लोन मोरेटोरियम स्कीम, इन्हें मिलेगा फायदा

केंद्रीय बैंक ने अपनी वन-टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को फिर से खोल दिया है. इस योजना के तहत 25 करोड़ तक का लेन-देन रखने वाले छोटे व्यापारियों सहित MSMEs को लोन रीस्ट्रक्चरिंग का सेकेंड राउंड में फायदा मिलेगा.

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RBI ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच आज आर्थिक मोर्चे पर कई घोषणाएं की हैं.
नई दिल्ली:

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कोरोना की दूसरी लहर से आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए बुधवार को अहम घोषणा की है. केंद्रीय बैंक ने अपनी वन-टाइम लोन रीस्ट्रक्चरिंग प्लान को फिर से खोल दिया है. आरबीआई ने 25 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने वाले व्यक्तिगत, छोटे उधारकर्ताओं को ऋण के पुनर्गठन यानी लोन रीस्ट्रक्चरिंग का दूसरा मौका दिया, ऐसे बिजनेस जिन्होंने पहले फ्रेमवर्क के तहत इसका फायदा नहीं उठाया था, जो अब वो इस योजना का फायदा उठा सकते हैं.

इस योजना के तहत 25 करोड़ तक का कर्ज लेने वाले छोटे व्यापारियों सहित MSMEs यानी कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम व्यापार संस्थाएं- जिन्होंने रीस्ट्रक्चरिंग का फायदा नहीं उठाया था और जहां 31 मार्च, 2021 तक लोन स्टैंटर्ड की श्रेणी में थे- उनको लोन रीस्ट्रक्चरिंग का सेकेंड राउंड में फायदा मिलेगा.

आज मीडिया को अपने संबोधन में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि छोटे व्यापारियों और MSMEs- जो इस वक्त सबसे ज्यादा दबाव में चल रहे हैं, उन्हे राहत देने के लिए रेजॉल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि इस प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत रीस्ट्रक्चरिंग के लिए 30 सितंबर तक अपील की जा सकती है और इसे अगले 90 दिनों के भीतर लागू करना होगा.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने नई अनिश्चितताएं पैदा कर दी हैं, ऐसे माहौल में सबसे ज्यादा असर छोटे उधारकर्ताओं, छोटे बिजनेस और MSMEs पर हो रहा है. उन्होंने कहा, 'छोटे उधारकर्ता और छोटे व्यापार जिन्होंने रेजॉल्यूश फ्रेमवर्क 1.0 के तहत, (जिसमें दो सालों से कम की अवधि के लिए मोरेटोरियम की छूट मिली हुई थी) लोन रीस्ट्रक्चरिंग का फायदा उठाया था, अब कर्ज देने वाली संस्थाओं को अनुमति है कि वो अब ऐसी योजनाओं के तहत मोरेटोरियम पीरियड बढ़ाने या टेन्योर को कुल दो साल की अवधि तक बढ़ाने का कदम उठा सकते हैं.

और क्या घोषणाएं हुईं?

इसके अलावा आरबीआई गवर्नर ने बताया कि आरबीआई अर्थव्यवस्था में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह बढ़ाने के लिए सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप 1.0) के तहत 20 मई को 35,000 करोड़ रुपये की दूसरी खरीद करेगा. वहीं मेडिकल सर्विस सेक्टर को फंड की उपलब्धता बढ़ाने लिए घोषणा की गई है कि बैंक 31 मार्च 2022 तक अस्पतालों, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं, वैक्सीन आयातकों, कोविड दवाओं को 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज देंगे. 

आज आरबीआई ने केवाईसी अनुपालन मानदंडों को तर्कसंगत बनाने की घोषणा की, कुछ श्रेणियों के लिए वीडियो-आधारित केवाईसी का प्रावधान किया है. और राज्य सरकारों को 30 सितंबर तक ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाने के नियमों में ढील दी गई है.

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