कैसे फैला हज़ारों करोड़ के ड्रग्स का जाल?

डाउन टू अर्थ की इस खबर को अब फ्लॅाप कर देखिए इसमें संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार भाई भारत नशे के सेवन के मामले में दुनिया का सबसे बडा बाजार बन गया है .जिस तादाद में ड्रग्स के ग्राहक है लगता है की सप्लाइ और बढने वाली है.

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नई दिल्ली:

नमस्कार मैं रवीश कुमार....

सितंबर दो हजार इक्कीस में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से इक्कीस हजार करोड का ड्रग पकडा गया था । तब ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट से करीब तीन हजार किलोग्राम हेरोइन की खेप मुंद्रा पोर्ट पर पकडी गई । डाल इंजिन्स ने इस खेप को पकडा , ये इतनी बडी कामयाबी थी कि लोगों की नजर जानी ही थी कि आखिर गुजरात में इक्कीस हजार करोड की हेरोइन कैसे पकडी गई है । क्या भारत में या गुजरात में ड्रग्स का जाल इतना बिच चुका है कि इक्कीस हजार करोड के ड्रग की खपत होने लगी है? आज गांधी नगर में गृहमंत्री अमित शाह ने नॉरकोटिक्स ब्यूरो के कार्यों की समीक्षा की । उनकी ऑनलाइन मौजूदगी में अंकलेश्वर और दिल्ली में कई हजार किलोग्राम ड्रग्स जला दिया गया । इसकी कीमत छह सौ बत्तीस करोड से ज्यादा बताई जाती है । कुछ समय पहले अमित शाह की मौजूदगी में ही गुवाहाटी में भी चालीस हजार किलोग्राम ड्रग्स जला दिया गया । चंडीगढ में तीस हजार किलोग्राम ड्रग्स जलाया गया । इसके बहाने ही हम ये सवाल पूछ रहे हैं कि गुजरात से लेकर देशभर में ड्रग्स का जाल कैसे फैल गया । इसकी जवाबदेही से हर कोई बच रहा है । इसलिए हम आज एक प्रयास कर रहे हैं । ड्रग को लेकर छपी पुरानी खबरों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिससे अंदाजा हो सके की गुजरात में ड्रग्स का जाल कितना फैला है और अमित शाह के सामने इसके जलाने का क्या राजनीतिक महत्व हो सकता है । पिछले साल सितंबर में कितना हंगामा मचा की गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर इक्कीस हजार करोड की हेरोइन पकडी गई, सरकार चुप हो गए और पत्रकारों ने चुप्पी साध ली । हर कोई हैरान था कि इतनी बडी घटना हो गई मगर कहीं कोई डीबेट नहीं । कहीं कोई सवाल नहीं । 

इसी चुप्पी को लेकर सवाल उठने लगते हैं और जाँच का काम अपने हाथ में लेती है । ने दिल्ली के अलावा तीन राज्यों में बीस ठिकानों पर छ छापेमारे । कई लोग गिरफ्तार । दिल्ली के हरप्रीतसिंह तलवार और प्रिंट शर्मा को इस मामले में गिरफ्तार किया गया । मुंद्रा बंदरगाह का संचालन अदानी का समूह करता है । उसे लेकर भी आरोप लगे । तब अदाणी समूह ने एक बयान जारी किया कि कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह पर ड्रग्स पकडा गया है । कंपनी केवल बंदरगाह का संचालन करती है । उसके पास बंदरगाह पर आने वाले कंटेनरों की जाँच करने का कोई अधिकार नहीं है । विपक्ष आक्रमक होता चला गया । कांग्रेस के प्रवक्ता सवाल पूछने लगे कि गुजरात में ड्रग्स का कारोबार फैल गया है । ये सवाल आम आदमी पार्टी भी उठाने लगी कि इसके लिए कौन जवाबदेह ध्यान रखिएगा । रणदीप सुरजेवाला का ये बयान पिछले साल का है । क्या प्रधानमंत्री जी जवाब देंगे? सवाल नंबर एक एक लाख पचहत्तर हजार करोड के पच्चीस हजार किलो हेरोइन ड्रग्स कहाँ गए जो तथा कथित तौर से जून में आए थे? इसी अदानीपोर्ट्स सवाल नंबर दो नॉर्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो डी आइ ईडी, सीबीआइ, आइबी क्या वो सोये पडे हैं या फिर उन्हें मोदी जी के विरोधियों पर रेट डालने से फुर्सत नहीं मिल रही? सवाल नंबर तीन क्या यह सीधे सीधे देश के युवाओं को नशे में धकेलने का षड्यंत्र नहीं? सवाल नंबर चार क्या ड्रग माफिया को सरकार में बैठे किसी पोष राजनेता का संरक्षण है? सवाल नंबर पाँच क्या ये राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड नहीं? क्योंकि ये सारे ड्रग्स तो तालिबान द्वारा अफगानिस्तान से भेजे गए । 
उस वक्त लोग पूछ रहे थे कि प्रधानमंत्री मंदिर जाते हैं । तब गोदी मीडिया का तंत्र तमाम रिपोर्टरों को भेजता है । घंटो कवरेज होता है । लेकिन इक्कीस हजार करोड का ड्रग्स गुजरात में पकडा गया है । उसका कवरेज क्यों नहीं हो रहा? हमने पुरानी खबरों को खंगालकर देखने की कोशिश की की गुजरात में ड्रग्स का कारोबार कैसे फैल गया? वहाँ पर कच्चा माल को कर बेहतर माल बनाने की फैक्टरियां कैसे बनी? सत्ताईस साल से बीजेपी की सरकार है । किसकी नाक के नीचे गुजरात में ड्रग्स का कारोबार फैला है या गुजरात के जरिए देशभर में या केवल गुजरात की चिंता का विषय नहीं है । हर घर की चिंता का विषय होना चाहिए । चेक कीजिए कि आपके घर के बच्चे इसकी चपेट में तो नहीं है । क्या आप मान सकते हैं इक्कीस हजार करोड का ड्रग पकडा गया हो, तीन हजार किलो का ड्रग पकडा गया हो और ये पैसा राजनीति तक नाक इसके सरगना बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के हजारों करोड रुपए के ड्रग्स का कारोबार करते हो । क्या आप ये सब मान सकते हैं? गिरफ्तार हुए लोगों के नाम और हुलिया से लगता है पैकिट मार लेवल के लोग इस कारोबार में लगे हैं जिस पर यकीन तभी किया जा सकता है जब दिल और दिमाग दोनों हम मीडिया के प्रोपैगैंडा के आगे गिरवी रखते हैं । तीन दिन पहले भास्कर की खबर है कि आनंद के विरासत पुलिस थाने से एक सौ चवालीस किलोग्राम गांजा चोरी हो गया । थाने से गांजा चोरी हो जा रहा है । अक्टूबर में ही आठ तारीख के हिंदू अखबार में खबर छपी है कि गुजरात ने बीच सागर में इंडियन कोस्ट गार्ड के साथ मिलकर साढे तीन सौ करोड की हेरोइन पकडी है । 

