जब रतन टाटा ने टाटा मोटर्स के गुजरात में कदम रखने को बताया था 'घर वापसी'

पीएम मोदी आर्काइव नाम के सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर रतन टाटा का 2007 वाइब्रेंट गुजरात इन्वेस्टर्स समिट में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने का एक वाकया शेयर किया गया है, जो वायरल हो रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व करने वाले प्रतिष्ठित भारतीय कारोबारी रतन टाटा का बुधवार देर रात निधन हो गया. रतन टाटा 86 साल के थे. उनके दूरदर्शी नेतृत्व में टाटा समूह ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसे रणनीतिक अधिग्रहणों के साथ वैश्विक स्तर पर विस्तार किया और आईटी, दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त तेजी देखी. वर्ष 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद रतन टाटा ने अपने अंतिम समय तक सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाया. इस दौरान उन्होंने कई नए स्टार्टअप और शिक्षण संस्थानों को प्रोत्साहित किया.

ऐसे में मोदी आर्काइव नाम के सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर रतन टाटा का 2007 वाइब्रेंट गुजरात इन्वेस्टर्स समिट में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने का एक वाकया शेयर किया गया है, जो वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में बताया गया है कि 2007 वाइब्रेंट गुजरात इन्वेस्टर्स समिट में रतन टाटा को मुख्य अतिथि घोषित किया गया. वहां उन्होंने उपस्थित लोगों के बीच अपनी भावना को व्यक्त करते हुए कहा था, "यह गुजरात में निवेश करने का सही समय है. अगर आपने अभी तक गुजरात में निवेश नहीं किया है, आप बेवकूफ हैं, क्योंकि यह सबसे तेज गति से विकास करने वाला राज्य है."

ठीक एक साल बाद, टाटा ने उनकी सलाह पर अमल किया. दुनिया की सबसे किफायती कार टाटा मोटर्स की नैनो की बहुप्रतीक्षित लॉन्चिंग अधर में लटक गई थी. पश्चिम बंगाल के सिंगूर में परियोजना को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल से हटने का कठिन निर्णय लिया था, जिससे नैनो का भविष्य अधर में अटक गया था. जैसे ही सिंगुर छोड़ने की घोषणा की गई, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे कई राज्य अपने प्रस्ताव लेकर आ गए. लेकिन, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तेज और शानदार पेशकश का कोई मुकाबला नहीं कर सका.

Advertisement

टाटा की मेजबानी के फायदे और आर्थिक महत्व को समझते हुए, सीएम मोदी ने तुरंत अहमदाबाद से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर साणंद में बेहतर दरों पर कंपनी को भूमि की पेशकश की. इसके अलावा, गुजरात सरकार ने अनुकूल शर्तों पर ऋण दिया. फिर क्या था, केवल 96 घंटों के भीतर, सभी प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी हो गईं और सौदा पक्का हो गया. टाटा मोटर्स के राज्य में कदम रखने पर रतन टाटा ने तब कहा था, "मैं इतनी जल्दी अपना घर बनाने के लिए गुजरात को धन्यवाद देता हूं."

Advertisement

7 अक्टूबर 2008 को, टाटा मोटर्स ने आधिकारिक तौर पर अपने नैनो संयंत्र को गुजरात में स्थानांतरित करने की घोषणा की. वहीं, तब गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के सामने रतन टाटा ने इस क्षण को "घर वापसी" बताया था. रतन टाटा ने गुजराती में बोलते हुए कहा, "आपदे अहिया ना छिये, अने आपदे अहिया पाछा आव्या." (हम यहीं के हैं और हम वापस आ गए हैं.)

Advertisement

जब टाटा नैनो परियोजना पश्चिम बंगाल के सिंगुर में परेशानी में पड़ गई, तो इस प्रोजेक्ट को लेकर जोखिम बहुत बड़ा था - न केवल टाटा मोटर्स के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए. नरेंद्र मोदी के लिए इस परियोजना को किसी दूसरे देश में शिफ्ट हो जाना अकल्पनीय था. यह केवल गुजरात के विकास या उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का मामला नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का मामला था. मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब कहा था, "मेरे लिए, यह महत्वपूर्ण था कि यह परियोजना, जिसके लिए कई देश प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, भारत में रहे. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह किस राज्य में रहेगा, जब तक कि यह भारत में है."

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi CM Residence Row: 'BJP का मुख्यमंत्री नहीं बन पाया तो आवास पर कब्जे की कोशिश'- Atishi