क्यों दुबला और छोटा हो गया 'रावण', जानें रामलीला में इस बार कैसा है दशानन का हाल

Ravan Dahan: दशहरे पर रावण का पुतला बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के तौर पर जलाया जाता है. महंगाई की मार रावण के पुतले पर भी पड़ी है.

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Ravan Dahan Time
नई दिल्ली:

Ravan Dahan Time: दशहरे के दिन रावण दहन देश भर में धूमधाम से किया जाता है. लेकिन महंगाई की मार दशानन के पुतलों पर भी पड़ी है. सख्ती के बीच महंगे पटाखों से कारण रावण दुबला हो गया है और उसका कद भी छोटा हो गया है. रामलीला समितियां भी बढ़ते खर्च के कारण चाहकर भी रावण के पुतले को ज्यादा बड़ा आकार नहीं दे पाईं. लिहाजा 30 से 40 फीट की जगह कारीगरों ने 20-25 फीट के रावण के पुतले ही तैयार किए.

बांदा, उन्नाव और अलीगढ़ में रावण के पुतलों का यही हाल देखा गया. बांदा में सालों से रावण का पुतला तैयार करने वाले मुस्लिम परिवार का कहना है कि इस बार महंगाई की मार पुतलों पर पड़ी है. महंगी लकड़ी और पटाखों के कारण उन्होंने ज्यादा लंबे चौड़े रावण के पुतले नहीं बनाए.

उन्नाव के कारीगर सुहैल का कहना है कि पहले 30-40 फीट का रावण 10-12 हजार रुपये में तैयार हो जाता था. लेकिन अब 20 हजार में भी पुतला तैयार नहीं हो पाता. रामलीला समितियों की ओर से भी 20-25 फीट से ज्यादा बड़े पुतलों की डिमांड नहीं आई. छोटे मोहल्लों की रामलीला में कमेटी 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च करने को तैयार नहीं हैं. रावण के अलावा मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतले भी बनाने होते हैं. हालांकि यूपी की ही बात करें तो लखनऊ की 500 साल पुरानी ऐशबाग की रामलीला, वाराणसी की लाट भैरव रामलीला से लेकर अयोध्या की रामलीला पूरी भव्यता से मनाई जा रही है.

मेला ग्राउंड रामलीला कमेटी का कहना है कि रावण का पुतला तैयार करने में मंहगाई दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. बेमौसम बारिश और बाढ़ के प्रकोप के कारण भी इस बार बांस की खपच्ची भी महंगी है. कानपुर बांस मंडी में भी रेट काफी हाई है. ऐसे में रावण का साइज छोटा करने के अलावा कोई चारा नहीं था.

दिल्ली में बारिश से भीग गए पुतले
दिल्ली में 1 अक्टूबर को हुई असमय बारिश से कई जगहों पर रावण के पुतले भीग गए और 2 अक्टूबर को विजयादशमी पर उन्हें जलाना संभव नहीं है. तितारपुर में भी बारिश से रावण के पुतले बर्बाद हुए. कारीगर और दुकानदारों का कहना था कि साल भर का इंतजार बारिश ने धो दिया. तेज हवा में कई पुतले फट गए और बारिश में गलकर खराब हुए. कारीगरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी.

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