पाकिस्तानी नाव से पचास किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई है और इस पर सवार छह लोग गिरफ्तार हुए हैं । इसी साल सत्रह अगस्त की खबर है कि गुज रात में सोलह सौ किलोग्राम ड्रग्स पकडा गया है जिसकी कीमत पंद्रह सौ करोड तक है । गुजरात पुलिस ने भरुच से दस लोगों को गिरफ्तार किया तेरह जुलाई दो हजार बाईस के हिंदू अखबार में खबर है कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से पचहत्तर किलोग्राम हेरोइन पकडी गई है । इसी बंदरगाह से सितंबर दो हजार इक्कीस में इक्कीस हजार करोड की हेरोइन पकडी गई थी । पंजाब पुलिस और गुजरात के फसने मिलकर तीन सौ पचहत्तर करोड का ड्रग पकडा ड्रग उं दुबई से लाया गया था । छब्बीस मई दो हजार बाईस के हिंदू में ही खबर है कि गुजरात के मुंद्रा कोर्ट से पाँच सौ करोड का कोकेन जब्त हुआ है । इसी साल अप्रैल महीने में गुजरात केन्द्र के साथ साझा परेश इनमें तेरह सौ करोड की हेरोइन पकडी । कच्छ के कांडला बंदरगाह से तेरह फरवरी दो हजार बाईस के इंडिन एक्स्प्रेस में खबर छपी है कि गुजरात में दो हजार करोड का ड्रग्स पकडा गया है । नारकोटिक्स ब्यूरो और भारतीय नौसेना ने इसे पकडा । दो हजार बाईस में गुजरात ने तीन हजार पाँच सौ छियासी करोड के ड्रग्स पकडे । तेईस लोग गिरफ्तार हुए जिसमें सोलह पाकिस्तानी और तीन अफगानी नागरिक हैं । दो हजार बीस और इक्कीस में गुजरात ने पंद्रह सौ इक्यानबे करोड का ड्रग पकडा । इकतालीस लोग गिरफ्तार हुए । बारह पाकिस्तानी और सात ईरानी नागरिक थे । अठारह अगस्त दो हजार बाईस के इंडियन एक्सप्रेस में खबर छपी है कि मंगरोल तट से ड्रग्स के एक सौ चार पाँच पकडे गए । इस मामले में पंद्रह ईरानी नागरिकों को जूनागढ पुलिस ने गिरफ्तार किया है । 

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इसके पहले चरस के चार सौ सत्तावन पैकिट, गिर सोमनाथ, जूनागढ और पोरबंदर के तटीय इलाकों से पकडा गया । पुलिस जाँच कर रही है कि ड्रग्स आया कहाँ से । तो इन खबरों से पता चलता है कि गुजरात के तटीय इलाकों का खूब इस्तेमाल हो रहा है । कांडला, मुंद्रा और अन्य बंदरगाहों से कई हजार करोड के ड्रग पकडे जा चुके हैं । इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो ड्रग्स नहीं पकडा गया होगा वो कितने का रहा होगा । और कितनों की जिंदगियां कर रहा होगा । हम इन खबरों की पडताल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गुजरात में आज गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में ड्रग्स जलाया गया है । अगर इसका संबंध राजनीतिक संदेश से है तो फिर सवाल और सख्त होते हैं । ये सारे सवाल जवाबदेही से शुरू होते हैं की ड्रग्स का कारोबार वहाँ पर फैला कैसे? बीस सितंबर दो हजार बाईस को दवाई में एक रिपोर्ट छपती है इसमें वैशाली बासु शर्मा बता रही हैं कि सरसरी तौर पर भी देखने से यह पता चलता है कि गुजरात का कच्छ ड्रग्स की तस्करी का केंद्र बन गया है । अरब सागर के रास्ते से भारी मात्रा में ड्रग्स पहुँचाया जा रहा है क्योंकि कच्छ का समुद्री किनारा एक हजार किलोमीटर लंबा है और खुला हुआ है । तस्करों के लिए ये रूट आसान हो गया है । इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि गुजरात भर में हेरोइन को संशोधित करने की छोटी छोटी फैक्ट्रियां खुल गई है । 

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अगस्त दो हजार इक्कीस में मुंबई पुलिस ने अंकलेश्वर में एक ऐसी ही फैक्ट्री से एक हजार छब्बीस करोड का ड्रग पकडा जिससे ऍम डी ड्रग कहते हैं । पाँच सौ तेरह किलोग्राम मेफेड्रोन को यहाँ कर असरकारी ड्रग में बदला जा रहा था । दो हजार बीस में सिमरनजीत सिंह संधू की होती है । उसी ने बताया की उसका गिरोह समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करता रहा है । मांडवी के तट पर खेप उतरती है और फिर सडक मार्ग से अलग अलग जगहों पर पहुंचाया जाता है । मांडवी कच्छ का सदियों पुराना व्यापारिक बंदरगाह रहा है । संधू का गैंग उत्तरी गुजरात के उंझा में मसालों के बाजार का भी इस्तेमाल कर रहा था, जिनके पैकिट के भीतर ड्रग्स छिपाकर पहुँचाया जा रहा था । इन लोगों ने अमृतसर के बाहर ड्रग की एक फैक्टरी भी बनाई जहाँ हेरोइन का कच्चा माल कर सेवन के लायक बनाया जाता था । फिर यहाँ से भारत और यूरोप के बाजारों में भेजा जाने लगा । द वायर की रिपोर्ट और उससे पहले कई मीडिया रिपोर्ट में आपने ध्यान दिया होगा कि ड्रग्स पकडने के लिए मुंबई पुलिस, पंजाब पुलिस, दिल्ली पुलिस, गुजरात के चक्कर लगा रही है । केंद्र की कई एजेंसियां भी गुजरात के चक्कर लगा रही हैं । वाइर की इस रिपोर्ट में एक बेहद खतरनाक बात ये है कि ड्रग्स का कच्चा माल लाकर गुजरात भर में बनी फैक्ट्रियों में इसे साफ किया जाता है, संवर्धित किया जाता है और उसे उच्च कोटि का बनाया जाता है । हमने इसी सवाल को लेकर कुछ खबरों को और सर्च किया । इसी साल अठारह अगस्त की ये रिपोर्ट इंडियन एक्सप्रेस में छपी है । 

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वडोदरा के गाँव से दो सौ पच्चीस किलो ग्रॉस ड्रग्स बरामद किया जाता है जिसकी कीमत ग्यारह सौ पच्चीस करोड बताई गई है । गुजरात पुलिस और गुजरात एटीएस की साझा कार्रवाई में ये जब्ती हुई फॅस की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में छह लोग गिरफ्तार हुए । मोसी गाँव में रसायन बनाने की फैक्टरी में ड्रग्स तैयार किया जा रहा था । सूरत के महेश धोराजी और वडोदरा के पियूष पटेल को गिरफ्तार किया गया । इन दोनों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वडोदरा और आनंद में एक फैक्टरी बनाई है जहाँ ऍम ड्रग तैयार किया जाता है । राकेश मकानी को मास्टरमाइंड इन खबरों में बताया गया है । सोचिए फैक्टरी बनाकर हजार हजार करोड के ड्रग के कारोबार में लोग लगे हुए हैं । इससे पता चलता है कि इस खेल में बहुत से लोग शामिल होंगे । इससे हासिल पैसा किसी ना किसी तरह राजनीति में तो जाता ही होगा । आपको अगर लगता है कि कि ये सब हाल के वर्षों की घटना है तो दो हजार तेरह में इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट का जिक्र करना चाहता हूँ । इस रिपोर्ट में लिखा है कि नारकोटिक्स ब्यूरो और संयुक्त राष्ट्र की कमिटी के अनुसार भारत ड्रग तैयार करने का सेंटर बनता जा रहा है । गुजरात और महाराष्ट्र में बहुत सारे ऐसे गुप्त लॅा पकडे गए । दो हजार सत्रह में हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट है कि नारकोटिक्स ब्यूरो के पूर्व अधिकारी का बयान है कि ड्रग्स के तस्कर समुद्री मार्गों का इस्तेमाल कर रहे हैं । अफगानिस्तान से हेरोइन लाकर भार में खपा रहे हैं । भारत से दूसरे देशों में भी भेजा जा रहा है । दो हजार सत्रह में गुजरात के तटीय इलाकों से पैंतीस सौ करोड का ड्रग पकडा गया था । गुजरात के गाँव में ड्रग्स तैयार करने कि फैक्ट्रियां लगी हैं । यह कैसे संभव हुआ? इस साल सत्ताईस जून को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व ड्रग रिपोर्ट जारी किया । 

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डाउन टू अर्थ की इस खबर को अब फ्लॅाप कर देखिए इसमें संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का जिक्र किया गया है । रिपोर्ट के अनुसार भाई भारत नशे के सेवन के मामले में दुनिया का सबसे बडा बाजार बन गया है । जिस तादाद में ड्रग्स के ग्राहक है लगता है की सप्लाइ और बढने वाली है । दो हजार बाईस में भारत में एक टन से कुछ काम मॉर्फिन पकडा जाता है जो दुनिया में तीसरा सबसे अधिक था । हेरोइन पकडे जाने के मामले में भारत दुनिया में पाँचवें नंबर पर आता है । इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि पंजाब और हिमाचल नशे के मामले में सबसे आगे हैं और गुजरात तीसरा प्रदेश हो गया है, जहां ड्रग के ओवर डोज से लोगों की मृत्यु हो रही है । राष्ट्रीय अपराध शाखा ब्यूरो एनसीआरबी की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी जाती है । दो हजार सत्रह की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ड्रग्स के ओवर डोज से सात सौ पैंतालीस लोग एक साल में मर गए । दो हजार अठारह में ड्रग्स के ओवर डोज से आठ सौ पचहत्तर लोग मर गए । दो हजार बीस में पांच सौ चौदह लोग मारे और दो हजार इक्कीस में सात सौ सैंतीस । आज की रिपोर्ट में उन परिवारों के हाँ हाल नहीं है । उनके चेहरे नहीं हैं जिनके बच्चे ड्रग्स की चपेट में आए और सब कुछ बर्बाद हो गया । समय और संसाधनों की कमी के कारण ऐसा हो जाता है । 

इसलिए अब आप भी पूरी तस्वीर नहीं देख पाते है । ड्रग के भयंकर असर का आधा से भी कम हिस्सा ही देख पा रहे हैं । सवाल है कि गुजरात ड्रग के कारोबार का अड्डा कैसे बन गया । यही वो तस्वीर है जिसके बहाने हमें गुजरात और ड्रग के कारोबार के जाल को समझने का मौका मिला जिसके बहाने हमने पुरानी खबरों को खंगाला और देखा की ड्रग्स के जाल को लेकर पंजाब की चर्चा होती थी, उस पर फिल्में बनती रही, गाने बनते रहे मगर पंजाब के पीछे पीछे गुजरात कैसे ड्रग्स की चपेट में आता चला गया । उम्मीद है गृहमंत्री अमित शाह केवल चुनावी माहौल के हिसाब से नहीं सोच रहे होंगे । यह मामला नौजवानों को बचाने का भी है । जिस तादाद में ड्रग्स पकडे जा रहे हैं उससे यही लगता है कि गली गली में इसका मिलना सुलभ हो चुका है । इस प्रकार से नॉर्कोटिक्स दिमाग की तरह हमारे देश के युवाओं को खत्म करने का काम कर रहा है । तो दूसरी ओर हाँ टिक्स के व्यापार से जो धन होता है वो ऍम पोषण का भी काम करता है । दोनों देश युवा को सुरक्षित रखना और देश ऍम के वित्त पोषण पर एक करारा दोनों दृष्टि से मैं मानता हूँ कि लडाई को भारत सरकार, सभी एजेंसियां, राज्य सरकार, सभी एजेंसी और पुलिस ने साझा लडाई फॅमिली के साथ लेना पडेगा, लडना पडेगा और आजादी का अमरूद महोत्सव जो मनाने की शुरुआत तब संकल्प ने लिया था की पचहत्तर दिन में हम पचहत्तर हजार से ज्यादा को जला कानूनी प्रक्रिया पूरी चलाकर कीर्तिमान स्थापित करेंगे । मगर आज मुझे आनंद है कि यहाँ पर जलाएंगे । ट्रक का टोटल कर दे तो लगभग लगभग । यहाँ पर एक लाख पचास उँचा । एक लाख पचास सुंदर से जलाने का काम हम समाप्त कर चुके हैं और समय है मुँह का कारोबार हजारों करोड रुपए का है ।

इसके पीछे असली खिलाडी कौन है? उसका राजनीतिक चेहरा कैसा होगा? क्या हम कभी इन सवालों के उत्तर जान पाएंगे? अभी तक जो गिरफ्तारियां हुई हैं उसमें कोई बडे नेटवर्क का खिलाडी नहीं लगता । सामान्य रूप से संदेह होता ही है कि असली खिलाडी कौन होगा? जरूर गुजरात, गुजरात पुलिस, दिल्ली पुलिस और मुंबई पुलिस ने ड्रग की कई खेप पकडी है । मगर उनकी तारीफ से पहले इसकी चिंता जरुरी है कि गुजरात में या जाल किसकी नाक के नीचे फैला है या ट्वीट दो हजार तेरह का है । हर्ष सांघवी गुजरात के गृह राज्यमंत्री हैं मगर तब नहीं थे । विधायक थे । 2013 में लिखते हैं कि डॉक्टर यूइन टोमॅटो हाउस, स्ट्रॉंग उर्विल पाँच । हर्ष सांघवी ने विधायक रहते दो हजार अठारह में भी एक ट्वीट किया लिखा कि उनहत्तरवें गणतंत्र दिवस के मौके पर ड्रग्स के खिलाफ एक रैली का उद्घाटन किया है । इसका मतलब है कि गुजरात के नेताओं को पता है कि राज्य में ड्रग का जाल कितना फैल गया है । उम्मीद है आप खबरों को इसी तरह देखेंगे । इस तरह से पेश करने में खबरें भले बोरिंग लगती है मगर मेहनत बहुत लगती है । आप केवल एक विडियो नहीं देखते हैं कि अमित शाह की मौजूदगी में जब्त किए हुए ड्रग्स जलाए गए बल्कि आपके सवाल और भी बेहतर होते जाते हैं और आप गृहमंत्री से पूछ सकते हैं कि उनकी सरकार चौकस होने का दावा करती है, गुजरात में भी और दिल्ली में भी । फिर भी ये एम ट्वर्क उनके ही राज्य में कैसे बडा हो गया? बिहार में हुआ होता तो मीडि ऑनलाइन लगाने लगता कि जंगलराज आ गया है और तेजस्वी यादव को इस्तीफा दे देना चाहिए । जंगलराज की हेडलाइन केवल बिहार के लिए ही रिजर्व क्यों है? दुनिया भर में मंदी आने वाली है । 

भारत के वित्त मंत्री ने कहा है कि मंदी का असर पढने का जीरो चांस है । देखना है कि भारत पर मंदी का असर पडता है या न । फिलहाल सरकार ने ही जानकारी दी है कि जुलाई दो हजार बाईस के मुकाबले अगस्त दो हजार बाईस में ईपीएफो के खाताधारकों की संख्या घट गई है । इस से पता चलता है कि संगठित क्षेत्र में भी नियुक्त कर्मचारियों की संख्या घटी है । उधर सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिन हाँ मम्मी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि पिछले करीब दो हफ्ते से बेरोजगारी दर बढकर सात प्रतिशत से ऊपर चली गई है जो कि बहुत ज्यादा है । हाल ही में प्रधानमंत्री ने पचहत्तर हजार युवकों को नौकरी का पत्र दिया लेकिन सांख्यिकी मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बता रही है कि अगस्त महीने में स्थायी नौकरी करने वालों की तादाद कम हुई है । इसका प्रमाण सांख्यिकी मंत्रालय का ये आंकडा है कि ईपीएफ के नए खाताधारक जुलाई से अगस्त के बीच करीब सवा लाख से ज्यादा घट गए हैं । सांख्यिकी मंत्रालय की इस रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई दो हजार बाईस में पि ऍफ के नए खाताधारकों की संख्या ग्यारह लाख उन्नीस हजार छह सौ अट्ठानबे थी जो अगस्त दो हजार बाईस में घटकर नौ लाख छियासी हजार आठ सौ पचास रह गई । जुलाई दो हजार बाईस में ईपीएफ से दोबारा जुडने वाले खाताधारकों की संख्या बारह लाख इकहत्तर हजार पाँच सौ अट्ठावन थी जो अगस्त दो हजार बाईस में घटकर दस लाख अठहत्तर हजार चार सौ बासठ रह गई । यानी अगस्त दो हजार बाईस में पि ऍफ के नए खाताधारकों की संख्या घटी और दोबारा ऍफ से जुडने वाले कर्मचारी भी घट गए । उधर देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी का संकट बडा हो रहा है । 

भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ने बेरोजगारी पर अपनी ताजा रिपोर्ट में आगाह किया है कि देश में पच्चीस अक्टूबर दो हजार बाईस को बेरोजगारी दर सात दशमलव आठ पाँच फीसदी तक चली गई । ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर आठ दशमलव शून्य । सात फीसदी रही । बारह अक्टूबर दो हजार बाईस के बाद पिछले करीब दो हफ्तों से बेरोजगारी दर लगातार सात फीसदी से ऊपर रही है । सितंबर दो हजार बाईस में बेरोजगारी दर घटकर छह दशमलव चार तीन फीसदी आ गई थी । ये थोडा सा चिंता की बात है क्योंकि ये अक्टूबर नवम्बर ये थोडा ऍम होता है । इस टाइम थोडा कुछ कुछ एक्टिविटीज जो नहीं होता । इस साल के समय में इस टाइम होते हैं तो उसमें कुछ लोगों को तो इम्प्लॉई मिंट मिलता है । अगर वो नहीं मिला है तो ये तो चिंता की बात है । कहीं ना कहीं कंपनी मुँह मोड पे चला गया होगा कि अभी के लिए हाइरिंग थोडा मत करो तो हो सकता है कि अगर थोडी एक दो महीने के बाद वो दोबारा उसको शुरू कर दे । अभी के लिए थोडा परिस्थिति जो है थोडा चिंताजनक है । सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के मुताबिक इस साल अगस्त महीने में बेरोजगारी दर पिछले एक साल में सबसे ज्यादा आठ दशमलव दो आठ फीसदी तक पहुँच गई थी । इसके बाद सितंबर महीने में बेरोजगारी दर में बडी गिरावट दर्ज हुई और रोजगार के अवसर देश में कुछ बेहतर हुए । लेकिन अक्टूबर के ये ताजा आंकडे बताते हैं कि रोजगार के मोर्चे पर चुनौती एक बार फिर बडी हो रही है । दिल्ली से कैमरा पर्सन राकेश सिंह के साथ । हिमांशु शेखर, एनडीटीवी इंडिया आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए मगर किसी ना किसी बहाने से धार्मिक मुद्दों को प्राथमिकता मिल जा रही है । भारत में राजनेताओं को धार्मिक गतिविधियों से अलग करना संभव नहीं है । 

भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था ही ऐसी है कि राजनेता धार्मिक कार्यों के करीब देखना चाहते हैं और शामिल भी होते हैं । लेकिन यहाँ सवाल इस बात को लेकर है कि क्या धार्मिक होने को लेकर राजनीतिक प्रतियोगिता चल पडी है । क्या आर्थिक सवालों से बचने के लिए धर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है । धार्मिक आयोजनों में लगातार शामिल होकर क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे दलों के नेताओं को भी मजबूर कर रहे हैं कि वे भी धार्मिक दिखने का आइडी खोजते रहें? हाल ही में पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी कर्नाटक के एक प्रसिद्ध मठ में गए तो उनकी तस्वीरों विशेष तौर पर प्रचारित किया गया । उनकी तस्वीरें देखकर ऐसा लगता है कि कई सिंगल से कैमरे से ली गई । यही नहीं, जब केदारनाथ मंदिर प्रधानमंत्री जाते हैं, तब सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने सवाल किया कि दर्शन का सीधा प्रसारण क्यों किया जा रहा है? लोग पूछते रहे कि भगवान के दर्शन हो रहे हैं या प्रधानमंत्री के या दोनों, मगर विपक्ष इन सवालों से दूर रहा । भारत की राज नीति में नेताओं का मंदिर जाना सामान्य बात है, लेकिन क्या इसके लगातार सीधा प्रसारण से इसे विशेष बनाने का प्रयास नहीं किया गया? अखबारों में जब विज्ञापन दिया जाता है और गोदी मीडिया लगातार कवरेज करता है, तब क्या इसे केवल धार्मिक कार्य माना जा सकता है? जाहिर है, राजनीतिक कार्य के रूप में भी देखा जाएगा । कहीं ऐसा तो नहीं कि जनता के ठोस आर्थिक सवालों से बचने के लिए हमारे नेता धर्म की शरण में जा रहे हैं । आखिर महंगाई और बेरोजगारी पर बात करने के लिए इतने कैमरे क्यों नहीं दिखाई देते? कहीं प्रधानमंत्री से दूसरे दलों के नेता इस मामले में हो तो नहीं कर रहे या सिलसिला कहां जाकर रुकेगा किसी को पता नहीं । क्या ये बेहतर नहीं हो सकता कि नेता जब पूजा करने जाए तो व्यक्तिगत ही रहे । आखिर कई जगहों पर तस्वीरें लेने पर रोक होती है । 

फिर सीधा प्रसारण की छुट्टी केवल नेताओं को ही क्यों मिले? भगवान के आगे तो सब बराबर माने जाते हैं । धार्मिक कार्य तो जनता दैनिक जीवन में दिन रात करती ही है, नेता भी करते हैं । लेकिन यही अगर राजनीति का मुख्य चेहरा हो जाए, आर्थिक मुद्दों पर बात करने के अलावा नेता बार बार इन मुद्दों पर लौटने लगे, तब जनता के मुद्दे पीछे जा सकते हैं । ऐसा लगता है कि अब ये फॉर्म्युला बनता जा रहा है । क्या जनता को ये सवाल नहीं करना चाहिए कि धर्म के नाम पर उसकी मासूम आस्था, आस्था का राजनीतिक दोहन हो रहा है या इससे राजनीति बेहतर हो रही है? झूठ हो गया है और सच की बाढ आ गई है । और तो और गोदी मीडिया जब कवरेज करने लग जाए तब एक बार ये सवाल तो पूछना ही चाहिए कि जिन लोगों ने पत्रकारिता का धर्म छोड दिया, वे धर्म के नाम पर इन देवी देवताओं का सामना कैसे कर लेते होंगे? पता तो कीजिए कि ये पत्रकार देवी देवता की पूजा करने जा रहे हैं, प्रसारण करने जा रहे हैं या उसके बहाने किसी नेता की व्यक्तिगत पूजा करने जा रहे हैं । बेहतर है आप दो राजनीतिक दलों में नीतियों के आधार पर फर्क कीजिए । पूछिए की फला नीति से आपका जीवन किस तरह बेहतर हुआ? हुआ कि नहीं, इसका मूल्यांकन कीजिए । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि रुपए पर गांधी की तस्वीर के साथ साथ लक्ष्मी गणेश की तस्वीर भी हो ताकि लोगों को उन का आशीर्वाद मिले । इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं । पूछा जा रहा है कि या देवी देवताओं के लिए है या राजनीतिक उद्देश्य के लिए कहाँ जा रहा है कि कल कोई दूसरा नेता आएगा और कहेगा कि कहाँ के नंबर प्लेट पर या डॅा बोर्ड पर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तस्वीर अनिवार्य कर दी जाए । 

हम कहाँ तक जाएंगे इस पर भी सोचना चाहिए । अगर भारतीय करेंसी के ऊपर एक तरफ गांधी जी की तस्वीर है वो इट इज रहे । दूसरी तरफ अगर लक्ष्मी जी की और गणेश जी की तस्वीर होगी तो इससे पूरे देश को उन का आशीर्वाद मिलेगा । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चली तो वो रुपयों पर महात्मा गाँधी के साथ लक्ष्मी गणेश की तस्वीर भी लगवा देंगे । उन्होंने ये मांग प्रधानमंत्री से की है । उनके मुताबिक इससे देवता आशीर्वाद देंगे और अर्थव्यवस्था सुधरेगी । आज मेरी केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री जी से अपील है भारतीय कर रिंसी के ऊपर एक तरफ गांधी जी की तस्वीर है वो वैसे ही रहनी चाहिए लेकिन दूसरी तरफ श्री गणेश जी की और श्री लक्ष्मी जी की तस्वीर भारतीय करेंसी के ऊपर लगाई जाए । जैसा मैंने कहा की हमें अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए भारत को आगे तरक्की देने के लिए बहुत सारे ऑफर्स की जरूरत है । लेकिन उसके साथ साथ देवी देवताओं के आशीर्वाद की भी जरूरत है । अगर केजरीवाल का बयान अर्थव्यवस्था की चिंता से प्रेरित है या बोर्ड व्यवस्था की योजना से बीजेपी केजरीवाल की ऐसी श्रद्धा पर सवाल नहीं खडे कर रही केजरीवाल पर हिंदुत्व का मुखौटा पहनने का आरोप लगा रही है जो भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का भी विरोध करते थे वो आज एक चुनावी मुखौटा लेकर के आए हैं । गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी कांग्रेस की राजनीतिक जमीन पर कब्जा करने की पूरी कोशिश कर रही है । ऐसे में केजरीवाल के बयान पर कांग्रेस की भी तीखी प्रतिक्रिया आनी ही थी । ये देखिए हम लोग बार बार कहते थे ये बीजेपी और संघ की बी टीम है तो जब चाहेंगे फॅार कार्ड खेल देगा जब चाहेंगे धर्मनिरपेक्ष दिख जाएगा जब चाहेंगे किसी ना किसी धर्म की भावनाओं को भडका जब चाहेंगे तो अपने आपको किसी जाति विशेष का बता देगा । तो ये तो वो आदमी है कि जैसे उसको लगता है कि उसको वोट मिलेगा उसमें ये कूद पडता है । इसकी ना कोई समझ है ना कोई निष्ठा है ना कोई इसकी अपनी किसी आइडी । 

एलजी के प्रति कोई भी वफादारी है तो अरविंद केजरीवाल बीजेपीकी हिंदुत्व नाम की पिच पर खेल रहे हैं । जबकि हफ्ता भर पहले जब प्रधानमंत्री गुजरात दौरे के दौरान मिशिन स्कूल फॅस लॉन्च कर रहे थे तो इन तस्वीरों से ये संदेश जा रहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी की शिक्षा या स्कूल नाम की पिच पर खेलने को मजबूर हो रही है । दिल्ली के मुख्यमंत्री है । उन्होंने बोला है कि भारत की जो करेंसी नोट है उसमें गणेश और लक्ष्मी का फोटो होना चाहिए । आप बताइए आपको क्या लगता है अच्छा उससे क्या होगा? अच्छा अच्छा करंसी भगवान का फोटो अच्छा । आप बोल रहे हैं कि केजरीवाल जी का ये अच्छा डिसिप्लिन ये तो गलत है । दादी जी का फोटो है उनका उचित ऍम इसके लिए हमारा तो यही गुजरात को हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है । पिछले सत्ताईस साल से यहां बीजेपी के ही प्रयोग सफल हो रहे हैं । गुजरात की जनता को तय करना है कि इस बार उनको अरविंद केजरीवाल का नया प्रयोग पसंद आ रहा है या फिर बीजेपी का ही पुराना योग ।

दिल्ली से अपने सहयोगी राजीव रंजन के साथ मैं शरद शर्मा एन टीम इंडिया क्या भारत की जनता ने यह तय कर लिया है कि अब उसके पास कोई वोट लेने आएगा तो देवी देवताओं की मूर्ति या तस्वीर लेकर ही आएगा? क्या जनता को खुश करने के लिए यही तरीका बच गया है कि कोई अखंड कीर्तन करा रहा है, कोई किसी और देवी देवता का पाठ करा रहा है । इन सब पर सरकार का भी पैसा खर्च होने लगा है और नेताओं का तो होता ही है । इसी पैसे से मस्क्यूलर डिस्ट्रफी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार परिवारों के मॅन बिल भरे जा सकते हैं । कितने परिवारों को राहत मिलेगी? क्यों नहीं कोई मंत्री या मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखता है कि कैंसर और मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी के मरीजों का इलाज मुफ्त किया जाए । क्या नर में नारायण नहीं है? यह भी तो धर्म ही कहता है कि नर की सेवा करो । नारायण मिलेंगे भारतीय रुपए पर गांधी की तस्वीर हटाकर दूसरे महापुरुषों की थी । तस्वीर लगा देने की अफवाहें और मांगे उठती रहती है । आंबेडकरवादी मांग करते रहे हैं की नोट पर डॉक्टर अंबेडकर की तस्वीर हो । 

केजरीवाल ने भी डॉक्टर अंबेडकर की बहुत बडी तस्वीर लगाई । वे भी ये मांग कर सकते थे । इस साल अफवाह उड गई कि रविंद्रनाथ टैगोर और एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर लगाने पर विचार हो रहा है । जून के महीने में भारतीय रिजर्व बैंक ने बाकायदा खानदान क्या ऐसी कोई योजना नहीं है । गांधी को नोट से हटाने की कोई योजना नहीं । इसी साल जुलाई और अगस्त में राज्यसभा सांसद संजय राउत और दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछा कि महात्मा गांधी की तस्वीर हटाई जा रही है? क्या छत्रपति शिवाजी की तस्वीर लगाने पर विचार हो रहा है? सरकार ने जवाब दिया, ऐसी कोई योजना नहीं है । भारत में पच्चीस हजार रुपया महीना कमाने वाले बहुत कम लोग हैं । जो कमाता है वो छोटी के दस प्रतिशत में आ जाता है । पच्चीस हजार रुपए कमाने से कोशिश होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के हाथ में नोट पहुँचे । अस्सी करोड जनता दो वक्त का अनाज नहीं खरीद सकती है । इतनी गरीबी है इस देश में और बहस इन बातों को लेकर हो जाती है । बहस को मुद्दे पर लाने के लिए सही सवाल पूछने की जरूरत है । हरियाणा के हिसार में पत्रकारों ने यही किया । शिक्षा मंत्री से पूछ ली कि बरोडा में काँलेज और यूनिवर्सिटी बनाने का वादा करके आए थे, उसका क्या हुआ? मंत्री ने कहा बन गया है विधायक से पूछ लीजिए । पत्रकारों ने विधायक से पूछा तो जवाब मिला केवल स्कूल बना है, काँलेज और यूनिवर्सिटी नहीं नहीं हाँ जो वादा करके आया था वो पूरा कर दिया । अभी विधायक को फोन करो, उसके वहाँ के नहीं ।

मैं कह रहा वहाँ के विधायक को फोन करो जो उसके साथ जो वादा किया था वो हमने पूरा कर दिया । वो स्वयं मिठाई का डिब्बा मेरे पास लेके आया था और मुझे देख के गया था एक मिनट एक वो कर दी डिस्टिक कर दी आपने भी फोन करो ना करो । हाँ जी यहाँ लालू जी तेरी थोडा कम कर दिया ना तो उस दिन पर फिर आ गया मेरे उस दिन आप डब्बा लेके आए थे मेरे पास मेरे से मिठाई खाया गए थे कि धन्यवाद मंत्री । इसी तरह कांग्रेस ने एक विडियो ट्वीट कर दिया ये अमित शाह यूपी सरकार के समय बीजेपी ने वादा किया की सरकार बनने पर होली और दिवाली पर ग्रास का एक सिलिंडर मुफ्त दिया जाएगा । काँग्रेस ने पूछा है कि इस दिवाली पर कितने लोगों को मुफ्त सिलिंडर मिला है । इस देश को अभी ऐसे सवालों की ज्यादा जरूरत है बाकी आप ब्रेक ले लीजिए । हाल ही में अफ्रीका से खबर आई कि भारत की कंपनी के बने कफ सिरप के पीने से वहाँ उनहत्तर बच्चे मर गए । भारत के प्रयागराज से खबर है कि यहाँ के एक नर्सिंग होम में प्लेटलेट्स की जगह जूस चढा दिया गया । मरीज मर गया । अब जिस इमारत में नर्सिंग होम चल रहा था उसे खाली करने का नोटिस दिया गया है । इस नोटिस से पता चलता है कि इस साल ग्यारह जनवरी को ही इसे ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया गया था तब तो प्रशासन को ही बताना चाहिए की नौ महीने तक क्यों नहीं ध्वस्त किया गया ।

इसका इंतजार क्यों किया गया । प्रयागराज के झलवा इलाके के इस ग्लोबल हॉस्पिटल को बीस अक्टूबर को तब सील कर दिया गया जब आरोप लगा कि डॉक्टर के एक मरीज को प्लेटलेट की जगह मुसम्मी का जूस चढा दिया गया । इसी आरोप के बाद प्रयागराज डिवलप मिंट ऑथॉरिटी भी हरकत में आई और उसने एक नोटिस चस्पा कर दिया जिसमें नक्शा पास ना होने के कारण बिल्डिंग को अवैध घोषित कर दिया गया । नोटिस में कहा गया कि एक पुराने नोटिस का जवाब न देने पर ग्यारह जनवरी दो हजार बाईस को ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया गया था । उसका भी जवाब ना मिलाने पर ध्वस्तीकरण का नया नोटिस भेजा गया है । उधर अस्पताल के संचालक का कहना है कि उन्हें आज तक कोई नोटिस नहीं मिला है । जहाँ तक हो मकान मालिक पप्पूलाल साहू और लोअर हॉस्पिटल को इसके पहले तो कोई भी नोटिस नहीं है । अगर नोटिस मिली होगी तो होगी जो मकान के उन्हें है । मुझे अस्पताल कोई भी नोटिस नहीं है । अभी इसके पहले है । 

अस्पताल के संचालक की दुविधा यह है कि नोटिस में अट्ठाईस अक्टूबर तक अस्पताल खाली करने का समय दिया गया है ताकि डिवलप मिंट ऑथॉरिटी ध्वस्तिकरण कर सके । लेकिन दिक्कत ये है कि अस्पताल जाँच के लिए पहले ही सीएमओ के आदेश पर सील है । ऐसे में वहाँ से समान कैसे निकाला जा सकता है? हॉस्पिटल कर रखा है । एक तरफ मैं इस मसले में फसा ही है तो उसमें से सामान निकाल नहीं सकता । दूसरी चीज नगर पीडी ने हमारे यहाँ पे नोटिस चिपका दिया है कि हॉस्पिटल किया जाए, खाली किया जाए । मकान को बिल्डिंग को खाली किया जाए । अब मैं बिल्डिंग को खाली करने की अगर प्रक्रिया में आता हूँ, मुँह मुँह जब तक हटेगी नहीं तब तक मैं बिल्डिंग को खाली नहीं कर सकता तो दोनों तरफ से मैं हूँ । इस बीच प्रदीप पांडे नाम के जिस मरीज की मौत हुई उसे चढाई गई प्लेटलेट्स की रिपोर्ट आ गई है ।

तीन सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक मरीज को मुसम्मी का जूस नहीं चढाया गया था बल्कि जो प्लेटलेट्स चढाए गए थे वो सुरक्षित तरीके से नहीं रखे गए थे और ये प्लेटलेट्स बाहर से खरीदे गए थे । ग्लोबल हॉस्पिटल में एक पेशेंट को कंपनियाँ मुँह थी । उसपे हमने तीन सदस्यीय टीम गठित क्या जिसमें थे और एक डॅान उनकी रिपोर्ट जो प्राप्त हुई है उसमें जो कंपोनेंट पाया गया है वो मुँह प्लेटलेट्स पाया गया है । मतलब कि जो है तो प्लेटलेट्स लेकिन उसे ठीक से उसको मुँह नहीं किया गया था । जाँच में ये बात भी सामने आई है कि मरीज को जो दवा दी गई वह मानकों के अनुरूप नहीं थी । कुछ मेडिसिन भी ऐसी देने की बात सामने आई है पेशेंट को क्योंकि वो मानक के अनुरूप नहीं है तो उसके लिए जो हमारी कार्यवाही उस पार कर रहे हैं । इस रिपोर्ट से यह बात और हुई कि बाजार में प्लेटलेट्स दिख रहे हैं जो मानक के अनुरूप सुरक्षित नहीं रखे जाते हैं ।

जांच रिपोर्ट प्रयागराज की चिकित्सा व्यवस्था पर कई सवाल तो खडे कर ही रही है लेकिन जिस तरीके से प्रयागराज डिवलप मिंट अथॉरिटी ने इस मामले में नोटिस चस्पा की है वो भी अपने तरीके से कई सवाल खडे कर रही है । ऐसे में सबसे बडा सवाल यही है कि क्या इस तरह की समस्या से निपटने के लिए बस टीकरण ही एक रास्ता है । प्रयागराज से नितिन के साथ अजय सिंह एनडीटीवी इंडिया मुंबई में मानसून लंबा रह गया । इस कारण मच्छरों की आबादी बढ गई और उनके काटने से डेंगू के मरीज पूजा की ये रिपोर्ट देखिये ऑन मरीज की तस्वीरें मुंबई की है । एक की उम्र पैंतीस साल है और दूसरे की साठ साल । फीवर के फौरन बाद हालत बिगडी और मुंबई के लाइन अस्पताल में आईसीयू में भर्ती होना पडा । डॉक्टर बताते हैं कि इस साल डेंगू बीमारी के लक्षण भी तीव्र हुए है । फमिली बहुत कम होते हैं और एम उसके बाद भी जो है ये कर होना काफी सारे नंबर मुँह का पाया जाना मुँह जो की ये साल हमें दिखाई दे रहा है । 


मतलब तीन तीन चार दिन की बुखार की हिस्ट्री है और उसके बाद भी जो है पेशेंट कॉम्प्लिकेशन से लेके आ रहे हैं जैसे कि प्लेटलेट्स बहुत हाँ होना दस हजार पंद्रह हजार पे जाना तो नॉर्मली डेढ से साढे चार लाख का काउंट रहता है और साथ ही में पेशेंट्स को कन्वर्जेंस आना, इंटरनल ब्रेन में ब्लीडिंग, लंगर में ब्लीडिंग होना, किडनी इंजरी होना, लिवर के अंदर सूजन हो ना तो ऐसे मल्टिपल कॉम्प्लिकेशन के साथ काफी पेशेंट आ रहे हैं और ये साल काफी सारे बच्चों में भी ये सिम्टम्स दिखाई दे रहे हैं । खून की उल्टी होना प्लेटलेट कम होने की वजह से दिल्ली, मुंबई से लेकर यूपी बिहार और मध्यप्रदेश तक इन दिनों देशभर में डॅान ने कहर बरपा रखा है ।

आर्थिक राजधानी मुंबई में इस साल अब तक डॅान के सात सौ छियालीस नए मामले सामने आ चुके हैं । अक्टूबर के शुरुआती दो हफ्ते में एक सौ अठहत्तर मामले ने रिपोर्ट किए हैं । दो हजार बीस की तुलना में इस साल डेंगू के मामलों में करीब चार सौ सत्तर फीसदी की बढत दिखी है । मुंबई में इस अक्टूबर महीने में भी रुक रुककर हो बारिश के कारण मच्छरों की तादाद बढती जा रही है जिससे डॅा और मलेरिया के मामलों में वृद्धि दिख रही है । डेंगू के मरीज में प्लेटलेट्स की मांग बढ जाती है और इसको लेकर निजी ब्लड बैंकों में दबाव रहता है । आस लग रही है कि तापमान कम होते ही मामले घटेंगे ।